आपने २८ अगस्त को कहा कि 'लोग ११ रुपए खर्च करके एक बोतल कोल्ड ड्रिंक तो खरीद सकते है लेकिन सोचते हैं कि सब्जियाँ महँगी हैं' । और भाई लोग ले उड़े बात को । इस देश की समस्या यही है कि कुछ लोग केवल मुद्दों की तलाश में इतनी जल्दी में रहते हैं कि सोचने समझने के लिए रुकते ही नहीं । अब आपने इसमें क्या गलत कह दिया ? यह सच है कि लोग फालतू चीजों में खर्च करते समय तो कुछ सोचते नहीं और काम की चीजों के लिए झिकझिक करते हैं । वाकई आपने बड़ी काम की बात कही थी मगर 'माननीय सांसदों' को समझ में आए तब ना । अगर लोग फालतू चीजों जैसे कि कोल्ड ड्रिंक, बीड़ी, सिगरेट, दारू आदि में पैसा खर्च करना बंद कर दें तो उनके लिए महँगाई में भी ज़रूरी चीजें खरीदने के लिए इतनी तंगी नहीं रहेगी । हमें तो आपके इस वक्तव्य में गाँधी जी के स्वदेशी और बाबा रामदेव का सुधारवाद दिखाई देता है । हम तो आपको इसके लिए बधाई देना चाहते हैं पर अब आप हैं कहाँ ? हमें तो यह भी पता नहीं है । इस समय क्रिकेट में बड़ा घपला मचा हुआ है । पता नहीं कहाँ भटक रहे होंगे इस 'जेंटिलमैंस गेम' को बचाने के लिए । वैसे क्रिकेट में सबसे ज्यादा विज्ञापन इन ठंडे पेयों का ही होता है कि आदमी न चाहते हुए भी चक्कर में आ ही जाता है । और जब महानायक अमिताभ बच्चन, आमिर खान, करीना कपूर, विपाशा बसु प्यार से इन्हें पीने का इसरार करें तो फिर जेब का किसे होश रहता है ? और आदमी सब्जी क्या, दवा खरीदना तक भूल जाता है ।
अब तो आप क्रिकेट की दुनिया के चक्रवर्ती सम्राट हैं, जो चाहे कर सकते हैं । हो सके तो क्रिकेट में इन कोल्ड ड्रिंक्स के विज्ञापन बंद करवा दें । जिससे लोग इनके चक्कर में ही नहीं पड़ेंगे और अपने पसीने की कमाई से सब्जी खरीद लेंगे । मगर फिर क्रिकेट की कमाई का क्या होगा ? कमाई नहीं होगी तो कौन इसके पदों के लिए चुनाव लड़ेगा और कौन अपना मंत्रालय का काम छोड़कर पिचों पर भागता फिरेगा ?
वैसे आदमी कोल्ड ड्रिंक ही क्या दारू पर भी बहुत खर्च करता है । और आपको बताएँ, हमारे उधर तो दस रुपए में एक लोकल देशी मतलब कि घर-कढ की सौ मिलीलीटर की एक थैली आ जाती है । उसे खरीदना कोल्ड ड्रिंक से ठीक रहेगा और एक रुपया भी बच जाएगा जिससे महँगाई का मारा आदमी सब्जी खरीदने में इतना दुखी नहीं होगा । रोज की एक रुपए की बचत बहुत होती है । और सरूर भी ऐसा आएगा कि आदमी सब्जी, दाल, गेंहूँ सब भूलकर चीयर लीडर्स को देखने स्टेडियम में घुस जाता है । फिर आपके गौण विभाग कृषि मंत्रालय की कोई कमी उसे दिखाई नहीं देगी । हम तो कहते हैं कि जो अनाज आपके क्रिकेट में व्यस्त होने के दौरान सड़ गया है उसे महाराष्ट्र की उन नई बीयर फेक्ट्रियों में सस्ते भाव पर भिजवा दीजिए, जिनके लाइसेंस कांग्रेस, बी.जे.पी. सभी के नेताओं को दिए गए हैं, जिससे वे महँगाई के मारे, फिर भी कोल्ड ड्रिंक पीने वाले लोगों को सब्सीडाइज़्ड रेट पर दे सकें ।
वैसे कभी-कभी आदमी को मौज-शौक की भी इच्छा होती है । साधारण आदमी एक ११ रुपए के कोल्ड ड्रिंक से ज्यादा शौक कर भी क्या सकता है ? अब व्हिस्की तो बेचारा पी नहीं सकता । ब्लेक डॉग व्हिस्की के सुनते हैं कि पाँच हजार रुपए लगते हैं । वह कोई सांसद तो है नहीं, जिसे कोई विजय माल्या दिवाली के उपहार स्वरूप ब्लेक डॉग व्हिस्की की एक बोतल भिजवा देगा । वैसे कोई कुछ भी कहे पर यह विजय माल्या है मजेदार आदमी । क्या उपहार भिजवाया है पट्ठे ने । और उससे भी मजेदार हैं अपने सांसद जिनमें से एक प्रभात झा के अलावा किसी ने भी चर्चा तक नहीं की बोतल की । चुपचाप फ्रिज में रख दी । प्रभात झा की लौटाई बोतल पता नहीं, माल्या के पास पहुँची या नहीं हो सकता है किसी सांसद ने रास्ते में ही झटक ली हो ।
हम तो आपको एक सलाह देंगे कि आप तो जितना भी अनाज इस देश में है उसकी बीयर और दारू बनवा दीजिए और सब के लिए सस्ती और सुलभ करवा दीजिए । फिर देखिए कि कैसे आपकी जय-जयकार होती है और लोग आपकी पार्टी को कैसे भारी बहुमत से संसद में पहुँचाते हैं । लोगों का महँगाई का गम गलत हो जाएगा और आपकी प्रधान मंत्री बनने की चिर प्रतीक्षित अभिलाषा पूरी हो जाएगी । वरना क्या पता अतृप्त आत्मा संसद के चारों ओर ही मँडराती रहे ।
यह लो, बातों-बातों में आपके वक्तव्य की महत्ता कि बात तो छूटी ही जा रही थी । एक इत्र बेचने वाला किसी उज्जड और पिछड़े गाँव में चला गया । उसने एक व्यक्ति को रुई के फाहे पर इत्र लगाकर दिया । उस व्यक्ति ने उसे चूस कर कहा- चीज तो मीठी है । इत्र बेचने वाले ने अपना सर पीट लिया । उस इत्र बेचने वाले के लिए बिहारी कवि ने कहा है-
करी फुलेल को आचमन मीठो कहत सराहि ।।
सो भाई जान, नासमझ सांसदों के बीच आपके इस श्रेष्ठ सिद्धांत वाक्य की मिट्टी हो गई । इसलिए कभी कोई ज्ञान की बात करनी हो तो हम जैसे विद्वानों को याद कर लिया कीजिए ।
वैसे आपकी भी कोई बीयर फेक्ट्री है या विजय माल्या जैसों की गिफ्ट से ही काम चलाते हैं ? और आपको यह भी क्या बताना कि ज्ञान की बातें पैग के बिना विस्तार नहीं पातीं । सब्जी से पेट का खड्डा भरता है, ज्ञान की उड़ान के लिए तो कुछ और ही चाहिए ।
खैर, अब तो क्रिकेट पर संकट है सो आप तो पूरी सिद्दत से उसे सँभालिए । खेती का क्या है, वह तो मानसून का जुआ है और भगवान के हवाले हैं जैसे कि 'अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो' ।
३-९-२०१०
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.Jhootha Sach
इस बेशर्म को कितना भी जूता भींगा कर मारिये कोई असर नहीं होने वाला ,इतना बेशर्म और भ्रष्ट मंत्री हमने अपने जीवन में कभी नहीं देखा ...इस देश का दुर्भाग्य है ऐसे लोग ...
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