Sep 28, 2020

सूट, बूट की सरकार


सूट, बूट और  सरकार 


कल दिन बड़ा चिपचिपा और सड़ियल रहा. रात को भी लग रहा था कि यह सब अनिश्चितकालीन कोरोना-कर्फ्यू की तरह लम्बा चलेगा लेकिन सुबह धूप निकल ही आई. हम भी विधायक रूपी कुलवधुओं को भाजपा के शोहदों द्वारा भगाए जाने के भय से क्षणिक मुक्ति पाए मुख्यमंत्री की तरह बरामदे में मगन-मन बैठे थे. तोताराम कब आया हमें पता ही नहीं चला जैसे कि त्रिपुरा में बिप्लव देब के शपथ-ग्रहण समारोह में मोदी जी को पता ही नहीं चला कि जिनके राम-रथ की खिड़की से लटककर वे अयोध्या पहुंचे थे वे अडवानी जी भी वहीँ मंच पर प्रणाम की मुद्रा में खड़े हैं.     

हमने पत्नी को आवाज़ लगाई- लगता है, आज तोताराम नहीं आएगा |उसकी चाय भी हमें ला दो. 

पत्नी आई और बोली- आप भी अजीब बातें कर रहे हो. यह बरामदे में कोने में कौन बैठा है ? तोताराम ही तो है. 

तोताराम ने मरी आवाज़ में कहा- अब मेरा क्या तो होना और क्या नहीं होना. मैं तो अवसादग्रस्त हूँ. हीनभावना से मरा जा रहा हूँ. बस, पेंशन के लालच में जिंदा हूँ नहीं तो लटक जाता बास्केट बॉल के खम्भे से. 

हमने कहा-  कोरोना के कारण सरकार के अतिरिक्त सारा देश ही अवसाद में है लेकिन तुझे लटकने के लिए बास्केट बॉल का खम्भा ही क्यों चाहिए ? सच्चा आत्महत्या करने वाला किसी खम्भे विशेष को नहीं ढूँढ़ता. वह तो किसी भी ट्रक के नीचे सिर दे देता है. धर्मेन्द्र की तरह टंकी पर चढ़कर हल्ला मचाकर जनता और मौसी को इकठ्ठा नहीं करता. जब तूने मोदी जी द्वारा तीन साल तक सातवें पे कमीशन के बारे में चुप्पी साधे रखने के बावजूद हताशा नहीं दिखाई तो आज ऐसा क्या हो गया कि तू अवसादग्रस्त हो गया ?

बोला- आज ही स्मार्ट फोन पर एक समाचार देखा कि अमरीका के प्रसिद्ध बास्केट बॉल खिलाड़ी माइकल जॉर्डन के ३५ साल पुराने जूते ४.६० करोड़ रुपए में नीलाम हुए जबकि हमारे १३५ करोड़ के हृदय-सम्राट, विकास-पुरुष, विश्व के सर्वाधिक प्रभावशाली नेता मोदी जी का सूट मात्र ४.३१ करोड़ रुपए में नीलाम हुआ. मोदी जी तो खैर, फकीर हैं, अपने सभी उपहार नीलाम करके वह राशि भी जनहित के कामों के लिए दान दे दी. वे सभी प्रकार के मान-अपमान से परे हैं, संत हैं लेकिन मैं तो साधारण आदमी हूँ. मैं तो अपने नेता के सूट के केवल ४.३१ करोड़ रुपए में नीलाम होने से शर्म के मारे मरा जा रहा हूँ. 


PM Modi's Suit Most Expensive Sold At Auction, Rules Guinness Records



अरे, ३५ साल पुराने बूट और वे भी एक काले आदमी के जिसे कोई भी गोरा पुलिस वाला मात्र २० डॉलर के एक नकली नोट के चक्कर में अपने घुटने से गरदन दबाकर मार सकता है, मोदी जी की सूट से भी महँगे नीलाम हुए. वह सूट जिसमें कम से कम  एक दो लाख के तो सोने के तार ही लगे हुए होंगे. जाने कितनी मेहनत और मन से किसी कलाकार ने बनाया होग. और ये जूते. एक तो साइज़ में ही इतने बड़े कि किसी के पैर में फिट न बैठें  और फिर खिलाड़ी के जूते. पसीने में सड़ रहे होंगे. 


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हमने तोताराम की पीठ पर हाथ रखा और कहा- दिल छोटा मत कर. महानता का मूल्यांकन पैसों से थोड़े ही होता है. सभी महान और अमूल्य चीजें सस्ती ही नहीं बल्कि मुफ्त मिलती हैं जैसे धूप, हवा, रोशनी और यहाँ तक कि जीवन भी. घटिया और फालतू चीजों का ही ज्यादा हल्ला मचाया जाता है. क्लिंटन और मोनिका लेवेंस्की के अन्तरंग क्षणों से अभिषिक्त वह ड्रेस गाँधी जी के चश्मे से दस गुना दामों में बिकी तो क्या गाँधी का महत्त्व कम हो जाता है ? धन के आधार पर मूल्यांकन तो अतिसामान्य लोगों का काम है. 

बोला- मास्टर, इस सूट और बूट की बात से मुझे एक बात ध्यान में आई कि जब मोदी जी ने सूट नीलम ही कर दिया तो राहुल मोदी जी की सरकार को सूट-बूट की सरकार क्यों कहते हैं.  

हमने कहा- इस हिसाब से तो मोदी जी को बूट भी नीलम कर देने चाहियें तो फिर राहुल उन्हें केवल 'सरकार' कह कर बुलाएँगे. कितना शालीन, रौबदार और दिल छू लेने वाला मस्त संबोधन है- 'सरकार'. जॉर्डन के बूट और मोदी जी के सूट की अब तक की बात और है लेकिन यदि आज के दिन मोदी जी अपने बूट नीलम करें तो करोड़ों रुपए क्या, अरबों डॉलर बरस जाएँगे. 

बोला- लेकिन बूट के बिना सरकारें नहीं चलतीं. तभी तो मोदी जी ने राम मंदिर के शिला पूजन के समय कहा था-

भय बिन होय न प्रीत. 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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