मंत्रा मिशन
तोताराम ने आते कहा- कोई प्रश्न पूछकर समय व्यर्थ नहीं करना है |मंत्र को प्रभाव पैदा करने के लिए 'मंत्रा' बनाया गया है और आजकल देश में चल रहे समासीकरण के फैशन के तहत अग्रेजी शब्द 'मिशन' का उपयोग करते हुए बनाया गया है- 'मंत्रा-मिशन' | अब चल बाज़ार चलते हैं |
हमने कहा- यह तो वैसे ही हो गया जैसे सरकार ने कुम्भ के अवसर को मई २०१९ में होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़ दिया है |प्रवासी-दिवस भी तीन दिन आगे खिसका कर १४ जनवरी को कर दिया |चाहते तो २६ जनवरी को भी पहले खींचकर संक्रांति वाले दिन कर देते |
बोला- मास्टर, तेरा भी ज़वाब नहीं |हर बात को खींचकर राजनीति की तरफ ले ही जाता है |कभी तो समाज और सेवा के बारे में भी सोचाकर |
हमने पूछा- तो बता तेरे इस 'मंत्रा-मिशन' में किस समस्या का समाधान है ?यह भी प्रीति जिंटा वाले किसी 'रूप मंत्रा' की तरह लोगों को उल्लू बनाने का चक्कर होगा |सब जानते हैं कि किसी भी डिटर्जेंट पाउडर से वैसी सफेदी नहीं आ सकती जैसी विज्ञापन में दिखाई जाती है |तरह-तरह के केश तेल आजमाकर भी लोगों का गंजापन दूर नहीं हो रहा है |नवरत्न तेल लगा-लगाकर भी लोग तनाव ग्रस्त हुए जा रहे हैं |अब बता, तेरे इस 'मंत्रा मिशन' का क्या मिशन है ?
बोला- इसके द्वारा हम लोगों की मोटापे की समस्या का निदान करेंगे मतलब कि मोटे को पतला और पतले को मोटा बनाएँगे |
हमने कहा-इस प्रकार की तो एक दवा का अखबारों में रोज विज्ञापन आ रहा है |लोग यदि तुझे ही पूछ बैठे- 'महाराज, आप लोगों को मोटा बनाने का 'मंत्रा' बताने का दावा कर रहे हैं तो खुद क्यों पैंतीस किलो पर अटके हुए हैं ?' तो क्या ज़वाब देगा ?
बोला- उसी को समझाने के लिए तो बाज़ार चलना है |कोई फोटो शॉप ढूँढ़ते हैं |
हमने कहा- फोटो शॉप नहीं, फोटो स्टूडियो बोल |
बोला- मैं ठीक कह रहा हूँ |हमें स्टूडियो नहीं 'फोटो शॉप' जाना है |
हमने पूछा- इन दोनों में क्या फर्क है ?
बोला- स्टूडियो में फोटो खींचे जाते हैं और शॉप में बने बनाए फोटो से छेड़छाड़ करके नई तरह का फोटो बना दिया जाता है जैसे ओबामा से हाथ मिलाते हुए मोदी जी के फोटो से छेड़छाड़ करके तुझे मोदी जी से हाथ मिलाते हुए दिखाया जा सकता है | तू वह फोटो दिखाकर लोगों पर रोब जमा सकता है |
हमने फिर पूछा- तो तू वहाँ क्या करवाएगा ?
बोला- मैं अमित शाह जी के फोटो पर अपना सिर चिपकवाकर एक फोटो बनवाऊँगा और दूसरा अपना ओरिजिनल फोटो |दोनों को विज्ञापन में एक साथ छपा दूँगा |और नीचे लिखवा दूँगा- मनचाहा वज़न प्राप्त करने का 'मंत्रा' पाइए | बिलकुल मुफ्त |नेट पर जाइए, लाइक का बटन दबाइए और मनचाहा बदन पाइए |
हमें फिर शंका की- इससे क्या होगा ?
बोला- देश में करोड़ों लोगों के पास स्मार्ट फोन हैं और मुफ्त का डाटा |समय की तो कोई कमी है ही नहीं |मुफ्त के नाम पर इस देश के लोग ज़हर भी खा जाते हैं |इस देश में दो ही तरह के लोग हैं या तो मोटे या पतले |दोनों कुंठाग्रस्त है |दोनों ही बटन दबाएँगे |और इस दबाव में विज्ञापनदाता मेरी साइट पर विज्ञापन देंगे |बस, फिर क्या ? कमाई ही कमाई |
हमने पूछा- लेकिन अमित शाह की बीस इंची घेरे वाली गर्दन पर तेरी यह नौ इंची गर्दन फिट कैसे होगी ?
बोला- वैसे ही जैसे प्राचीन काल में प्लास्टिक सर्जरी के बल पर एक शिशु की गर्दन पर हाथी के बच्चे का सिर फिट कर दिया जाता था |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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