Jul 7, 2021

सात साल बनाम साठ साल


 सात साल बनाम साठ साल 


आज जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा- अभी चाय के लिए थोड़ा रुक. चाय के साथ कुछ नाश्ते का प्रबंध भी है.

बोला- अवसर ?

हमने कहा- लोग तो आपदा में भी अवसर ढूँढ़ लेते हैं. कुछ लोग अवसर के लिए आपदा क्रियेट करते हैं. हम तो एक सामान्य दिन को एक सामान्य से अवसर में बदल रहे हैं. क्या कोई आपदा न होना ही अपने आप में एक अवसर नहीं है ?  

थोड़ी देर बाद पत्नी एक ट्रे में  एक प्लेट में नाश्ता और कप प्लेट में चाय लेकर आ गई. तोताराम बरामदे में फर्श पर बैठा था. हम खड़े हुए और कुछ झुककर उसे कप प्लेट में चाय पकड़ाई और पत्नी ने नाश्ते की प्लेट. बड़ी पोती ने तालियाँ बजाई और छोटी पोती ने फटाफट चार-पांच फोटो ले लिए. 

तोताराम अकबकाकर उठा, बोला- यह क्या नाटक है ? चाय पिला रहे हो या कोई महोत्सव मना रहे हो ?

हमने उसके सामने कल का अखबार रखते हुआ कहा- देख, पहचान. ये हैं कैलाश विजयवर्गीय जी. मँजे हुए सेवक. ज़मीन पर बैठी एक महिला हो सात अन्य सेवकों के साथ राशन दे रहे हैं. लगता है बहुत भारी है. कहीं गिर न पड़े इसलिए किसी आपात स्थिति में संभालने के लिए कई लोग आसपास खड़े हैं. एक अन्य व्यक्ति फोटो लेता भी दिखाई दे रहा है. 

बोला- वे तो मोदी जी द्वारा देश-सेवा के सात साल होने का उत्सव मना रहे हैं. 

हमने कहा- भगवान मोदी जी को शतायु करे. माशाल्लाह अभी तो जवानों को मात करते हैं. अभी तो बहुत सेवा करेंगे. यह 'अलां के सुशासन के पहले सौ दिन' 'फलां के शासन की पहली वर्ष गाँठ' तो वे मनाते हैं जिन्हें अपने बने रहने में हर वक़्त शंका बनी रहती है. तुम्हारा हमारे यहाँ चाय पीना एक बहुत बड़ा रिकार्ड है. साठ साल एक लम्बा अर्सा होता है. इतनी उम्र में तो एक अच्छा भला इंसान रिटायर होकर घर के बेड रूम से बरामदे में आ जाता है. लौह-पुरुष से निर्देशक मंडल हो जाता है. ऐसे में क्या हम तुझे निरंतर चाय पिलाने के साठ साल का यह छोटा सा उत्सव भी नहीं मना सकते ?   

बोला- मास्टर, क्या कहूँ लेकिन तू काम बहुत तुच्छ कर रहा है. 

हमने कहा- तो ये कैलाश जी विजयवर्गीय क्या कर रहे हैं ? दो किलो दाने देकर एक महिला के आत्मसम्मान का जनाज़ा निकाल रहे हैं. अरे, सेवा ऐसे की जाती है ? हमारे यहाँ तो कहा गया है कि दान ऐसे दो कि खुद के ही दूसरे हाथ को पता न चले. 

बोला- ये केवल दो किलो दाने ही नहीं हैं. इसके पीछे कितनी प्लानिंग, मनेजमेंट और प्रचार-प्रसार का आधारभूत ढाँचा है. अब यह निवेश ऊपर हाई कमांड तक जाएगा और उसके अनुसार हजारों गुना ब्याज के साथ वापिस लौटेगा. फिर कैलाश जी को ही दोष क्यों दे रहा है ? केंद्र सरकार के नवोदय और केंद्रीय विद्यालयों के प्रबंधन ने विद्यार्थियों को हिदायत दी है - 

वे प्रधानमंत्री को धन्यवाद का पत्र लिखें, धन्यवाद देते हुए वीडियो बनाएँ और उन्हें ट्वीट करें। “इस कठिन समय में छात्रों के साथ खड़े होने के लिए और परीक्षा रद्द करने के लिए मैं प्रधानमंत्री मोदीजी को धन्यवाद देती हूँ।” अपनी स्कूल की पोशाक पहनकर एक छात्रा ने ट्वीट किया। ऐसा ही अनेक दूसरे छात्रों से करवाया गया।

तुलनात्मक अध्ययन हमेशा किसी स्थिति को समझने के लिए अच्छा होता है। इसी देश में केरल के मुख्यमंत्री हैं जिनकी सरकार के सुप्रबंधन के लिए पूरी दुनिया तारीफ़ कर रही है लेकिन आपने उन्हें ख़ुद या उनके किसी मंत्री को युद्ध जीत लिया, मैदान मार लिया जैसी भाषा में बात करते नहीं सुना होगा। एक भी आत्मप्रशंसा का वक्तव्य नहीं। वे लगातार चुनौतियों की बात कर रहे हैं। जनता को स्थिति की गंभीरता बता रहे हैं। कोई सतही या हल्की बयानबाज़ी न केरल से सुनाई पड़ी और न मुंबई या महाराष्ट्र से। 

हमने कहा- हम तो माला भी गौमुखी में हाथ रखकर फेरते हैं कि कहीं इसका फल इंद्र न ले जाए. राम-रावण युद्ध में रावण की सेना के निरंतर छीजते जाने के लिए तुलसी कहते हैं- 

छीजहिं असुर दिवस अरु राती

निज मुख कहें सुकृति जेहि भाँती 

अपने मुख से अपने सत्कार्यों की चर्चा करने से भी उसका पुण्य समाप्त हो जाता है. ये तो फोटो खिंचवाकर जाने कहाँ-कहाँ प्रचार करेंगे. इससे कोई पुण्य नहीं मिलने वाला. अपने राजस्थानी में भी एक कहावत है-

ऐरण* की चोरी करै, कर ै सुई को दान 

ऊँचा चढ़कर देखर्या कद आवै विमान 

  (*निहाई, लोहे को कूटने के लिए नीचे रखा जाने वाला लोहे का टुकड़ा, अहरन.)

निहाई चुराकर सुई का दान करने वालों के लिए स्वर्गारोहण के लिए कोई विमान आने वाला नहीं है.

बोला- इन्हें स्वर्ग थोड़े ही जाना है.  यह तो पोलिटिक्स है.  इन्हें तो इस सेवा का प्रचार करके पद और पॉवर पाना है. लेकिन तेरी कौन सी चिरसंचित कामना अपूर्ण रह गई जो इस कीचड़ में उतरना चाहता है. 

हमने कहा- लोग तो संन्यास की उम्र में देश में घूम-घूम कर तरह-तरह के फैंसी ड्रेस शो करते फिर रहे हैं.  हमारा  क्या इसी बहाने परिवार का एक ग्रुप फोटो भी नहीं हो सकता ?

बोला- तो फिर एक फोटो और हो जाए. अबकी बार इस कप पर तेरा और भाभी का फोटो भी चिपका दे.


 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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