Apr 19, 2022

अखंड भारत का स्वागत

अखंड भारत का  स्वागत  


आज तोताराम के आने से पहले ही हम बरामदे में अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने बैठ गए.

जैसे ही तोताराम आया, बरामदे के पास खड़ा-खड़ा मंत्रमुग्ध हमें देखता रहा. कुछ देर देखते-देखते जब बोर हो गया तो बोला- अब बस भी कर. बहुत खींच ली गली की गन्दी हवा. अरे, प्राणायाम वहाँ किया जाता है जहां साँस लेने लायक हवा हो. इस हवा में क्या है ? वाहनों का धुआँ और मंडी में सड़ते कूड़े की बदबू. कभी दिल्ली जाए तो ७. लोक कल्याण मार्ग के आसपास बैठकर कर आना अनुलोम विलोम. यहाँ तो जितना कुम्भक (सांस रोकना) करेगा उतना ही सुरक्षित रहेगा. वैसे आज इस आमूल-चूल परिवर्तन का कारण क्या है ? क्यों आत्मा को भटकाता है. शतायु हो गया तो भी निर्देशक मंडल को अब इस देश में कोई पूछने वाला नहीं है. 

हमने कहा- सुनते आये हैं कि प्राचीन काल में जब भारत अखंड था तब सब कुछ ठीक था. घी दूध की नदियाँ बहती थीं,सामान्य लोग भी सौ-सौ बरस स्वस्थ रहते हुए जीते थे. ऋषि मुनि तो हजारों साल तक तपस्या करते थे. राम जी के राज में तो- 

माँगे वारिद देयँ जल रामचंद्र के राज.

आज की तरह नहीं कि या तो सूखा पड़े या बाढ़ आये. लोग पीने के पानी के लिए भी नल या टेंकरों के सामने लाइन लगाएं. 

बोला- तभी लगता है लोग राम नवमी को इतने आक्रामक जुलूस निकाल कर फ़टाफ़ट देश को राममय बना देना चाहते हैं कि सभी समस्याएं जल्दी से जल्दी हल हो जाएँ.

लेकिन बात तो तेरे इस अनुलोम-विलोम प्राणायाम से शुरू हुई थी. 

हमने कहा- हमें तो भागवत जी के बयान के बाद लगा कि किसी तरह १५ साल और निकाल दें तो सुखमय अखंड भारत में रहने की साध पूरी हो जाए.

बोला- रामलीला में दिखाते हैं कि रावण के अंतिम समय जब राम के कहने पर लक्ष्मण जी उससे ज्ञान लेने गए तो रावण ने कहा- किसी भी काम को टालना नहीं चाहिए. मैं भी तीन काम करना चाहता था एक- चाँद-सूरज तक सीढियां बनवाना, दूसरा-सोने को सुगन्धित और तीसरा- आग को धुंआ रहित बनाना. लेकिन नहीं कर सका.

आज तक किसके वचन सच हुए हैं, किसके मन की साध पूरी हुई है ?

हमने कहा- लेकिन हमें भागवत जी के कथन पर पूरा विश्वास है. उन्होंने कहा है कि यदि सबका सहयोग मिले तो १५ साल में भारत फिर से 'अखंड भारत' बन जाएगा और यह सब हम अपनी आँखों से देखेंगे.और जब 'हाथ में डंडा' हो तो कौन सी साध है जो पूरी नहीं करवाई जा सके.

बोला- भागवत जी अभी मात्र ७०-७१ वर्ष के हैं, स्वस्थ हैं, ब्रह्मचारी हैं, शांत चित्त और सकारात्मक सोच वाले संत हैं, ऋषि हैं, वे ज़रूर देखेंगे. ऋषि सैंकड़ों साल सक्रिय जीते थे. लेकिन हम तो ८० के हो चले, हड्डियां हरि-कीर्तन कर रही हैं पता नहीं, कब रघुपति राघव राजा राम हो जाए ?  

हमने कहा- इस भजन की अगली लाइन मत बोलना. उसमें 'ईश्वर अल्ला तेरे नाम' आता है और वह अखंड भारत से मेल नहीं खाती. अखंड भारत में सभी आर्यपुत्र थे, कोई यवन, म्लेच्छ और विधर्मी नहीं था. सभी अमृत संतान.

हम इसीलिए तो प्राणायाम कर रहे थे कि कुछ भी हो जाय, मोहन भागवत जी के अखंड भारत को देखने के लिए कुछ भी करके अगले १५-२० साल तो जमे ही रहेंगे.

बोला- खाली प्राणायाम से काम नहीं चलता, कुछ पेट में भी जाना चाहिए. तुझे पता नहीं कि हर समय फिट रह कर सब को हिट करते रहने वाले, बुढ़ापे में भी स्वस्थ रहने वाले जनता के सेवक क्या-क्या गिज़ा खाते हैं ? 

हमने कहा- याद रखो, आशा सारे अभावों के बावजूद जीव को जीवित रहने की शक्ति प्रदान करती है जैसे कि आज डी जे की धुन पर नाचते, उत्तेजक नारे लगाते, कहीं भी चढ़ कर झंडा गाड़ देने को लालायित, किसी को भी गरियाने और हड़काने वाले १५ से ३० साल की आयु के इन राम सैनिकों को 'अखंड भारत और राम-राज' की आशा के कारण ही तो अच्छी शिक्षा, भोजन, नौकरी और स्वास्थ्य कोई चिंता नहीं सता रही है. 

बोला- मास्टर, भ्रम में मत रह. ऐसे राम राज नहीं आता. राम जब वनवास से लौटे थे तब वे सेना के साथ नहीं लौटे थे.रावण से युद्ध करने के लिए बन्दर-भालुओं की जो सेना बनाई थी, युद्ध के बाद उसे भंग कर दिया था. उनसे कहा था-

अब तुम सब निज-निज घर जाहू

सुमिरेहु मोहि डरपहिं जनि काहू 

मतलब अपने-अपने घर जाओ और ज़िम्मेदार नागरिक बनो, युद्ध स्थायी भाव नहीं है, 'सुमिरेहु मोहि'  मतलब मेरी मर्यादाओं को याद रखना. 

अब तू ही बता राम के जन्म दिन पर , राम के नाम पर किसी का घर गिरा देना या किसी के तरबूज फेंक देना कौन सी राम की मर्यादा है ?  

ऐसे कोई देश अखंड नहीं बनता. यह देश तो अब भी अन्दर से अखंड ही है. और अखंड है तो बुद्ध, कबीर, नानक जैसे संतों के कारण. यदि उन संतों की वाणी नहीं सुनी तो याद रखना यह देश इतने टुकड़ों में बंट जाएगा कि समेटते नहीं बनेगा.  





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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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