Mar 15, 2015

दस लाख का सूट

   
2015-02-02  दस लाख का सूट


मोदी जी के पुराने फोटो देखे जिनमें वे निक्कर और आधी बाँह का कमीज़ पहने दिखते थे और कभी कम कभी थोड़ी ज्यादा दाढ़ी- एकदम सादगी की मूर्ति, कर्मठ और सच्चे तथा अपनी स्वयं की इच्छा से बने साक्षात सेवक | और जब अधिक सेवा करने की ज़िम्मेदारी आई तब भी स्वयं को प्रधान मंत्री की बजाय 'प्रधान सेवक' ही कहा |हम खुश थे | लेकिन ओबामा को चाय पिलाते समय  दस लाख का सूट | हमें लगा हमारी आँखें और धारणा दोनों ही धोखा तो नहीं दे रहीं ?

आज जैसे ही तोताराम आया तो हमने अपनी खीझ उसी पर उतारते हुए  कहा- यह क्या नाटक है ?

बोला- तू क्या समझेगा वेतन भोगी मास्टर |सरकारी नौकरी | तनख्वाह पर कोई आँच नहीं |फटा-पुराना जो मर्ज़ी आए पहना | लेकिन जब बड़ी ज़िम्मेदारी आ जाती है तो बहुत कुछ वह भी करना पड़ता है जो मन नहीं कहता |

हमने कहा- गाँधी पर कौन सी कम ज़िम्मेदारी थी और वे कौन से छोटे सेवक थे लेकिन आधी धोती में चले गए |

कहने लगा- गाँधी जी ने अपनी ड्रेस का फायदा उठाया था | उनका उद्देश्य था दुनिया को यह दिखाना कि अंग्रेज शासन ने इस देश के कपड़े तक उतार लिए हैं |न उन्हें किसी से कोई ऋण माँगना था और न ही कोई विदेशी  निवेश |वे तो कहते थे-
आधी और रूखी भली ,साड़ी तो संताप 
जो चाहेगा चूपड़ी, बहुत करेगा पाप 
संतोष और सादगी को ही सुखी जीवन का मन्त्र मानते थे |  तभी तो चर्चिल ने उन्हें क्या कहा था- अधनंगा फकीर |

अब तकनीकी का ज़माना है |  इस देश को डिजिटल बनाना है, मेट्रो और बुलेट ट्रेनें चलानी हैं | भारत शहरीकरण करना है और शहरों को स्मार्ट बनाना है | मेड इन इण्डिया को  मेक इन इण्डिया में बदलना है | और इसके लिए बहुत सा पैसा चाहिए | इसके लिए विदेशी निवेश चाहिए और विदेशों के सामने आधी धोती पहन कर जाने से वे क्या सोचकर पैसा लगाएँगे | कर्ज़ा भी उसीको मिलता है जो चुका सकने की स्थिति में होता है | गरीब के बेटे को पढ़ाई के लिए कर्जा नहीं मिलता लेकिन बड़े-बड़े सेठों को कम ब्याज पर सैंकड़ों करोड़ का कर्जा मिल जाता है | साधारण आदमी बिजली का बिल कुछ दिन जमा न कराए तो कनेक्शन काट दिया जाता है जब कि उद्योगपतियों पर अरबों का बिजली का बिल बकाया है |इसलिए विदेशी निवेश लाने के लिए समृद्ध दिखना बहुत ज़रूरी है और इसकी शुरुआत ऐसा सूट पहनकर करने से बेहतर और क्या तरीका और अवसर हो सकता था ? और इससे दुनिया को यह सन्देश भी पहुँच गया कि भारत के सोने चिड़िया होने का दम भरना कोई हवाई बात नहीं है |अरे, इस देश में तो कई लोग सोने कमीज़ पहने भी घूमते हैं |मोदी जी ने तो सोने की थोड़ी सी कशीदाकारी ही करवाई है तो तेरे पेट में दर्द होने लगा | देश की इज्ज़त का कोई ख़याल नहीं |

वैसे उनकी सादगी का प्रमाण चाहिए तो उनकी अमरीका यात्रा को देख | दुनिया के सबसे धनवान देश से भी निराहार ही लौट आए और जो नीबू पानी पिया वह भी यहीं से ले गए थे | वरना तो लोग अमरीका जाते ही पिज़्ज़ा-बर्गर खाने और बीयर पीने |यह था भारत की आध्यात्मिकता का सन्देश और यह है भारत की समृद्धि का सन्देश |

विविधताओं का ऐसा निराला संगम कहीं देखा-सुना है ? लगा बिना बात आलोचना करने |उन सांसदों से तो बेहतर हैं जो मकान आवंटित होने पर भी पाँच-सितारा होटलों में जमे हैं |

No comments:

Post a Comment