Mar 20, 2019

थर्ड प्लेस और थर्ड क्लास



थर्ड प्लेस और थर्ड क्लास 

आज तोताराम ने अपना चाय का कप उठाते हुए कहा- मास्टर, आज हम चाय पर चर्चा किसी 'थर्ड प्लेस' पर करेंगे |

तोताराम के इस 'थर्ड प्लेस' ने हमारी चेतना को थर्ड क्लास से जोड़कर  सक्रिय कर दिया |

हमने कहा- तोताराम, पहले रेल में थर्ड क्लास का डिब्बा होता था जिसे नाममात्र के लिए बदलकर सेकण्ड क्लास कर दिया गया |हालाँकि उसमें बैठने वाले लोग थर्ड क्लास कभी नहीं होते थे बल्कि जनता के पैसे से फर्स्ट क्लास के डिब्बे में या एक्जीक्यूटिव क्लास में हवाई यात्रा करने वालों से बेहतर होते थे |अब भी हमारे हिसाब से सेकेण्ड क्लास बन चुके थर्ड क्लास में अपनी मेहनत के पैसे से यात्रा करने वाले लोग फर्स्ट क्लास ही होते हैं | जैसे कि अब भी कई लोग अपने देश के बहुत बड़े पद पर पहुँच जाते हैं लेकिन उनका थर्डक्लासपना नहीं जाता |

ऐसे लोग एक दूसरे की औकात और चाल-चरित्र-चेहरा सब जानते हैं | इसलिए वे एक दूसरे को अपने यहाँ न बुलाकर किसी तीसरी जगह मिलते हैं जैसे कि किसी भ्रष्ट आदमी से डील करने के लिए दोनों ही पक्ष किसी होटल को चुनते हैं |दोनों ही ठग होते हैं इसलिए पता नहीं, तीसरी जगह मिलने की योजना प्रचारित करने वाले वास्तव में किसी चौथी जगह मिलते हों और तीसरी जगह उनके डुप्लीकेट मिलते हों |

बोला- कहीं तू ट्रंप और किम के हनोई में मिलने की तरफ तो इशारा नहीं कर रहा ? 

हम दोनों बातें करते हुए 'थर्ड प्लेस' की तरफ चलते-चलते मंडी के खाली पड़े प्लाट की दीवार के पास पहुँच गए थे जहाँ दिन भर जनसेवा जैसे धरना-जुलूस, स्वाभिमान-रैली या कोई केंडल मार्च करने के बाद थके-थकाए युवा घर जाने से पहले फ्रेश होने के लिए नमकीन के साथ सरकारी रेवेन्यूवर्द्धिनी और जन-चेतना-संचारिणी, सौ दवाओं से भी अधिक कारगर पदार्थ का सेवन करते हैं या बिना किसी चिंतन-शिविर के अपनी लघु-दीर्घ शंकाओं का समाधान करते हैं |

पता नहीं, यह सज्जनों के सद्गुणों के चिंतन का प्रभाव था या स्थान का असर लेकिन हमें कुछ सुरूर-सा अनुभव होने लगा | तोताराम ने हमसे पूछा- मास्टर, मुझे ऐसा क्यों लगता है कि तू असली मास्टर न होकर मास्टर का डुप्लीकेट है |

हमने कहा- तोताराम, हो सकता है क्योंकि हम तो ट्रम्प और किम की तरह सामान्य आदमी हैं इसलिए हमारा डुप्लीकेट होना संभव है लेकिन तू अवश्य असली है क्योंकि तेरे जैसा मिनिमम वज़न में मेक्सिमम इंटेलिजेंट बात करने वाला पीस बना सकना भगवान के लिए भी संभव नहीं है |यह एक पता नहीं कैसे संयोग से बन गया |
  तोताराम बोला- मास्टर, मुझे लगता है कि ट्रंप और किम की आड़ में तू मुझे बना रहा है |इसलिए मैं ट्रंप और किम की तरह यह वार्ता, फिर किसी 'फोर्थ प्लेस' पर करने के लिए सकारात्मक भविष्य की आशा के साथ, समाप्त करता हूँ |

हमने कहा- कोई बात नहीं |वार्ता फिर कर लेंगे लेकिन हम अब भी अपने आप को थर्ड क्लास मानने को तैयार नहीं हैं |और हाँ, यह कप हनोई के किसी होटल का नहीं है जिसे कोई वेटर उठाकर ले जाएगा |इसे जाते समय बरामदे में रख जाना |

बोला- मास्टर, इन हालात को देखते हुए तो हमें अगले दो-तीन महीनों में और सावधान रहना पड़ेगा कि कहीं किसी का कोई डुप्लीकेट जुमले फेंककर हमें उल्लू न बना जाए |













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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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