Jul 21, 2021

पेगासस की पोल


पोल और पेगासस 


तोताराम कल नहीं आया. कारण पूछा तो बोला- ऐसे ही. 

हमने कहा- कहता है सत्संग के लिए आता हूँ, चाय तो बहाना है. और अब ? हमें सब पता है.जब आम हों और वे भी दसहरी, खाने की पूरी छूट तो फिर चाय का किसे ध्यान रहता है ? नाश्ते में भी आम और फिर लंच में भी आम. 

बोला- बात तो सच है लेकिन तुझे पता कैसे चला ?

हमने कहा- हमने तेरे फोन में पेगासस घुसवा दिया है.

बोला- यह हिबिस्कस जैसा क्या है ?

हमने कहा- इसी का कोई भाईबंद है खुसर-फुसर, फुस-फुस. जैसे किसी की खिड़की या दीवार से कान लगाकर उल्टा-सीधा कुछ भी सुन सुनाकर ले भागो.

बोला- तो अगर हम लोग ऐसा किसी नेता या बड़ी कंपनी के सी ई ओ के फ़ोनों में घुसा दें तो ?   

हमने कहा- यह बहुत महंगा काम है. दस लोगों के लिए साढ़े आठ करोड़ का खर्चा है.

वैसे उससे होगा भी क्या ? इनके फोन टेप किये बिना ही दुनिया जानती है कि ये क्या बात करते होंगे ? आपस में एक दूसरे को लाभान्वित करके रिश्वत का लेन-देन करते होंगे. इनके फोटो में दिखने वाली बॉडी लेंग्वेज से क्या सब पता नहीं चल जाता ? और जहां तक नेताओं की आपसी बात की बात है तो वह हेनरी किसिंगर और निक्सन की इंदिरा गाँधी के बारे में निजी और बाद में प्रकट हो गई राय से समझा जा सकता है. ये सब ऐसे ही टुच्चे और घटिया लोग होते हैं. आज भी बहुत से छुटभैय्यों की बातों से पता चल जाता है कि इनकी किस प्रकार की ट्रेनिंग होती है ? क्या है इनकी 'नैतिक बाइबिल' ?

बोला- सुना है अपनी सरकार ने भी चालीस पत्रकारों और कुछ नेताओं के फोन में ऐसा ही कुछ घुसवा दिया है. भीमा कोरेगाँव वालों के कम्प्यूटरों में भी सुना है इसीके द्वारा घुसपैठ की गई थी. इस प्रकार तो भारत का लोकतंत्र रवांडा और अज़रबैजान जैसे देशों की श्रेणी में आगया है.


हमने कहा- यह सरकार की नीतियों का विरोध करने वालों का मुंह बंद करने के लिए ज़रूरी है.


बोला- लोकतंत्र में नीतियों का विरोध कोई पाप थोड़े ही है. 


हमने कहा- ज्यादा खिचखिच से त्वरित, निर्विघ्न और पूर्ण विकास में रुकावट आती है. इसलिए ऐसी खिचखिच को बंद करवाने के लिए ऐसा कुछ होना चाहिए.


बोला- लेकिन तूने यह इतना महँगा सिस्टम क्या मेरे आम खाने की जासूसी करने के लिए डलवाया है ?


हमने कहा- इतना महँगा काम हमारे बस का थोड़े है ? यह तो पेट्रोल-डीज़ल के दाम रोज बढ़ा सकने वालों के लिए संभव है. शाम को बंटी इधर से निकला था तो तेरे बारे में पूछा तो पता चला कि उसके ननिहाल से आमों की एक पेटी आई है और तू सुबह से आमों  पर पिला पड़ा है. 


बोला- वैसे हमारे देश को ऐसे किसी 'पोल पकड़ पेगासस' की ज़रूरत भी नहीं है. हम तो सूंघकर ही बता सकते हैं कि किसके यहाँ कल शाम को किसका छोंक लगा था ? कल किसने शाही पनीर खाया था ? किसके फ्रिज में किस जानवर का मांस रखा है ? कौन ऋषि हमारा इन्द्रासन झपटने के लिए तपस्या कर रहा है ?  दाढ़ी, पायजामे, टोपी, चोगे से ही 'चादर फादर' का पता लगा लेते हैं और तय कर लेते हैं ?  किस पर कैसे, कौनसी धारा लगवानी है ?  फोन टेप करने की क्या ज़रूरत है, पुलिस के द्वारा इक्कीसवीं शताब्दी में जन्मे युवक से उन्नीसवीं शताब्दी में मारे गए लिंकन की हत्या कबुलवा सकते हैं.


हमने कहा- और मान ले जिसकी जासूसी करें वह दो दिन बाद अपनी पार्टी में आ जाए तो इतना खर्च बेकार गया ना. ऐसे जीरो परसेंट इंटरेस्ट वाले इन्वेस्टमेंट से क्या फायदा ? यूएपीए, एनएसए और ईडी किस मर्ज़ की दावा हैं ? 


बोला - अपने वाले मंत्रियों के पीछे भी जो पेगासस लगा रखा है उसका क्या मतलब है ?


हमने कहा- राजनीति कहती है कि बाप का भी विश्वास मत करो. 








 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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