Apr 20, 2022

हनुमान जी की हैप्पी वेडिंग एनिवर्सरी

हनुमान जी की हैप्पी वेडिंग एनिवर्सरी 


आज हनुमान जयंती है. हनुमान सामान्य साधनहीन लोगों के प्रिय देवता हैं. जहां तक विष्णु की बात है तो वे लक्ष्मी के पति हैं. लक्ष्मी के बारे में यहाँ कहा जाता है कि

'पर्यो अपावन ठौर पे कंचन ताजे न कोय' 

लेकिन हनुमान जी के पास क्या है जो पैसे वाले उनकी पूजा करें. हाथ में गदा, न कोई पैर दबाने वाली, न कोई खाना बनाकर खिलाने वाला, न कोई सुविधाजनक आवास व्यवस्था. किसी को कुछ देने के लिए 'हनुमान केयर' जैसा कोई बिना हिसाब वाला 'फंड' भी नहीं. ऊपर से किसी को भूत पिशाच का डर लगा नहीं कि हुई हनुमान जी की पुकार. न जाएँ तो मुश्किल. कोई नेता तो हैं नहीं कि सबके खाते में १५-१५ लाख का वचन देकर गद्दी हथिया लें. कोई फरियाद करे तो अदालत उनके पक्ष  कह दे कि इस झूठ का कोई दंड विधान नहीं है. तो फिर किसी महिला को शादी का झांसा देकर शोषण करने वाले ने ही क्या गलत किया ? 

सो जाना पड़ता है हर भूतपिशाच पीड़ित की पुकार पर. और जहां तक भूतों पिशाचों की बात है तो आजकल तो देश के हर कोने में, गली-गली में पिशाच ही भरे पड़े हैं.

हाँ, साधारण लोग हनुमान जी सेबहुत प्रेम करते हैं. कारण एक नहीं अनेक हैं. हनुमान जी के लिए हर रोज दिन में दो बार भोजन की व्यवस्था की ज़रूरत नहीं. जब, जो आगे रख दिया उसी में बाबा प्रसन्न. पूजा भी करो या नहीं, कोई बंधन नहीं. न कृष्ण या विष्णु की तरह सुबह-सुबह स्नान, चन्दन, पुष्प आदि का नाटक. न ऋतु  के अनुसार वस्त्र और भोजन. कभी मन हुआ तो तेल में मिलाकर सिंदूर लेप दिया. नहीं तो उसके बिना भी काम चलेगा. राम की तरह दस-बीस हजार करोड़ का मंदिर भी दरकार नहीं. सौ-पचास ईंटों में बन जाता है बाबा का मंदिर. 

हम हनुमान-चिंतन में व्यस्त थे कि तोताराम ने व्यवधान डाला, बोला- चल, आज तो मंदिर चले चलें. बाबा का जन्म दिन है. 

हमने कहा- याद नहीं, राम नवमी का जुलूस. अपना सीकर कोई महानगर नहीं है, दुनिया के नक़्शे में कोई गिनती नहीं है, फिर भी ११०० जवान कानून व्यवस्था संभालने में लगे मानों किसी बड़े आक्रमण के खतरे से निबटना था . १०० डी जे,  ५० झांकियां, हेलिकोप्टर से पुष्प वर्षा. 

यहाँ तो खैर, जनता इतनी मूर्ख नहीं है लेकिन इस दिन देश में क्या क्या हुआ ? पता है ?आज धर्म, भक्ति और संस्कृति की आड़ में हनुमान भक्तों का अखाड़ा जमेगा. पता नहीं क्या हो जाए. सुरक्षा की दृष्टि से हम तो घर पर रहना ही ठीक समझते हैं. और फिर १०० डी जे की आवाज़ में क्या तो हनुमान से कहेंगे और क्या हनुमान जी की सुन पायेंगे. वैसे भी बाहर के शोर में भक्ति कैसे हो सकती है. डी जे के शोर में तो देखा-देखी हल्ला गुल्ला, नारे और मार पीट ही हो सकती है. हो सकता है कोई ज्यादा भक्ति के जोश में आ जाए तो 'फायर' भी कर सकता है. तुझे पता है- आजकल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम चला है, नशे में, अहंकार में, महाबलित्त्व दिखाने के लिए फायर कर देना,  'हर्ष फायरिंग'. 

हाँ, यदि तुझे हनुमान जी की वेडिंग एनिवर्सरी मालूम हो तो बता देना, एक मेसेज कर देंगे, ट्वीट कर देंगे, ज्यादा कहेगा तो मंदिर में चलकर एक गुलाब दे आयेंगे. 

बोला- यह क्या अनर्थ भाखता है. हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं. सच्चा भक्त होने के लिए ब्रह्मचारी होना बहुत ज़रूरी. हमारे भारतीय चिंतन का तो यही मानना है कि महान होने के लिए ब्रह्मचर्य बहुत महत्त्वपूर्ण क्वालिफिकेशन है. ब्रह्मचर्य पवित्रता का स्पष्ट मापदंड है. ईसाई चर्चों में सभी धार्मिक स्त्री-पुरुषों से कानूनी ब्रह्मचर्य की अपेक्षा की जाती हैं.नौकरी के चक्कर में शादी नहीं करते लेकिन वास्तव उनमें से अधिकतर कैसे होते हैं और क्या करते हैं, यह सब दुनिया जानती है. अपने अन्तकाल में बुद्ध भी बौद्ध विहार जहां भिक्षु-भिक्षुणियाँ साथ रहते थे, भंग करने की सलाह दी थी. उन्हें अनसुना कर दिया गया वह बात और है. 

हमने कहा- रामायण में जब हनुमान जी पाताल लोक में राम-लक्षमण को छुड़ाने के लिए जाते हैं तो वहाँ का सिक्योरिटी ऑफिसर मकरध्वज उन्हें जाने नहीं देता और अपना परिचय हनुमान-पुत्र के रूप में देता है. बाद में स्पष्ट होता है कि जब हनुमान जी लंका जलाकर पसीने से लथपथ होकर समुद्र में अपनी पूंछ बुझाने गए तो उनके पसीने को एक मछली पी गई और गर्भवती हो गई. इस प्रकार मकरध्वज हनुमान जी का पुत्र हुआ. 

बोला- ये सब तो पौराणिक गप्प हैं. और कोई ठोस बात हो तो बता. 

हमने कहा- हनुमान साउथ के थे. अब भी उनका हैडक्वार्टर कर्नाटक में माना जाता है. तेलंगाना के खम्मम जिले में हनुमान और उनकी पत्नी सुवर्चला का मंदिर है. 

बोला- शिव परिवार की तरह क्या उस मंदिर में हनुमान जी के बाल बच्चे भी स्थापित हैं ?

हमने कहा- नहीं. सुवर्चला सूर्य की पुत्री थी. हनुमान जी सूर्य के शोध छात्र थे. शोध छात्रों की मजबूरी तुम जानते ही हो. हनुमान जी ब्रह्मचारी रहना चाहते थे लेकिन कुछ विद्याएँ अविवाहितों को नहीं दी जा सकती थीं इसलिए विवाह ज़रूरी था. इसका रास्ता निकाला खुद सूर्य ने. उनकी पुत्री सुवर्चला सदा तपस्या में लीन रहती थी. विवाह के लिए उसे जगाया गया, हनुमान जी का विवाह हुआ और वह तत्काल फिर तपस्या में लीन हो गई. इस प्रकार विवाह भी हो गया, ज्ञान भी प्राप्त हो गया, ब्रह्मचर्य भी बना रहा. 

बोला- ढके भरम रह गए. वास्तव में शादी हो गई होती, बाल-बच्चे हो गए होते तो हो गई होती राम की सेवा. भक्त भूत पिशाच से बचाने की गुहार लगाते रह जाते और हनुमान जी कहीं बच्चों को कोरोना का टीका लगवाने के लिए लाइन में लगे हुए होते. 

हमने कहा- सुना है, हनुमान जी के इस सपत्नीक मंदिर की बड़ी मान्यता है. जो भी वहाँ जाता है उसके घर में शांति बनी रहती है. 

बोला- जब शादी करते ही पत्नी समाधि में चली जाए तो अशांति होने का प्रश्न ही कहाँ उठता है.अगर आज बुद्ध आदि पत्नियों को त्यागकर सेवा करने वालों की पत्नियां किसी दिन उनकी किसी रैली, रोड़ शो या प्रवचन में पहुँच जाएँ तो बोलती बंद हो जाए.  तन-मन की सारी बात भूल जाएँ.

लेकिन अब तो राम कार्ड की तरह हनुमना कार्ड चल चुका है. देश के चारों कोनों में रक्षा की व्यवस्था करने के लिए चार धामों की तरह हनुमान जी की चार विशाल प्रतिमाएं लगाई जा रही हैं.आज ही मोरबी में १०८ फुट ऊंची हनुमान प्रतिमा का मोदी जी रिमोट से उद्घाटन कर रहे हैं. 

हमने कहा- तोताराम, एक बात तो है, बड़ी प्रतिमाएं आराध्य के धर्य की बड़ी कठिन परीक्षा लेती हैं. छोटी प्रतिमा हो और ऊपर छाजन हो तो धूप, वर्षा, ठण्ड से बचाव हो जाता है. कुछ भक्त अपने आराध्य को कम्बल, हीटर, थ्री पीस सूट भी उपलब्ध करवा देते हैं लेकिन १०८ फुट की प्रतिमा के लिए यह कैसे संभव हो सकता है. भक्त तो रजाई में घुस कर, कूलर चलाकर सर्द-गरम मौसम झेल जाते हैं लेकिन मूर्तिमंत भगवान के कष्ट के बारे में सोचकर भी कलेजा मुंह को आ जाता है. हो सकता है इससे भक्तों तथा धर्म का धंधा और राजनीति करने वालों का हित साधन हो जाता हो लेकिन प्रभु को तो कष्ट झेलना ही पड़ता है. यदि ऐसी मूर्तियाँ पहाड़ों पर स्थापित कर दी जाएँ तो प्रभु किसी गुफा में घुसकर ही शायद अपना बचाव कर सकें लेकिन खुले में तो वह सुविधा भी नहीं. 

बोला- तुझे पता है अब तो अपने यहाँ भी पलसाना रोड़ खंडेला में ७५ लाख रूपए की लागत से गदावाले हनुमान जी के एक मंदिर का आज ही उद्घाटन हो रहा है जिसके गेट पर २८ फुट लम्बी और ३२ फुट गोलाई वाली गदा रखी हुई है. 

हमने कहा- चलो हर समय कंधे पर गदा धारण किये रहने से थोड़ी देर के लिए तो मुक्ति मिलेगी. 

बोला- लेकिन गदा के बिना से भूत पिशाचों का नाश कैसे करेंगे. 

हमने कहा- उसके लिए अब हनुमान जी की कोई ज़रूरत नहीं रह गई है. गली गली में बेरोजगार युवक धर्म की रक्षा के लिए भगवा झंडा लहराते हुए मोटर साइकिलों पर सवार होकर जोशीले नारे लगाते हुए निकल पड़े हैं. अब भूत पिशाच तो दूर भले आदमी भी घरों से निकलने में घबराने लगे हैं.  और अगर कभी संयोग से गेट वाली गदा मंदिर प्रवेश करने वालों पर गिर पड़ी तो पांच-सात की तो वैसे ही मोक्ष को जायेगी.




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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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