Mar 18, 2015

2015-01-04 आत्मशुद्धि,सच और प्यार का शोर्टकट


 2015-01-04 आत्मशुद्धि, सच और प्यार का शोर्टकट




आज तोताराम ने आते ही  आदेश  दिया-  फटाफट दो साफ़ गिलास, कुछ नमकीन और जो तेरा जी चाहे मँगवा | 

हमने कहा- और इसमें क्या है ?

-है क्या ? आत्मशुद्धि, सच और प्रेम का सस्ता और सरल नुस्खा | हमारे पूर्वज बेचारे इस नुस्खे के अभाव में सच और आत्मा की खोज के लिए हिमालय की ठण्ड में हजारों वर्षो से ठुठुरते रहे और पता नहीं, फिर भी सच मिला या नहीं |?  आत्मा थोड़ी बहुत शुद्ध हुई या नहीं या फिर जैसी ले गए थे उससे भी कुछ ज्यादा अशुद्ध तो नहीं करवा लाए ? 

हमने कहा- क्या असत्य भाषण कर रहा है | देश के सारे आत्मज्ञान और अध्यात्म का सत्यानाश कर रहा है | बेचारे पूर्वजों का इतना अपमान तो न कर |

बोला- अपमान नहीं कर रहा हूँ | मैं तो उनके आत्मशुद्धि, सच और प्यार के लिए उठाए गए कष्टों पर दुःख प्रकट कर रहा हूँ | यदि आज होते तो इतने कष्ट नहीं उठाने पड़ते |

हमने उत्सुकता से पूछा- क्या कोई इन सद्गुणों का भी कोई शोर्टकट निकल आया ?

कहने लगा- बिलकुल | अमरीका की 'न्यू इंग्लैण्ड ब्रूइंग कंपनी'   ने एक बीयर बनाई है जिसे पीने से आत्मशुद्धि होती है, सच का ज्ञान होता है और सभी द्वेष भाव समाप्त होकर पवित्र प्यार का उदय होता है |तभी तो निर्माताओं ने उसका नाम सत्य-अहिंसा के पुजारी और संसार को आत्मवत देखने वाले महात्मा गाँधी के पीछे 'गाँधी बाट' रखा है |और कहते हैं कि गाँधी के पोते-पोती ने भी इस लेवल को पसंद किया है |इसके विज्ञापन में कहा है कि यह पूरी तरह से वेजीटेरियन है तथा आत्मशुद्धि, सच और प्यार तलाशने वालों के लिए आदर्श है |
हम तो माता-पिता के आज्ञाकारी हैं तो उनके बताए रास्ते पर चलने के लिए भले ही वह चीज पीनी पड़े जो कभी नहीं पी | लेकिन राष्ट्रपिता की आत्मा की शांति के लिए ज़रूर पिएँगे |

हमने कहा- तोताराम, यह सब व्यापार है और व्यापार में सब कुछ जायज़ है | फायदे का एक मात्र रास्ता होने पर वहाँ के निर्माता ईसा चाकू और ईसा बंदूक भी बना सकते हैं | हमारे यहाँ भी तो तुलसी ज़र्दा, गणेश खैनी, लक्ष्मी पटाखे, शिव-पार्वती बीड़ी आदि बनाते हैं कि नहीं ? और अपने प्रिय देवताओं के फोटो जिस-तिस पर छाप कर क्या हम उन्हें नालियों में पहुँचाने के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं ? हम खुद तो गाँधी के सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह के रास्ते पर चलते हैं क्या ? अब यह हल्ला झूठी देश और धर्म भक्ति ही लगता है |और फिर हम गाँधी और गोडसे को एक ही तराजू पर तौल कर क्या सन्देश दे रहे हैं ?


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