Dec 4, 2008

चिदंबरम का मार्ग-दर्शन और गृह मंत्री की भाषा




चिदंबरम जी ,
वणक्कम । आप गृह मंत्री बन गए । दुविधा में हैं कि आपको बधाई दें या संवेदना प्रकट करें ? वित्त मंत्रालय अच्छा था । आराम से वातानुकूलित संसद में चार घंटे अंग्रेज़ी में सुन्दरकाण्ड का पाठ कर दिया और पाँच साल की छुट्टी । आधे से ज़्यादा सांसदों को अंग्रेजी समझ में नहीं आती । जिनको टेक्स चोरी करनी है उनकी सेवा में अंग्रेज़ी जानने वाले चार्टर्ड अकौन्टेन्ट मौजूद हैं और जो टेक्स से बच नहीं सकते उन्हें समझ कर करना ही क्या है ।

अब यह गृह मंत्रालय मिल गया । बड़ा सूगला विभाग है । जब शान्ति हो तो कोई धन्यवाद नहीं देता पर जब कोई दुष्ट चुपके से कहीं कुछ कर जाता है तो गृहमंत्री की गर्दन पकड़ो । चाय की रहदी लगाने वाला भी इस्तीफा माँगने लग जाता है । वित्त मंत्रालय में तो आराम से गाड़ी पर बैठे, कान में कलम घुसेड़े करते रहो कागज़ काले । सेंसेक्स, मुद्रास्फीति, रिसेशन, मेल्ट-डाउन किसी के समझ में नहीं आता तो बोलेगा कौन? खैर! अपने गृह मंत्री बनते ही अपने वक्तव्य में सबसे सहायता की अपेक्षा की थी सो हम आपकी सहायता के लिए ही यह पत्र लिख रहे हैं ।

वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय या किसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी में तो केवल अच्छी अंग्रेज़ी जानने मात्र से ही नौकरी और पदोन्नति मिल सकती पर इस भारत में हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों जाने बिना न तो प्रधान मंत्री और न ही गृह मंत्री मंत्री के रूप में सफल हुआ जा सकता है । अगर देवीलालजी अंग्रेज़ी जानते होते या देवेगौड़ा जी हिन्दी जानते होते तो टर्म पूरा कर जाते । आप तमिल और अंग्रेजी तो बढ़िया जानते हैं , हिंदी भी थोड़ी-थोड़ी समझ लेते हैं पर गृहमंत्री के लायक नहीं । अगर ग़लत सन्दर्भ में नानी याद दिला दी तो लोग और सब बातें छोड़ कर केवल भाषा की टाँग तोड़ने लग जायेंगे ।

गृह मंत्रालय के अन्दर में मुख्य रूप से पुलिस आती है और पुलिस की भाषा सबसे अलग होती है । पुलिस की भाषा किसी स्कूल में नहीं सीखी जा सकती है यह तो पुलिस और आम जनता के बीच सार्थक संवाद में चौकियों और थानों में विकसित होती है । इसे सीखने के लिए आपको ८ पी.एम. के बाद किसी पुलिस चौकी के पिछवाड़े छुप कर खड़े होना होगा । पर सावधान रहिएगा कि कहीं आम आदमी समझ कर कोई कानून का रखवाला आपका स्टेटमेंट न ले ले ।

गृह मंत्री खैर ! मंच पर तो पुलिस वाली संसदीय भाषा नहीं बोल सकता पर यह तो तय है कि उसका काम वित्तमंत्री वाली भाषा से भी नहीं चल सकता । और मनमोहन सिंह और शिवराज पाटिल वाली भाषा से तो बिल्कुल भी नहीं । इनकी भाषा इतनी करुण होती है कि सुनकर आदमी का दिल मेल्ट डाउन हो जाए और बन्दूक चलाने की बजाय अपना सर पीटने लग जाए पर क्या किया जाए आतंकवादियों के दिल होता ही नहीं । सो हम गृह मंत्री के लिए उपयुक्त हिन्दी भाषण के बारे में आपको कुछ जानकारी देना चाहते हैं ।

संकट के समय गृह मंत्री को माइक सामने होते हुए भी चिल्ला-चिल्ला कर बोलना चाहिए भले ही आवाज़ फट जाए या मुँह से झाग नकलने लग जायें । आपको धीरे-धीरे स्टाइल वाली अंग्रेजी बोलने की आदत है , पर चिल्लाते-चिल्लाते अभ्यास हो जाएगा जैसे माँगते-माँगते आदमी एक अच्छा फकीर हो जाता है । प्रत्येक भाषा में कुछ शब्द और मुहावरे ऐसे हटे हैं जिन से जोश, बहादुरी और दृढ़ता टपकती है । इनका बीच-बीच में प्रयोग करने से सुनने वालों को लगता है कि बन्दा ज़रूर कुछ न कुछ करेगा । जैसे ईंट से ईंट बजा देंगे, नानी याद दिला देंगे, नाकों चने चबवा देंगे, धूल चटा देंगे, दाँत खट्टे कर देंगे, छठी का दूध याद करा देंगे, खून की नदियाँ बहा देंगे, मर जायेंगे, मिट जायेंगे आदि-आदि ।

यदि अंग्रेजी बोलनी ही तो 'नो स्टोन अन टर्न्ड' जैसे मुहावरों का ही प्रयोग करें । अंग्रेजी का छौंक लगाने से हिन्दी का स्वाद और बढ़ जाता है । बीच-बीच में 'भारत माता की जय' चिल्लाते रहना चाहिए । यदि वोट बैंक को खतरा नहीं हो तो 'वन्दे मातरम' भी चिल्लाया जा सकता है ।

आप सोच रहेंगे होंगे कि क्या इस तरह भाषण देने या चिल्लाने से आतंकवादी डरकर भाग जायेंगे या आने का साहस नहीं करेंगे । ऐसी बात नहीं है । पर हाँ, इससे जनता का गुस्सा निकल जाएगा । मनोवैज्ञानिकों का मत है कि चिल्लाने से हीन भावना दूर होती है । वैसे जनता कब तक निराश और हताश रह सकती है । आखिर तो झख मार कर पेट के लिए दिहाड़ी पर जाना ही पड़ेगा । थोड़े दिनों में भूल जायेगी । बस अगले चुनावों तक माहौल बनाकर रखिये । और अगर अगले बरस जनता ने पाटिया पलट ही दिया फिर अडवानी जी जानें या तोगडिया जी जानें या आतंकवादी जी जानें ।

आपका शुभचिंतक,
रमेश जोशी

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२ दिसम्बर २००८




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Jhootha Sach

2 comments:

  1. बहुत सुंदर सारगर्भित सलाह ! बधाई !

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  2. हमारे भूत. वित्तमंत्री ग्राफ देखने के आदी हैं। जब उन्हें अपराध का ग्राफ ऊंचा चढता दिखाई देगा तो उन्हें प्रसन्नता तो होगी ही। जो वित्त मंत्रालय में नहीं दिखा, वो गृह मंत्रालय में दिख रहा है!

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