Jul 16, 2021

मोदी जी दिखाई नहीं दिए

मोदी जी दिखाई नहीं दिए 


तोताराम के बैठने से पहले ही हमने अपना एक सामान्य और सहज प्रश्न उछाला- तोताराम, आज मोदी जी दिखाई नहीं दिए !

बोला- वाह मास्टर, आज तो कुछ ज्यादा ही लम्बी फेंक रहा है. ऐसे बोल रहा है जैसे मोदी जी मेरी तरह रोज ही तेरे साथ चाय पर चर्चा करने के लिए आते रहते हैं. 

हमने कहा- भले ही मोदी जी तेरी तरह रोज हमारी खोपड़ी खाने के लिए नहीं आते और उनका आना हो भी नहीं सकता. लेकिन उनकी उपस्थिति हमारे लिए सुबह की सुहानी हवा, ब्रह्ममुहूर्त की प्रेरक बेला और भीषण गरमी में शाम की शीतल चांदनी. और ऐसी उपस्थिति किसी भौतिक उपस्थिति की मोहताज़ नहीं है. 

बोला- यह कविता रहने दे और साफ़-साफ़ बात कर.

हमने कहा- सुबह नेट पर समाचार पढ़ रहे थे तो ब्रिटेन में आयोजित  'जी-७ समिट' के फोटो पर नज़र पड़ी तो उसमें नौ लोग बैठे थे लेकिन मोदी जी कहीं दिखाई नहीं दिए. उनमें से कुछ को तो हम पहचानते हैं. पता नहीं ये दो और कौन थे ?

बोला- इन सात के अलावा यूरोपियन यूनियन के एक प्रतिनिधि के अतिरिक्त आस्ट्रेलिया, दक्षिणी अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और भारत आमंत्रित मेहमान भी है. 








हमने कहा- लेकिन मोदी जी तो नहीं थे. उनको तो दुनिया में सब पहचानते हैं. भीष्म या वशिष्ठ जी की तरह दुग्ध धवल दीर्घ दाढ़ी. सबसे अलग ही धज होती है अपने मोदी जी की. लेकिन जब नौ लोग पहुंचे तो मोदी जी क्यों नहीं गए. अब तो नया वाला प्लेन भी आ गया. उसमें जाते तो कुछ रोब पड़ता कि भारत किसी 'जी-७' से कम नहीं है. 

बोला- यहाँ भी तो जल्दी से जल्दी कोरोना को मिटाना है जिससे उत्तर प्रदेश के चुनावों की तैयारी में लगा जा सके.और फिर जब पेट्रोल इतना महंगा हो गया है तो अच्छा है कुछ बचत भी हो जाए.

हमने कहा- कहीं कोरोना से तो नहीं डर गए ?

बोला- सॉलिड इम्यूनिटी वाले एक ही तो नेता हैं दुनिया में. अरे, जब बंगाल के चुनाव में लाखों की रैली करते भी नहीं डरे तो दस लोगों में बीच जाने में कैसा डर ? 

हमने कहा- मोदी जी ज़ूम से शामिल हुए लेकिन मज़मा लूट लिया. ऐसा मन्त्र फेंका है कि अपने को दुनिया का फन्ने खां समझाने वालों को भी घर जाकर समझ आएगा कि यह 'एक पृथ्वी : एक स्वास्थ्य' का क्या मतलब होता है.

बोला- इससे पहले यह नारा होना चाहिए 'एक पृथ्वी : एक प्रधान'. 

हमने कहा- उससे क्या फायदा हो जाएगा ?

 बोला- जब पूरी पृथ्वी का एक प्रधान होगा तभी तो वह सारी पृथ्वी को एक प्रकार की स्वास्थ्य व्यवस्था के तहत ला सकेगा. 

हमने कहा- तो क्या एक प्रधान होने से भारत में तो स्वास्थ्य व्यवस्था एक प्रकार की और समान हो गई ?

बोला- कह तो दिया कि केंद्र सबको टीका मुफ्त लगवाएगा.

हमने कहा- यह कोई कहना नहीं होता. पहले बिहार और फिर बंगाल में कह रहे थे- हमें जिताओ तो टीका फ्री में देंगे.पहली बात तो सरकार का पैसा किसी पार्टी या नेता का नहीं होता जो दान में या वोट के बदले में बांटा जाए. जिनको कोवीशील्ड वाला टीका लग गया उनके बारे में यही तय नहीं हो पा रहा है कि उन्हें दूसरी डोज़ कब लगेगी. अमरीका जैसे देश में बाइडेन ने आते ही सबको धड़ाधड़ फ्री में टीका लगा दिया और अब मास्क फ्री हो गया. 

 यहाँ तो टीका है नहीं और टीका उत्सव मनाया जा रहा है. टीके के रेट ऐसे तय हो रहे हैं जैसे सब्जी मंडी में कोई चीमड़ ग्राहक धनिये के दो तारों के लिए सब्जी वाली से माथापच्ची कर रहा हो.  दिव्य वैदिक ज्ञान वाले पापड़, गोबर और काढ़े से इलाज कर रहे हैं.कोरोना में अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों का इलाज करने वाले डाक्टरों, नर्सों का मज़ाक उड़ाया जा रहा है.उन्हें बोगस और फ्रॉड बताया जा रहा है. ऊपर से यह और- किसी के बाप में हिम्मत है तो मुझे गिरफ्तार करके दिखाए.  ऐसे अंधविश्वास और अवैज्ञानिकता फैलाने वालों को तो कुछ कहते बनता नहीं और बात करेंगे 'एक पृथ्वी : एक स्वास्थ्य' की. 

मरने वालों की सही संख्या बताने से तो डर लग रहा है. टेस्ट कम करके महामारी को कम दिखाया जा रहा है.मुर्दों को फूंकने के लिए न लकड़ी है और न ही श्मशान. गंगा में तिर रही लाशों से भावुक होकर कविता लिख देने वालों को 'साहित्यिक नक्सल' का फतवा दिया जा रहा है. 

बोला- तो उपाय क्या है ?

हमने कहा- तोताराम, यह तो कोई बड़ा एम.बी.ए. बता सकता है. हम तो इतना जानते हैं कि विनम्रता, संवेदना से सबके साथ समान इंसानी व्यवहार कीजिए, दुनिया बिना किसी जुमले और नारे के अपने आप ही एक परिवार बन जाएगी. 

अचानक तोताराम का चेहरा एक अलौकिक आभा से देदीप्यमान हो गया. बोला- मास्टर, यदि यह 'एक पृथ्वी : एक प्रधान' का नारा लोगों को समझ आ गया और वे सहमत हो गए तो ऐसे में इस पृथ्वी के एक प्रधान के रूप में मोदी जी से बेहतर और कौन हो सकता है ? बड़ा विजन, उदार, वैदिक, वैश्विक सोच और साक्षात् प्रजापति ब्रह्मा जैसा भव्य विग्रह. भारत तो खैर, सच्चे अर्थों में 'विश्वगुरु' बन ही जाएगा, यह विश्व भी धन्य हो जाएगा.  लगता है कलयुग समाप्त होने वाला है और इस पृथ्वी पर सतयुग आने वाला है. 











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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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