भारत भारती पुरस्कार
आज सुबह-सुबह तोताराम ने आते ही हमारे सामने एक बड़ा-सा आलू और एक आम लाकर रख दिया और बोला- बता, इन दोनों में क्या फर्क है ?
हमें हँसी आगई, कहा- यह भी कोई पूछने की बात है ? इतना तो दो साल के बच्चे को स्कूल जाने से पहले ही मालूम होता है |हम तो सतत्तर साल के हो गए |तूने क्या हमें अब इन्हीं प्रश्नों के लायक समझ लिया है |भले ही भाजपा ने टिकट के लायक न समझा हो लेकिन इस प्रश्न का उत्तर तो आडवानी जी भी दे सकते हैं | फिर भी खैर, सुन |
आलू एक कंद है जिसकी मूल रूप से दक्षिणी अमरीका के पेरू देश में कोई ७००० साल पहले भी खेती होती थी |इसका पौधा एक डेढ़-फुट ऊंचा होता है |भारत में यह जहाँगीर के ज़माने में पुर्तगालियों द्वारा गोवा में लाया गया था |आज भारत एक प्रमुख आलू उत्पादक देश है |आलू सब्जी बनाने के साथ-साथ भूनकर भी खाया जाता है |इसके चिप्स भी बनते हैं |
आम एक फल है जिसे फलों का राजा कहा जाता है | यह भारत का राष्ट्रीय फल है |इसका पेड़ बहुत ऊंचा होता है |आजकल छोटे कद के आमों की नस्ल भी विकसित कर ली गई है | इसके कई प्रकार होते हैं जैसे- लंगड़ा, दसेरी, हापूस, तोतापुरी, फजली, चौसा, आम्रपाली, मलीहाबादी आदि-आदि | कच्चे आम का अचार बनता है |
तोताराम बोला- बस, प्रभु |इतना ही बहुत है |इतना तो मूल रूप से प्रश्न पूछने वाले को भी मालूम नहीं होगा | तेरा उत्तर बिलकुल सही है सौ में से सौ नंबर |
हमने पूछा- इस एक छोटे से प्रश्न के उत्तर में ऐसा क्या है ?
बोला- यह तो पता नहीं लेकिन योगी जी ने कहा है कि राहुल गाँधी को आम और आलू में फर्क नहीं मालूम |हो सकता है, यदि राहुल गाँधी को यह फर्क मालूम होता तो वे बिना किसी हील-हुज्जत के उन्हें भारत का प्रधानमंत्री बना देते |लेकिन अब जो रिटिन में ही फेल हो जाए उसे इंटरव्यू में कैसे बुलाएं |प्रधानमंत्री को तो बड़े-बड़े सौदे करने पड़ते हैं |
हमने कहा- लेकिन इसमें राहुल गाँधी की क्या गलती है |सर्वज्ञता का ठेका लिए बैठे बहुत से लोग जौ और गेंहूँ के पौधों में फर्क नहीं बता सकते, गाजर घास और गुलदाऊदी में कन्फ्यूज हो जाते हैं |कौआ सबसे चालाक होता है लेकिन कहते हैं कि कोयल अपने अंडे उसके घोंसले में रख देती है |कौआ उन अण्डों को सेता रहता है |जब बच्चे निकलते हैं तो असलियत का पता चलता है |
और फिर इसमें हिंदी के मास्टरों की भी गलती है |वे वर्णमाला सिखाते समय कभी 'आ' से आम पढ़ाते हैं तो कुछ 'आ' से आलू बताते हैं |कभी 'आ' से आडवाणी और कभी आज़ाद पढ़ाते हैं |और आजकल तो 'आ' से आदित्यनाथ पढ़ाने लगे हैं |ऐसे में बच्चा कन्फ्यूज होगा ही |इसी चक्कर में देश गोडसे और गाँधी तक के मामले में स्पष्ट नहीं हो पा रहा है |अब तू बता आज़ाद, आज़ाद, आज़ाद, आज़ाद, आज़ाद में क्या फर्क है ?
बोला- यह भी कोई प्रश्न है ? आज़ाद माने आज़ाद, स्वतंत्र |
हमने कहा- यह भारत है |इसमें इतने से ज्ञान से पार नहीं पड़ेगी |वैसे तो इस देश के १३५ करोड़ लोग आज़ाद ही हैं |यहाँ ये पाँच आजाद क्रमशः आज़ाद माने अबुल कलाम आज़ाद, आज़ाद माने अब्दुल कलाम आज़ाद मिसाइल वाले, आज़ाद माने चन्द्रशेखर आज़ाद, आज़ाद माने भागवत झा आज़ाद वैसे उनका बेटा भी आज़ाद ही है , गुलाम नबी आज़ाद | हमने अपनी शिक्षा में इन्हें अलग-अलग अर्थों में बताया है |और जो आलू और आम में अंतर नहीं कर सकता वह प्राचीन भारत के ज्ञान की खोज और उपयोग कैसे कर सकेगा ? छोटी-छोटी चीज के लिए विदेश भागेगा जब कि अपने यहाँ प्रक्षेपास्त्र, विमान, बम, प्लास्टिक सर्जरी, दूरदर्शन, इंटरनेट सब कुछ थे और ढूँढो तो अब भी हैं |कोई ठेका देकर तो देखे |
बोला- अब मई में क्या देर है ? तू भगवा कुरता सिलवाकर तैयार रह | योगी जी से मिलवा देंगे |तेरा भारत भारती पुरस्कार पक्का |
हमने कहा-ज़र्रा नवाज़ी के लिए शुक्रिया | जहाँ तक आम और आलू में फर्क की बात तो कोई ज्यादा फर्क नहीं है, अच्छे-अच्छे चकरा जाते हैं | 'आ' तो दोनों में समान है |रही 'म' और 'ल' की दूरी की बात तो इन दोनों के बीच केवल दो ही व्यंजन पड़ते है- 'य' और 'र' |वैसे भी यदि आम फलों का राजा है तो आलू सब्जियों का |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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