अभिनन्दन का अर्थ
तोताराम ने आते ही प्रश्न किया- अभिनन्दन का क्या अर्थ होता है ?
हमने कहा- तोताराम, देश के विकास के लिए, लोकतंत्र की सफलता के लिए, कांग्रेस के सत्तर साल के दुष्प्रभाव को समाप्त करने के लिए चुपचाप काम कर, अनुशासन में रह, सोच को सकारात्मक रख, आशावादी रह, जुमलों पर ऐतबार ला, और प्रश्न तो बिलकुल ही मत पूछ | प्रश्न शंका के कारण उत्पन्न होते हैं |शंका का अर्थ होता है संशय |तभी गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं- संशयात्मा विनश्यति | प्रश्न करके क्यों विनाश को आमंत्रण दे रहा है ? शांत भाव से जब, जिसका, जैसे अभिनन्दन करने को कहा जाय, करता चल |
बोला- मास्टर, हद है |यदि नहीं मालूम तो मत बता | अपने अज्ञान को छुपाने के लिए कुतर्क का सहारा क्यों लेता है ? भाषण क्यों झाड़ रहा है |
हमने कहा- तू १९४७ में स्वाधीनता मिलने के पहले से लेकर आज तक जाने कितने और कैसे-कैसे अभिनन्दन देख चुका है फिर भी पूछ रहा है अभिनन्दन का अर्थ |
बोला- यही तो कारण है पूछने का | इस शब्द का अर्थ समयानुसार बदलता रहता है |अंग्रेजों ने स्वाधीनता आन्दोलन के समय भगत सिंह और गाँधी जी का गोली, डंडों और फाँसी से अभिनन्दन किया था |इसके बाद नेहरू जी के कार्यकाल में विदेशी मेहमानों का राम लीला मैदान में नागरिक अभिनन्दन किया जाता था |आज कोई जीतता है तो उसका, उसीके पैसे में से पचास प्रतिशत बट्टा काटकर चमचे नागरिक अभिनन्दन करते हैं | कभी किसी स्वामी अग्निवेश का भाषण पसंद नहीं आता तो उत्साही कार्यकर्त्ता उसकी पिटाई कर देते हैं तो उसे भी अभिनन्दन कहते हैं |अब मोदी जी कह रहे हैं कि डिक्शनरी में 'अभिनन्दन' का अर्थ बदल जाएगा |
हमने कहा- सही बात है |जिसमें ताकत होती है वह कुछ भी बदल सकता है जैसे कुछ ताकतवर लोगों ने राष्ट्रपिता का अर्थ 'चतुर बनिया' कर दिया |अपने अध्यक्ष का अर्थ 'चाणक्य' और दूसरों के अध्यक्ष का अर्थ 'पप्पू' |देश के बहादुर सैनिकों के बलिदान को भुनाने के लिए अपनी फ्लैग मार्च टाइप खर्चीली ३८०० चुनावी मोटर साइकल रैलियों का अर्थ 'विजय-संकल्प रैली' | अपना गठबंधन 'राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन' और दूसरों का गठबंधन 'अधिनायकवादी महाठगबंधन' | खुद सेवक और दूसरे सत्ता के लालची | तो लोग भी 'चौकीदार' का अर्थ 'चोर' समझाने लगे हैं | किसका भरोसा किया जाए |लेकिन जब अर्थ बदलने वाला की पेपर सेटर भी हो तो भक्त परीक्षार्थियों को तो वही अर्थ लिखना पड़ेगा ना जो परीक्षक को पसंद हो |जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे .........|
बोला- इसी कन्फ्यूजन के कारण तो तुझे पूछ रहा हूँ |और तू है कि मुझ पर ही पिल पड़ा |
हमने कहा- तो फिर समझदारी इसी में है कि 'मन की बात' वाले मोदी जी के भाषणों की पुस्तक की तरह जब तक मोदी जी की डिक्शनरी न आ जाए तब तक चुप रह | जहाँ तक इस देश की तमाशबीन जनता की बात है तो जैसे इसने मोदी जी के विकास के एजेंडे को उनके कुरते और जैकेट में बदल दिया है वैसे ही यह 'अभिनन्दन' का अर्थ 'अभिनन्दन कट मूँछों' में बदलकर रख देगी |जैसे रंगों तक का देशभक्ति और देशद्रोह में विभाजन कर दिया |
बोला- ठीक है, जब तक कुछ तय नहीं होता तब तक मैं भी ऐसी ही धाँसू मूँछें रख लेता हूँ |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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