Sep 10, 2010

तोताराम की नो बाल



सवेरे-सवेरे तोताराम के साथ घूमकर लौटे और चबूतरे पर बैठे ही थे कि पीछे-पीछे एक सज्जन भी आकर बैठ गए । सज्जन थके हुए लग रहे थे सो पूछने की धृष्टता करने की बजाय कहा- आओ, बैठो भाई, थोड़ी देर रुको, अभी चाय आएगी तो पीकर चले जाना । तभी तोताराम ने कहा- मास्टर तुझे पता है 'नो बोल' किसे कहते हैं ? हमने कहा- इसमें क्या है । 'नो बोल' मतलब 'नहीं बोल' । बोला- अरे, हिंगलिश में नहीं शुद्ध इंग्लिश में पूछ रहा हूँ । हमने कहा- तो 'नो बोल' मतलब कि 'बोल नहीं' जैसे कि हमारे हाथ में बोल नहीं है तो 'नो बोल' हो गई ।

तोताराम हमारे अज्ञान पर चिढ़ने की बजाय दुःखी हुआ । कहने लगा- जब कोई बोलर ऐसी बोल फेंके जिससे विकेट उड़ जाने पर भी बैट्समैन आउट नहीं हो और उसकी टीम को एक रन भी मिल जाए और बोलर थके सो व्यर्थ में, उसे नो बोल कहते हैं । हमने कहा- तोताराम और तो हम नहीं जानते पर यह तय है कि हमने आज तक जो भी दो-चार बोल फेंकी हैं वे 'नो बोल' ही थीं । चाहे साहित्य की हो, चाहे स्वयं सेवा की । पूरी सेवा करने के बावज़ूद खबरों में हमारा नाम हर जगह 'आदि' में ही आता था जैसे कि फलाँ कार्यक्रम में सर्वश्री ए,बी,सी आदि या एक्स, वाई, जेड आदि मौजूद थे । इन सबमें यह 'आदि' हमीं थे । और तोताराम, बचपन में तूने भी कई बार बैटिंग की पर रन एक भी नहीं बनाया ।

अब तक चाय भी आ गई और बात की दिशा बदल गई । हमने अपने पीछे वाले सज्जन की तरफ देखा जो अब तक हमारी बात ध्यान से सुन रहे थे । हमने पूछा- तो कहिए, श्रीमान जी कहाँ से आ रहे हैं ? कहने लगे- हम तो सीधे इंग्लैण्ड से आ रहे हैं इसीलिए थोड़ा थक गए हैं । वैसे तो आगे क्रिकेट के सेवकों के पास जाना था पर अब लगता है जरूरत नहीं पड़ेगी ।

हमने कहा- हम तो क्रिकेट के दुश्मन हैं । हम तो चाहते हैं कि क्रिकेट में दुनिया भर की खुराफातें हों और यह बदमाशी का धंधा बंद हो । क्रिकेट ही क्या सारे खेलों के सेवक तो दिल्ली में बैठे हैं और अढ़ाई हजार की चीज चार लाख में खरीद कर स्विस बैंक में पैसा जमा करवा रहे हैं ।

सज्जन बोले- हम तो थर्ड पार्टी सेवक हैं । हम तो न किसी क्रिकेट बोर्ड में हैं और न ही खेलते हैं और न ही कोई सामान खरीदते हैं । हम तो 'नो बोल' फिंकवाते हैं और जैसा कि आपकी बात से पता चला है कि आपकी सारी ही बोलें 'नो बोल' होती हैं तो समझिए हमें आपसे ही काम है । अब दिल्ली, मुम्बई जाने की क्या जरूरत है ? अब की बार हम सट्टा करवाएँगे कि सारा मैच ही 'नो बोल' से जीता जाएगा । टीम में आप दोनों को घुसाने की जिम्मेदारी हमारी । आप बोलिंग करेंगे और तोताराम जी बैटिंग करेंगे । और बिना एक भी विकेट गिरे और एक भी ओवर पूरा हुए मैच पूरा हो जाएगा । वंडरफुल मैच, वंडरफुल रिकार्ड । अब आप दोनों अपनी फिक्सिंग की घूस बताइए कितनी होगी ?

बड़ा धर्म संकट आ गया । क्या बताएँ । हमारी तो गिनती ही अब पेंशन के कारण ग्यारह हजार तक रह गई है । तोताराम ने कहा- देखो भाई, हम नकद तो लेंगे नहीं । क्या पता पकड़े गए तो पेंशन से और जाएँगे । तुम तो ऐसा करना कि हमारे राशन वाले दुकानदार को दस साल तक हमारा दोनों का राशन-पानी का बिल जमा करवाते रहना । और हाँ, यदि इस बीच शरद पवार जी की कृपा से चीजों के दाम बढ़ जाएँ तो बढ़े हुए दाम चुकाना भी तुम्हारी जिम्मेदारी होगी ।

वे सज्जन उठ कर चलने लगे तो हमने पूछा- क्या हुआ ? कहने लगे होना क्या था ? यह ठीक है कि हम धंधा करते हैं मगर क्रिकेट की गरिमा का ध्यान रखना भी तो ज़रूरी है । कल को यदि फिक्सिंग के इस घोटाले का पर्दाफाश हो गया तो तुम्हारा तो कुछ नहीं बिगड़ेगा मगर अरबों के इस खेल की इज्जत का कचरा ज़रूर हो जाएगा । दो खिलाड़ियों की फिक्सिंग और वह भी मात्र बारह लाख की । ओह नो !

और वह चाय अधूरी ही छोड़ गया ।

७-९-२०१०
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.Jhootha Sach

1 comment:

  1. जोशी जी ,क्रिकेट के चक्कर में ना ही पड़ें तो अच्छा है,नहीं तो किसी दिन तोताराम आपको ही 'फिक्स' कर देगा...वैसे 'आदि'का उदाहरण आपने सही दिया है,आज आम आदमी भी उसी श्रेणी में आ गया है...!

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