Apr 23, 2022

मोदी जी का 'बोल बम' भाव


मोदी जी का 'बोल बम' भाव 


हम और तोताराम बरामदे में बैठे हैं. तोताराम ने चाय का गिलास उठाते हुए पूछा- क्या सोच रहा है ? उठा गिलास और बोल,  थ्री चियर्स फॉर मोदी जी.

हमने कहा- किस बात की थ्री चीयर्स ?

बोला- उनके बढ़ते भाव के लिए.

हमने कहा- क्या मोदी जी कोई वस्तु हैं, किसी कंपनी के शेयर हैं, तेल-डीज़ल-गैस हैं के भाव हैं ?

बोला- मेरा मतलब मोदी जी के 'प्रभाव' से था. और फिर यदि तू इस तरह वस्तुरूप में समझता है तो भी जिस तरह देश में तेल-डीजल के भाव कभी कम नहीं होते वैसे ही मोदी जी के 'भाव' कभी डाउन नहीं होते. 

हमने पूछा- जब भाव तय करने वाले खुद ही हैं तो डाउन होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता. वैसे कैसा प्रभाव ? कब, कैसे, किस क्षेत्र में बढ़ा ? और तुझे पता कैसे चला ? बाज़ार भाव में तो गेहूँ, गुड़, सरसों तेल आदि की तरह छपते नहीं नेताओं के भाव. फिर पता कैसे चला ?

बोला- फिलहाल तो 'ऑपरेशन गंगा' के कारण प्रभाव बढ़ा है. उन्होंने खुद ही पुणे में सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय के स्वर्णजयंती समारोह में बोलते हुए बताया है कि  'ऐसे समय में जब यूक्रेन से अन्य देशों को अपने नागरिकों को निकालना मुश्किल हो रहा है, हम अपने लोगों को बाहर निकालने में कामयाब रहे। यह दुनिया में भारत के बढ़ते प्रभाव को साबित करता है।'

हमने कहा- हमें तो पता चला है कि शक्तिशाली और समझदार देशों ने तो समय रहते अपने नागरिकों को बहुत पहले ही निकाल लिया था. हमारे दूतावासों ने तो निर्देश ही बहुत देर से दिए और जहां छात्र फंसे थे वहाँ तो कोई गया भी नहीं. छात्र अपनी समझ और जोखिम के बल पर यूक्रेन से निकले हैं. सुना है जब यूक्रेन में छात्र बंकरों में भूखे-प्यासे मौत के साए में थे तब मोदी जी बाबा विश्वनाथ के वहाँ किंग साइज़ डमरू बजा रहे थे. 

बोला- तो बहत्तर साल की उम्र में इतना बड़ा डमरू क्या अपने लिए बजा रहे थे ? वह भी तो उन छात्रों की सुरक्षा  के लिए ही तो बजा रहे थे. 

हमने कहा- इससे छात्रों  सुरक्षा कैसे हो रही थी ?

बोला- जब ताली-थाली से कोरोना को भगाया जा सकता है तो यह तो शिव का डमरू है. तुझे पता होना चाहिए बम का आविष्कार अमरीका ने नहीं बल्कि हमारे बोले बाबा ने सृष्टि के प्रारंभ में ही कर दिया था. इसलिए छात्रों को किसी भी 'बम' हमले से बमभोले के अलावा और कौन बचा सकता है ? 'बोल बम'.  



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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