Feb 7, 2009

साइकिल के अंधे को भगवा ही भगवा


राजस्थान के शिक्षा विभाग की लड़कियों को स्कूल जाने के लिए साइकिलें बाँटने की योजना थी । कुछ साइकिलें बाँट दी गयीं और कुछ को बाँटा जाना बाकी था । तभी हुआ यह कि सरकार बदल गयी । पिछली सरकार भाजपा की थी और भाजपा की पितृ-पार्टी का रंग भगवा है तो सरकारी साइकिल का रंग भी भगवा होना ज़रूरी था । सो साइकिल का रंग भगवा हो गया । वैसे तो भगवा रंग भारत के तिरंगे झंडे में सबसे ऊपर है पर उसकी भी एक शर्त है कि यदि भगवा रंग है तो उसके साथ उतनी ही मात्रा में सफ़ेद और हरा रंग भी होना चाहिए । यदि यह झंडा कांग्रेस का है तो रंग तो ये ही रहेंगे पर बीच में चक्र की बजाय चरखा होना चाहिए । चक्र तो चरखे में भी है पर चरखा आज किसे चलाना आता है ? राहुल गाँधी को भावी प्रधान-मंत्री के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है तो चरखा तो चलाना आना ही चाहिए । कपड़े भले ही कोई खादी के न पहने पर गाँधी जयन्ती पर दो चार मिनट तक चरखा कातने की मज़बूरी तो है ही सो राहुल गाँधी आजकल चरखा चलाना सीख रहे हैं । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ चूँकि वीर संगठन है इसलिए उसने केवल भगवा रंग ही रखा है । गाँधी में ज़्यादा विश्वास न होने के कारण चरखा कातना उनके लिए आवश्यक नहीं है । यह बात और है कि हमने दिल्ली के केशव-कुञ्ज में अधिकतर बुजुर्गों को शुद्ध खादी ही पहने देखा है ।

तो बात हो रही थी साइकिल के रंग की । हमें साइकिल चलानी नहीं आती इसलिए हम साइकलों को बड़ी हसरत से देखते हैं । इस घूरने में हमने पाया कि साइकिलों का रंग प्रायः काला ही होता है । इसके बाद वाहन केवल यात्रा के ही साधन नहीं रहे, वे स्टाइल मारने के साधन भी हो गए । तो फिर उनके रंगों पर ज़्यादा ध्यान दिया जाने लगा । सो साइकिल के रंग भी लाल, नीले, हरे आदि होने लगे । पर यह सच है कि हमने अभी तक भगवा रंग की साइकिलें नहीं देखीं । सो जो बँट गई सो बँट गईं, अब जो बँटेंगी उनका रंग काला होगा । चलो हम तो कांग्रस के अशोक गहलोत की समझ और सादगी की दाद देते हैं कि उन्होंने साइकिलों का रंग तिरंगा नहीं करवाया वरना कभी न कभी ऐसी साइकिलों के कारण तिरंगे के अपमान का मुद्दा भी कोई न कोई देशभक्त उठा ही सकता था । 'ब्लेक इज फार एवर' । और काले रंग पर दूसरा रंग चढ़ भी नहीं सकता । पक्का काम । और काला किसी पार्टी का रंग भी नहीं बल्कि काले रंग से तो सब डरते हैं, चाहे काले झंडे हों या बाँहों पर काली पट्टी ।

रंगों से आदमी को ज़्यादा परेशानी होती है क्योंकि वह रंगों को स्वाभाविक नहीं रहने देता वह उन से प्रतीक बनाता है, संकेत और भाषा बनता हैं । उसे गाड़ी को चलने के लिए हरा रंग, रोकने के लिए लाल रंग चाहिए; संधि करनी हो तो सफ़ेद रंग से संकेत दिया जाता है । हालाँकि कहा जाता है सांड लाल कपड़े से चिढ़ता है पर वास्तव में सांड को रंगों के इतने भेद मालूम ही नहीं हैं । चिढ़ता तो वह अपने सामने बार-बार कपड़ा हिलाने से है । बहुत से पशुओं को केवल काला और सफ़ेद रंग ही दिखते हैं । मनुष्य को भी कभी रंग अन्धता हो जाती है । सावन के अंधे को हमेशा हरा ही हरा दीखता है । सच्चे पार्टी-भक्त को भी ऐसी ही रंग अन्धता होती है पर समझदार लोग इस चक्कर में नहीं पड़ते । वे उस पार्टी का रंग ही देखते हैं जिसकी सरकार बनने वाली होती है । वे गिरगिट से भी ज़ल्दी रंग बदल लेते हैं । गिरगिट निंदा का पात्र नहीं है क्योंकि वह तो अपनी प्राण-रक्षा के लिए रंग बदलता है मगर जो केवल सत्ताधारी पार्टी में जाकर केवल नोट कमाने के लिए रंग बदलना चाहते हैं वे गिरगिट से भी बदतर हैं ।

प्रकृति को देखो, वह रंग बदलती है- क्षण-क्षण रंग बदलती है । बताइए कौन सा रंग बुरा लगता है ? उसके सारे रंग सबकी आँखों के लिए हैं । सबको सुहाते हैं । रंगों की पार्टी मत बनाइये । हर रंग को पहचानिये । उसको समझिये । कभी आदमी खून की कमी से पीला पड़ जाता है, कभी डर से पीला पड़ जाता है, कभी प्यार से शरमा कर गुलाबी हो जाता है, कभी गुस्से से लाल-पीला हो जाता है, कभी उसकी तबियत हरी हो जाती है, कभी आँखों के आगे स्याह अँधेरा छा जाता है, कभी लहू का लाल रंग सड़कों पर बिखर जाता है, कभी खून का यही लाल रंग उसकी आँखों से टपकने लग जाता है । इन रंगों का मतलब समझकर उसके सुख-दुःख में शामिल होइए ।

अब तो प्रकृति हजारों-हज़ार रंगों में प्रकट हो रही है । ये सब हमारे ही जीवन के रंग हों । हम सब इन रंगों में रंग जाएँ । छोड़िए पार्टियों के कीचड़ में रँगे साइकिलों के रंग । साइकिल रंग से नहीं चलती, वह चलती है चलाने वाले की टाँगों की ताकत से और साइकिल के संतुलन से सो इन्हें बनाये रखने पर ध्यान दें । और यह तय करना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है कि साइकिल की मंजिल क्या है ?

(सन्दर्भ :राजस्थान में स्कूल जानेवाली ग्रामीण लड़कियों को सरकार द्वारा मिलनेवाली साइकिलों का जो रंग वसुंधरा राजे ने पार्टी की राजनीति करने के चक्कर में भगवा रखवाया था उसे अब दी जानेवाली साइकिलों में काला रखा जाएगा -एक समाचार, ३० जनवरी २००९ )


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.
Jhootha Sach

3 comments:

  1. वाह्! बहुत खूब.....बहुत ही उम्दा पोस्ट.
    खैर सावन अभी दूर है ओर चुनाव नजदीक.इसलिए अगर इन्हे हरे की अपेक्षा भगवा ही भगवा नजर आ रहा है तो इन बेचारों का भी कोई दोष नहीं.

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  2. हर बात में राजनीति करनेवाले .....वोट जुटाने के बारे में ही सोंचनेवाले के बारे में सही कहा है।

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