.... और मैं जवाँ
आज दुनिया के सिर पर चढ़कर बोलने वाली भारत की आन, बान और शान को कुछ दिलजले अनदेखा कर रहे हैं | वैसे ही २००४ में कुछ लोगों को जब अटल जी का 'शाइनिंग इण्डिया' दिखाई नहीं दिया था तो अटल जी ने चिढ़कर उन लोगों को 'मातम के मसीहा' कहा था | हमारे सामने के दाँत छोटे हैं | हँसते या रोते किसी भी स्थिति में लोगों को दिखाई नहीं देते इसलिए हमारी ख़ुशी प्रमाणित नहीं हो पाती |तब हमने अटल जी को लिखा था कि हम 'मातम के मसीहा' नहीं हैं |
आज तोताराम ने आते ही हमारा वह पंद्रह साल पुराना घाव कुरेद दिया | पता नहीं, कहाँ से हमारे बड़े बेटे की शादी का फोटो ले आया और हमें दिखाकर बोला- देख | क्या सूरत बना रखी है ? जब तेरा यह हाल १९८९ में ४७ वर्ष की उम्र में है तो २००४ में इण्डिया शाइनिंग के समय तो तू अटल जी को सचमुच ही 'मातम का मसीहा' नज़र आया होगा |
फिर हमारे सामने स्विटजरलैंड के सेंट मेरित्ज़ में अपने बेटे आकाश की प्रीवेडिंग सेरेमनी में अपनी पत्नी नीता अम्बानी को गुलाब का फूल देते और 'ऐ मेरी जोहरा जबीं..... ' गाने पर नाचते हुए मुकेश अम्बानी का फोटो रख दिया | बोला- देख, यह है जिंदादिली |६१ साल की उम्र में भी बंदा कैसे झूमकर नाच रहा है |और एक तू है | क्या मरियल सूरत बना रखी है |वास्तव में कुछ ओग जन्मजात ही मनहूस होते हैं |
हमने कहा- तोताराम, तू सही कह रहा है |वैसे यदि तू हमें और लज्जित करना चाहता है तो हमारी तुलना राहुल गाँधी से भी कर सकता है | क्योंकि राहुल भी तो ४८ के हो गए |आदमी को उसके सुख-दुःख ही जवान और बूढ़ा बनाते हैं | राहुल को तो अभी दो और दो चार का पता नहीं जबकि इस उम्र में हमारी अकले की तनख्वाह और तीन-तीन बच्चे प्रोफेशनल कोलेजों में पढ़ रहे थे |मोदी जी को देख ले |सत्तर के होने वाले हैं लेकिन एनर्जी लेवल ! ३५ साल के युवा भी मात | यदि इनके ही तीन-चार बेटे बेटियाँ होते और चाय की गुमटी लगा रहे होते तो पता चलता स्मार्टनेस का | कोई अडवानी जी को एक बार प्रधानमंत्री बनादे तो फिर देखना उनकी चुस्ती-फुर्ती |
मुकेश अम्बानी भारत का सबसे धनवान व्यक्ति है |इस पोजीशन में कोई और होता तो पता नहीं, कैसी-कैसी लम्पटता कर रहा होता |यह तो भले खानदान का घरेलू और वैष्णव बच्चा है | इसकी स्मार्टनेस और जिन्दादिली कहीं से भी अस्वाभाविक नहीं है | हमें कोई शिकायत नहीं है |
बोला- किसी से शिकायत करने की बजाय तो मई २०१९ में अपनी शादी की साठवीं वर्षगाँठ का कार्यक्रम कहीं स्विटजरलैंड में रख ले और सभी फ़िल्मी नचनियों को बुला लेना |जब वे नाचेंगे तो क्या पता, तेरे भी कदम थिरकने लगें |
हमने कहा- तोताराम, यदि यही हैसियत होती तो क्या मात्र सतत्तर साल की इस कमसिनी में यूँ बुढ़ापा आ जाता ? अभी अमरसिंह की तरह किसी फ़िल्मी हस्ती से चोंच लड़ा रहे होते |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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