Mar 17, 2015


 2015-01-28 
तोताराम का आधार कार्ड 

 


आज तोताराम आया तो उसकी जेकेट पर नेम प्लेट की तरह बॉल पेन से उसका नाम, पता और घर के फोन नंबर लिखे हुए थे | हमने उसे छेड़ने के उद्देश्य से कहा- लगता है, तू मोदी जी से भी आगे निकल गया है |उन्होंने तो अपने कोट पर ही अपने नाम का कशीदा निकलवाया था पर तू तो पूरा पता लिखवाए घूम रहा है |

बोला- अपनी बात तो बाद में करूँगा पहले मोदी जी की बात |इसमें क्या बुराई  है ? क्या सेना और पुलिस में छोटे-बड़े सब के सीने पर उनके नाम की प्लेट नहीं लगी रहती ? क्या किसी आयोजन में हर मंचस्थ के आगे उसके नाम की पट्टी नहीं रखी रहती ? आजकल ज़माना बड़ा खराब है | पता नहीं कब, कौन किसकी कुर्सी हथियाकर उस पर बैठ जाए |जूतों पर नाम नहीं लिखा रहता तभी खोने पर चोर पकड़ में नहीं आता | मान ले कभी कोई इसे चुरा ले तो नाम देखकर पकड़ाई में आ जाएगा |और यदि इस कशीदे को निकाल देगा तो भी उधड़न से पकड़ा जाएगा |पहले जैसे लोग-बाग शादी में किसी का कपड़ा माँग ले जाते थे वैसे भी कोई नहीं माँगेगा क्योंकि इस पर पहले से मालिक का नाम खुदा हुआ है |और किसी को अपना नाम बताने की ज़रूरत भी नहीं पड़ती |पहले भारतीय पत्नियाँ अपने पति का नाम नहीं लेती थीं तो वे अपने पति का नाम अपनी कलाई पर लिखवाती ही थीं | मंदिरों में भी जहाँ कई मूर्तियाँ हों तो उनके नीचे  भी देवता का नाम लिखा होता है अन्यथा क्या पता कोई भक्त शिवजी के लिए लाया प्रसाद भूल से हनुमान जी को खिला जाए | और मंदिरों के आगे भी देवता सहित नाम लिखा होता है जैसे संकटमोचन हनुमान-मंदिर, चमत्कारी बालाजी का मंदिर आदि |मुझे तो इसमें कोई बुराई नहीं लगती |

हमने उसे फिर छेड़ा- लेकिन मोदी जी तो हिंदी के प्रेमी हैं | संयुक्त राष्ट्र संघ में भी हिंदी में बोले थे |फिर यह नाम रोमन में क्यों ?
कहने लगा- ओबामा जी हिंदी नहीं जानते ना | आखिर मेहमान की सुविधा का ख्याल भी तो रखना चाहिए कि नहीं ?  लेकिन उनकी विनम्रता तो देख कि प्रधान मंत्री होते हुए भी पद नहीं लिखवाया अन्यथा बहुत से तो ऐसे होते हैं जो भूतपूर्व होते हुए भी शुरू में भूतपूर्व लिखते हैं, फिर भू.पू. और फिर केवल पू. और वह भी इतना छोटा सा  कि पढ़ने में नहीं आए और पद का नाम बड़े-बड़े अक्षरों में |

अब हमने पूछा- लेकिन तूने यह अपना नाम और पूरा पता क्यों लिखवाया है ?

बोला- यह मोदी जी की नक़ल नहीं है | यह तो बंटी की दादी ने लिख दिया | कहती थी कि आजकल तुम बहुत भूलने लग गए हो | क्या पता, कोई रौब-दाब वाला आदमी पूछ ले- तुम्हारा नाम क्या है ? और  तुम घबराकर अपना नाम बताने में ही हकलाने लगो तो क्या पता कोई, क्या शक कर ले  या कभी चक्कर खाकर ही कहीं गिर-पड़ जाओ तो कोई घर तो पहुँचा जाएगा या नंबर देखकर फोन कर तो देगा |

हमने कहा- इससे अच्छा तो तू अपना आधार कार्ड गले में लटका लेता | 

बोला- बन्धु, सारा जीवन निराधार गुज़ारा | अब चौथेपन में जाकर इस निराधार जीवन को एक आधार मिला है और तू उसे गले में लटकाने के लिए कह रहा है | यह कोई चेन थोड़े है कि झपट ली जाए तो भी आदमी जी ले |यह तो चैन है |इसे छोटी मोटी समस्याओं के लिए थोड़े ही काम में लिया जाता है | यह  तो ब्रह्मास्त्र है जिसे केवल गैस की सब्सीडी के लिए चलाया जाता है | मैं इतना त्यागी भी नहीं हूँ कि वसुंधरा जी की तरह कि गैस सब्सीडी में कोई लफड़ा डाल लूँ  | यही तो मेरे लिए विकास में हिस्सेदारी का प्रमाण है | वैसे इस पर भी जेतली जी की वक्र दृष्टि लगी है | कहते हैं इसे भी आय में जोड़कर टेक्स लेंगे |देखो, जब तक चलता है तब तक तो पेलें |




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