Sep 6, 2010

थरूरजी, तीसरी शादी की बधाई


शशि थरूर जी,
तीसरी शादी की बधाई । जब हमने जून में खबर सुनी कि आप २६ जून को बैंगलोर में शादी कर रहे हैं तो हम शादी में शामिल होने के लिए बैंगलोर आए तो पता चला कि आप कहीं और चले गए हैं । फिर आपका सुनन्दा जी के साथ ख्वाज़ा साहिब की ज़ियारत करते हुए फोटो छपा । वैसे आजकल बेचारे ख्वाज़ा साहब बहुत परेशान हैं । मुस्लिम वोट और अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा को लेकर जिस नेता को भी देखो चादर लेकर ख्वाज़ा साहब के पीछे पड़ा रहता है । फ़िल्म वाले भी फ़िल्में चलवाने के लिए ख्वाज़ा साहब को परेशान करते रहते हैं । आप भी अपने व्यक्तिगत मामले में ख्वाज़ा साहब को घसीटने पहुँच गए । क्या शादियाँ तोड़ते समय ख्वाज़ा साहब से कोई नेक सलाह ली थी ? इसके बाद अचानक ओणम के दिन शाम को फोटो और समाचार दोनों छपे कि आपने आपने पैतृक घर में मलयाली रीति से सुनंदा से शादी कर ली है । अरे भाई, हम आपकी शादी में कोई बाधा डाल रहे थे क्या ? या फिर हम कोई जबरदस्ती आपकी शादी में शामिल हो रहे थे जो आप आगे-आगे और हम पीछे-पीछे । साफ़ मना कर देते कि आप हमें अपनी शादी में नहीं बुलाना चाहते । हम कोई मनमोहन को दिए गए ओबामा के भोज में घुसपैठ वाले कोई सलाही दंपत्ति थोड़े ही हैं जो सुरक्षा घेरा तोड़कर घुस जाएँगे । आप तो घर से भागे हुए किशोरों की तरह चकमा देते से लग रहे थे । खैर चलो जी, शादी हो गई । और वह भी तीसरी । लोग तो ज़िंदगी भर तरसते रहते हैं और एक शादी का भी जुगाड़ नहीं लग पाता । मुबारक हो ।

वैसे हम आपको दीर्घ वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद दें या नहीं, समझ में नहीं आता क्योंकि आजकल की शादियाँ हमारे जमाने की तो हैं नहीं कि जिंदगी भर चलें । आजकल तो जितनी शादियाँ उतना ही बड़ा आदमी । एक बार हमने प्रिंस चार्ल्स को डायना के साथ शादी के समय दीर्घ वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद दिया था पर आगे चलकर हुआ यह कि वे डायना को छोड़कर अपनी पूर्व प्रेमिका कैमिला से शादी करना चाह रहे थे और तलाक मिलने में देर हो रही थी सो वे हम पर नाराज हो गए कि हमने उन्हें दीर्घ वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद क्यों दिया । इसलिए आजकल हम किसी को दीर्घ वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद नहीं देते । क्या पता दो महिने के बाद वे महान प्रेमी छुट्टे छड़े होना चाहें और हमारा आशीर्वाद उनके तलाक में बाधा बन जाए । सो हम तो आपको केवल मौज करने का आशीर्वाद दे रहे हैं । वैसे आपका मनमौजी स्वभाव किसी के आशीर्वाद का मोहताज नहीं है । आप सक्षम हैं ।

शादी के बाद एक समाचार और पढ़ा कि आप जिस प्लेन से हनीमून मनाने जा रहे थे वह लेट हो गया । इसके लिए हम प्लेन वालों की भर्त्सना करते हैं और आपको यह घोर कष्ट सहन करने की शक्ति देने की भगवान से प्रार्थना करते हैं । खैर, अब तक तो हनीमून मन-मना लिया होगा । जीवन का तो बाद में पता चलता है जब वह बीत लेता है । जब पहली बार शादी होती है तो पता ही नहीं चलता कि यह क्या हो रहा है ? बाद में धीरे-धीरे पता चलता है कि शादी में ऐसा होने की बजाय ऐसा होता तो अच्छा रहता पर शादी कोई बार-बार थोड़े ही होती है । पहले तो ऐसा ही माना जाता था । आजकल यह सुविधा बढ़ती जा रही है कि जब चाहे जितनी शादियाँ करो । इस युग में कइयों को तो यह भी याद नहीं रहता कि यह उनकी कौन सी शादी है ? कौनसी कितने नंबर की भूतपूर्व पत्नी है जैसे कि सलमान रुश्दी । हो तो चुके हैं गंजे मगर इस मामले में बहुत फास्ट हैं । जितनी किताबें लिखीं उससे ज्यादा पत्नियाँ कबाड़ी ।

पहले जमाने में तो शादी के लिए माता-पिता का आदेश होता था और पुत्र को आज्ञा का पालन करना होता था । आपकी पहली शादी पिताजी की आज्ञा से हुई या आपने अपनी ही पसंद से की ? पर जैसी भी थी अच्छी थी और भगवन की दया से खूब निभी और उसीने आपको दो अच्छे बच्चे दिए । इसके बाद आपने एक गोरी महिला से शादी की जो कि लगता है कि आपसे भी फास्ट निकली और आपको फिर अनुसन्धान के लिए निकलना पड़ा । लगता है अबकी बार आपने बहुत सोच समझकर शादी की होगी और उसके टूटने की नौबत नहीं आएगी । पहले तो हम समझे थे कि आपने किसी भोली कन्या को फाँसा है मगर अब पता चल कि उनकी भी यह तीसरी शादी है । अच्छा है कि आप दोनों समान रूप से अनुभवी हैं और दोनों ने ही बहुत सोच-विचार के बाद निर्णय लिया होगा ।

अब हनीमून को एक हफ्ता हो गया सो हो सकता है कि आप इस किस्से को पढ़ने के लिए समय निकाल सकें क्योंकि इसमें भी एक अध्यापक के सोच-विचार कर निर्णय लेने की घटना वर्णित है । एक मास्टर जी थे । स्कूल जाने से पहले रोज सवेरे आपने घर के चबूतरे पर बैठकर दातुन किया करते थे । उसी समय एक भैंस उनके घर के सामने से जाया करती थी । भैंस के सींग बड़े सुन्दर और गोल-गोल थे । मास्टर जी उन सींगों के अंदर की गोलाई को देखकर सोचा करते थे कि यह उनके सर जितनी ही होगी ? कोई छः महीने विचार करने के बाद एक दिन उन्होंने नापने के लिए अपना सर उस भैंस के सींगों में डाल दिया । भैंस इसके लिए तैयार नहीं थी सो चमक कर भागने लगी । और मास्टर जी उन सींगों में उलझे-उलझे साथ-साथ । बड़ी मुश्किल से लोगों ने मास्टर जी को निकला । जब थोड़ा साँस आया तो किसी ने कहा- मास्टर जी, ऐसा करने से पहले कुछ सोच तो लेते । मास्टर जी ने कहा- तुम लोग क्या मुझे इतना मूर्ख समझते हो ? मैंने पूरे छः महीने सोचा है फिर यह फैसला लिया है ।
सो आपने भी अबकी बार शादी का फैसला बहुत सोच समझकर लिया होगा ।

वैसे हम आजकल के युवाओं की इस बात के लिए प्रशंसा करते हैं कि वे बहुत प्रेक्टिकल हैं । वरना हम जैसे पहले वाले लोगों के जमाने में कोई ऐसा साहस करता तो कोई न कोई, कुछ न कुछ अभिनन्दन कर ही देता । और कोई नहीं तो पत्नी ही फेरों के समय पहुँच कर दुल्हन पर जूते लेकर पिल पड़ती । पर आपके मामले में तो सारे ही समझदार हैं । और समय भी तो बहुत सच्चे प्यार वाला आ गया है ना । सभी भूतपूर्व, वर्तमान और भावी परिवारों ने हँसी-खुशी से यह प्रेरणादायी शुभ अवसर मनाया ।

अच्छा हुआ कि इस शादी से पहले आप मंत्री पद से मुक्त हो गए वरना कांग्रेस में अब भी कई प्रणव मुकर्जी जैसे मितव्ययी लोग घुसे हुए हैं जो न तो खुद एक्जीक्यूटिव क्लास में चलते हैं और न ही उनको सुहाता है कि कोई आप जैसा खाता पीता आदमी अच्छे होटल में ठहरे या एक्जीक्यूटिव क्लास में चले । तभी आप जब एक लाख रुपए रोज के होटल में रहते थे तो लोगों के पेट में दर्द होने लगा था । अब आप मजे से जैसे मन चाहे होटल में ठहरिए और जैसी चाहे क्लास में यात्रा कीजिए । हम तो कहते हैं कि दो-चार प्लेन ही खरीद लीजिए । न कोई पूछने वाला और न कोई देखने वाला । यदि अपना प्लेन होता तो हनीमून के लिए लेट नहीं होते ।

और सब ठीक है । इससे अधिक सलाह हम आपको नहीं दे सकते क्योंकि हम बहुत पिछड़े और अयोग्य व्यक्ति हैं । यदि पिताजी शादी नहीं करवाते तो हम तो इस अड़सठ साल की उम्र में भी कुँवारे ही घूम रहे होते । जब आपने प्ले स्कूल में जाना शुरू किया था तभी हमारी शादी हो गई थी सो हम तो आपको पक्की शादी के बारे में तो बता सकते हैं । आजकल की जोड़-तोड़ और तोड़-जोड़ वाली टेक्नोलोजी हमारे बस की नहीं है । हमें तो छः सौ रुपए वाले मोबाइल में एस.एम.एस. करना, नंबर सेव करना तक नहीं आता तो फिर आजकल की ब्लेक बेरी कैसे समझ में आएगी ।

अगर 'दूधों नहाओ, पूतों फलो' का आशीर्वाद देना है तो लिखिएगा वरना बिना आपकी मर्जी के यह आशीर्वाद दे दें और कल को आपको मुश्किल हो जाए तो ठीक नहीं है ना ।

२७-८-२०१०

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.Jhootha Sach

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