Apr 10, 2022

न भूतो न भविष्यति


न भूतो न भविष्यति 

तोताराम की ऊंचाई कम है मतलब लाल बहादुर शास्त्री जी जितनी. हालांकि तोताराम शास्त्री जी जितना महान नहीं है फिर भी नीच और कमीना भी नहीं है. जबकि बहुत से लोग ऊंचे क़द के होने पर भी नीयत से बहुत घटिया होते है. ५० इंच का सीना होने पर भी अन्दर से बहुत बुजदिल होते हैं.तोताराम को अपने ठिगने क़द को लेकर कोई कुंठा नहीं है इसलिए आसमान देखता नहीं चलता. सामने देखकर सीधा चलता है. कमर और गर्दन ९० डिग्री के कोण पर.

पिछले कुछ दिनों से तोताराम की गर्दन और कमर ९० से क्रमशः ८०-८५  के कोण की तरफ झुकने लगी है. पहले पूछा तो बोला- मोदी जी की कृपा से मुफ्त का टीका लगवाकर आभार व्यक्त कर रहा हूँ. फिर जब ७५ के कोण पर आगया तो कारण बताया- मोदी जी ने १०० करोड़ टीके लगवा दिए  तो इतना झुकाव तो बनता ही है.

आज तोताराम की कमर ७० के कोण पर आ पहुंची. हमने टोका- तोताराम, इस हिसाब से तो तू २०२४ तक  'कनक दंडवत' की मुद्रा में आ जायेगा. 

बोला- वैसे तो सारा देश ही मोदी जी के आभार में झुका जा रहा है फिर भी यह 'कनक दंडवत' क्या होती है ?
 
हमने कहा- जब कोई भक्त अपने आराध्य की ओर सामान्य रूप से चलने की बजाय साष्टांग दंडवत करता चलता  है उसे 'कनक दंडवत' कहते हैं. साष्टांग दंडवत होकर जहां तक उसके हाथ पहुंचते हैं, पुनः वहाँ खड़ा हो जाता है. वहां से फिर साष्टांग किया जाता है. इस प्रकार समस्त दूरी भूमि से शरीर का अष्टांग स्पर्श कराते हुए नापी जाती है. बहुत कठिन हठयोग है. 

बोला- क्या करूं ? उधर मोदी जी उपचुनावों में पटखनी खाने के बाद अपनी दयालुता का परिचय देने को मज़बूर हो गए हैं. उत्तर प्रदेश के बाद लोकसभा चुनाव आते भी कौन सी देर लगती है. सो ५० रु. बढाकर ५ रु. की ऐतिहासिक राहत दे दी. ऐसे में अपनी राजस्थान सरकार को भी ५ रु. की राहत देनी पड़ी. सो समझ ले, पांच डिग्री मोदी जी के आभार में और पांच डिग्री गहलोत जी के आभार में कमर झुक गई. और पहुँच गई ७० के कोण पर.

हमने कहा- पांच साल में किसानों की आमदनी दुगुनी हुई हो या नहीं लेकिन कुकिंग गैस के दाम ज़रूर दो गुना बढ़ गए हैं. अब सुना है मोदी जी फटी में  'गोगा जी को धोकने वाले'  हैं. 

बोला- क्या मतलब ?

हमने कहा- सुना है, गैस पर सौ-दो सौ रुपए की एक मुश्त रियायत की घोषणा करने वाले हैं.
 
बोला- क्यों, क्या अब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के नियम लागू नहीं हो रहे ? 

हमने कहा- आपत काले मर्यादा नास्ति. 

बोला- मास्टर, राजनीति तो अब हर हालत में डराती है.सरकार दाम बढाए तो हमारा बजट खराब और घटाए तो लगता है कोई बड़ी ठगी का इरादा है, १५ लाख के जुमले की तरह. 

हमने कहा- इसी बात पर एक कहानी सुन.

एक किसान था.  मोदी जी से भी बड़ा प्रेक्टिकल. उसकी बकरी ब्याने वाली थी. संयोग ऐसा हो रहा था कि कभी बच्चे के पैर थोड़े  बाहर आयें और जैसे ही किसान उन्हें खींचने वाला हो तो पैर फिर अन्दर. परेशान किसान कभी सौ का, कभी पांच सौ का प्रसाद बोलने लगा. बढ़ते-बढ़ते वह पांच हजार रुपए के प्रसाद तक आ गया. उसकी पत्नी बोली- मरे, तेरी यह बकरी तो चार हजार की भी नहीं है और तू प्रसाद बोल रहा है पांच हजार का. सही सलामत ब्या गई तो घाटे में रहेगा. 

किसान बोला-  एक बार खुरिया (पैर) हाथ आ जाने दे फिर तो हनुमान जी ही क्या, रामजी तक को समझ लूंगा. 

तोताराम बोला- समझ गया. इसका मतलब २०२४ का चुनाव जीतने के बाद एक ही झटके में पेट्रोल ५०० रु. और गैस २००० रु. 

हमने कहा- और क्या. मछली फँस जाने के बाद कांटे में चारा कौन लगाता है ?  

बोला- लेकिन उसके बाद कोई चुनाव नहीं आएगा क्या ? २०२९ में समझ लेंगे. 

हमने कहा- तो क्या हम तब तक बैठे रहेंगे ? और तब तक मोदी जी भी तो अपने बनाए नियम के अनुसार स्वेच्छा से  'निर्देशक मंडल' में नहीं चले जायेंगे ? 

बोला- मोदी जी नियमातीत, तर्कातीत और अनुमानातीत हैं.

हमने कहा- लेकिन यह भी तो हो सकता है कि वे २०२४ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में, एक बार भाजपा को फिर तीन चौथाई बहुमत दिलाकर, संविधान बदलकर, देश को हिन्दू राष्ट्र बनाकर,  अचानक त्यागपत्र देकर हिमालय में चले जाएँ और गाँधी से भी बड़े होकर 'देश के पितामह' के रूप में स्थापित होकर अलौकिक सिद्ध हो जाएँ. 

न भूतो न भविष्यति प्रधानमंत्री. 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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