Sep 15, 2010
पादरी का पटाखा
पादरी टेरी जोन्स,
कुरान-दहन-धमकी-दाता,
डोव वर्ल्ड आउटरीच सेंटर चर्च,
गेन्सविल, फ्लोरिडा, यू.एस.ए.
अब तक हमारे यहाँ तो क्या, फ्लोरिडा में ही आपको कोई मुश्किल से जानता होगा । और अब आपको व्हाइट हाउस से फोन आते हैं । दुनिया भर के अखबारों में आप पहले पेज पर विराजमान हैं । इसे कहते हैं 'बदनाम भी होंगें तो क्या नाम ना होगा ' । बल्कि हम तो कहते हैं कि नाम बदनामी से ही अधिक होता है । काम करने वाले न तो नाम के पीछे भागते हैं और न ही आजकल लोग उनके बारे में कोई जानना चाहता है । हवा, पानी, बारिश, धूप हमें बिना माँगे मिलते हैं तभी हम न तो उनका महत्त्व समझते हैं और न ही उनका शुक्रिया अदा करते हैं, उनका आनन्द लेना तो दूर की बात है । पुराना आदमी भले ही आज के आदमी जितना चालक नहीं था मगर कृतज्ञ था । भले ही इनसे डरता था पर इनका आनंद भी लेता था ।
रंडी, नेता और धंधा करने वाले नाम या बदनामी की कमाई खाते हैं । धमकी के बाद अब आपके चर्च में भक्त लोग ज्यादा आने लगे होंगे और चढ़ावा भी अधिक आने लगा होगा । आपका “आउट-रीच” चर्च अब तो सबकी “विदिन-रीच” हो गया होगा । धर्म तो आचरण की चीज है पर जब वह धंधा बन जाता है तो फिर ऐसे पटाखे छोड़ने जरूरी हो जाते हैं । हम अपने चालीस साल के अध्यापन-जीवन के आधार पर कह सकते हैं यह एक बीमारी है जो उन लोगों में पैदा हो जाती है जिन की तरफ कोई ध्यान नहीं देता । मनोविज्ञान में इसे 'अटेंशन सीकिंग कम्प्लेक्स’ कहते हैं । हमें कई बच्चे याद हैं जो न तो पढ़ाई में अच्छे थे और न ही कुछ ऐसा कर पाते थे कि उन्हें रिकग्निशन मिले तो वे ध्यान आकर्षित करने के लिए अपनी चड्डी में पेशाब कर लिया करते थे तो उस दिन वे ही क्लास में चर्चा का विषय बन जाते थे । वरना धार्मिक स्थानों में बैठे लोग, राजनीति और व्यापार करने वाले कौन सी खाई खोदते हैं और कौनसी खेती करते हैं ? धर्म परिवर्तन करवाना भी, चढ़ावे के लिए भोली भेड़ें बढ़ाने का धंधा है । कुछ धर्मों में तो धार्मिक अड्डे बाकायदा टेक्स वसूली करते हैं । पहले तो राजा से भी ज्यादा पावर धार्मिक अड्डों के पास ही थी । अब भी उन्हीं की आड़ में सत्ता हथियाने के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं । वैसे भगवान को कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई कौन सी पुस्तक पढ़ रहा या पढ़ ही नहीं रहा है । वह तो कर्म और उसे करने वाले की भावना देखता है और उसी के अनुसार फल देता है । सो आपको ही नहीं, सभी धर्म का धंधा करने वालों को उनके कर्मों के अनुसार ही फल देगा । यह बात और है कि यह समाचार किसी मीडिया में नहीं आता कि धर्म का धंधा करने वालों को भगवान ने कौन से नर्क में डाला ।
वैसे यह समझना कठिन नहीं है कि वे धार्मिक स्थान जहाँ सारी दुनिया के धनवान देशों से धर्म के नाम पर हजारों बिलियन का चन्दा आता है और उसे ऊँची-ऊँची दीवारों के पीछे किलेनुमा कोठियों में रहने वाले, कुछ भी काम नहीं करने वाले और चेलियों से घिरे रहने वाले संत-सज्जन कैसे खर्च करते होंगे और क्या-क्या नहीं करते होंगे । यह सच है कि दाम और आराम की अधिकता में हराम ही उपजता है । हाड़ तोड़ मेहनत करने वाले को रोटी खाकर सोना ही सूझता है । स्केंडल करने का समय ही नहीं मिलता । सो आपको यह खुराफात सूझी इसमें आपका कोई दोष नहीं है । यह तो कर्महीनता का स्वाभाविक परिणाम है ।
यह तो ९/११ की नौवीं बरसी है पर इस घटना से भी एक साल पहले काबुल के पास बामियान में कुछ धर्मान्ध लोगों ने भगवान बुद्ध की दुनिया की सबसे बड़ी पहाड़ों में खुदी, दो हजार साल पुरानी मूर्तियाँ तोड़ी थीं तो किसी भी धार्मिक या दुनिया में इंसानियत की फ़िक्र करने वाले को तकलीफ़ नहीं हुई थी । उन्होंने उन मूर्तियों को केवल पुरातात्त्विक महत्त्व की चीज मान कर ऐतराज की रस्म अदा कर दी । वैसे अधिकतर हिसाब-किताबी लोगों के लिए आज भी कोई पुस्तक, स्थान, वस्तु कुछ महत्त्व नहीं रखती । व्यापारी लोग उसकी कीमत देखते हैं उससे जुड़ी लोगों की भावनाएँ नहीं देख-समझ सकते । तब आपने, अमरीका ने और वहाँ के राष्ट्रपति और वेटिकन के पोप ने कोई गंभीर प्रतिक्रिया नहीं दिखाई । अब आपका कुरान जलाने का नाटक इसलिए महत्त्वपूर्ण हो गया क्योंकि ईराक और अफगानिस्तान में अमरीकी सैनिकों को गुस्से का सामना करना पड़ सकता है । यहाँ भी इंसानियत नहीं, अपना व्यक्तिगत डर है । इन्हें संतों की तरह इंसानी रिश्तों और भाईचारे की हानि की कोई फ़िक्र नहीं है ।
यह तो भगवान की कृपा रही कि वेटिकन, व्हाइट हाउस के प्रतिनिधि और भी कुछ लोगों ने आपसे यह महान कार्य न करने का अनुरोध किया वरना कोई कुछ भी नहीं करता तो भी आप कुरान जलाने वाले नहीं थे । जिसे कुछ करना होता है वह ढिंढोरा नहीं पीटता । जो करना होता है वह चुपचाप कर गुजरता है । अमरीका ने ही अणुबम गिराने की सूचना कौनसी जापान को दी थी ? अलकायदा ने ही ट्विन टावर वाला कांड करने से पहले कौन सा बुश साहब को एस.एम.एस. किया था । अलकायदा वालों ने बुद्ध की मूर्तियाँ तोड़ने से पहले किसे पूछा था ?
शोले फिल्म के बाद हमारे यहाँ एक फैशन चला था कि कोई भी अपनी माँग मनवाने के लिए पानी की टंकी पर चढ़ जाता है । वीरू को तो खैर टंकी पर चढ़ कर धमकी देने से बसंती मिल गई पर इन टंकी पर चढ़ने वालों का भी छोटा-मोटा समाचार किसी स्थानीय अखबार में छप ही जाता है । मगर यदि कोई भी गाँव वाला वीरू को देखने के लिए नहीं आता और यदि आ भी जाता तो उसे रोकता नहीं तो क्या आप समझते हैं कि वह टंकी से कूद पडता ? बिलकुल नहीं । कोई भी दीवाना और शराबी इतना पागल नहीं होता । हम तो कहते हैं कि यदि कोई पुलिस वाला टंकी के नीचे आकर खड़ा हो जाता और कहता कि अब तुझे टंकी से नीचे उतरने नहीं दिया जाएगा तो दो घंटे में ही नीचे उतरने के लिए गिड़गिड़ाने लग जाता । आखिर कोई कब तक टंकी पर चढ़ा रह सकता है । लघु-दीर्घ शंकाएँ और भूख-प्यास तो सब को लगती ही है ।
हमारे मोहल्ले में एक महिला थी । वह अपने पति को बहुत परेशान करती थी । जब चाहे धमकी देती रहती थी कि मैं तो कुएँ में पड़ने जा रही हूँ । बेचारा उसे मानता और लोग तमाशा देखते । एक दिन मोहल्ले के एक सज्जन को गुस्सा आ गया । उन्होंने उसका हाथ पकड़ा और घसीटते हुए कुएँ की तरफ ले जाने लगे कि तू क्या गिरेगी आज हम ही तुझे कुएँ में गिरा कर आते हैं । यह रोज-रोज का झंझट तो खत्म हो । और उन्होंने उसे कुँए में लटका दिया । लोगों ने बड़ी मुश्किल से छुड़ाया । मगर फिर उस महिला ने कभी ऐसी धमकी नहीं दी । आपको तो, अगर कोई अच्छा सा फतवा ही जारी हो जाता तो दस्त लगने लग जाते । और अब 'कौन से मियाँ मर गए या रोजे घट गए' ।
आपने कहा कि अब और कभी भी कुरान नहीं जलाएँगे । ठीक है । वैसे हम जानते हैं कि इससे खुदा को कोई फर्क नहीं पड़ता । पर आपने तो अपना काम कर ही दिया । जो बदबू फैलानी थी फैला ही दी । चूहा तो मरता है मगर सारे घर को सड़ा देता है ।
११-९-२०१०
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.Jhootha Sach
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सही लिखा है, जब अपने ऊपर गुजरती है तभी पता चलता है... लेकिन हिन्दू अपने पांव खुद ही कुल्हाड़ी पर मारता है.
ReplyDeleteaapki rachnaye behad sateek aur padhne me majedaar hain. Main parsai jee ka prashanshak raha hoon. aapki rachnayen mujhe bahut achchhee lagti hain.
ReplyDeletedhanyawaad.
aap apne sheekchhan ke deergh anubhav ke baare me bhi likhiye.
dhanyawaad.
कुछ लोग बोलते ही ऐसा हैं कि उन्हें सुना जाए,
ReplyDeleteभले ही इसके लिए वो शैतान बन जाए !
बढिया आलेख
ReplyDeleteसही पादरी लोगों कि करतूत सामने लाये है आप.
बधाई.