मधुमय अभिशाप
आज तोताराम ने जो प्रश्न किया उसने हमें कोई आधी सदी पुराने साक्षात्कार की याद दिला दी |तोताराम ने भी ठीक वही प्रश्न पूछा- 'मधुमय अभिशाप' क्या होता है ?
वैसे हमें उस समय मधुशाला वाले मधु के अर्थ का तो कुछ-कुछ पता था लेकिन स्वाद का पता नहीं था |हम मधु का अर्थ शहद ही समझते थे |जो मीठा है वह अभिशाप कैसे हो सकता है ? अजीब दुविधा |आजकल की तरह यदि 'शुगर' की तकलीफ आम होती तो कह देते कि अधिक चीनी खाने से डाइबिटीज का अभिशाप भुगतना पड़ता है |हम चुप रहे |चयन नहीं हुआ |उत्तर सही होता तो भी चयन नहीं होता क्योंकि जिसके पास प्रश्न करने का अधिकार होता है वह किसी को भी अटका सकता है जैसे कि कोई भी बड़ा अधिकारी अपने मातहत को पूछ सकता है कि '.......के कारण आपको क्यों न निलंबित कर दिया जाए' ?
अब जिसे निलंबित ही करना है वह किसी भी कारण से निलंबित कर सकता है | देश-काल तक उसके लिए कोई मायने नहीं रखते |वह अभिमन्यु की हत्या के लिए राहुल गाँधी को दण्डित कर सकता है |
लेकिन अब हम समझदार हो गए हैं |इसलिए हम तोताराम के सामने निरुत्तर नहीं हुए |हमने कहा- यदि कोई व्यक्ति शराब पीकर लड़खड़ाए और गिर पड़े | तभी उसे दस रुपए का एक नोट पड़ा मिल जाए तो इसे 'मधुमय अभिशाप' कहते हैं |गिरना अभिशाप तो नोट मिलना उस क्षण का मधुमय होना |
हमारा उत्तर सुनकर तोताराम ने कहा- तो अब भविष्य में सातवें पे कमीशन का एरियर न मिलने के कारण मोदी जी या जेतली जी को कोसना बंद कर दे |इस घटना को भी 'मधुमय अभिशाप' मानकर संतुष्ट हो जा |
हमने कहा- एरियर न मिलने में मधुमय क्या है ?इस मामले में तो सब कुछ अभिशाप ही अभिशाप है |
बोला- देख, यदि यह एरियर २८ फरवरी २०१९ से पहले मिल जाता तो इस पर २०१८-१९ के टेक्स नियमों के अनुसार दो-चार हजार रुपए टेक्स लगता क्योंकि इसके कारण हमारी वार्षिक आय तीन लाख से अधिक हो जाती | अब नए नियमों के अनुसार २०१९-२० में पाँच लाख से कम आय वालों को कोई टेक्स नहीं देना पड़ेगा |तो हुई कि नहीं दो-पाँच हजार की बचत ? इसे मोदी जी की कठोरता नहीं बल्कि 'मधुमय अभिशाप' मानकर खुश होना चाहिए |
हमने कहा- बिलकुल नहीं |यह मात्र अभिशाप ही अभिशाप है क्योंकि यदि यही रकम साल भर पहले मिल जाती तो एक साल भर में पाँच के बदले सात हजार ब्याज मिलता |इस प्रकार दो हजार का शुद्ध घाटा हुआ है |
पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
No comments:
Post a Comment