Dec 18, 2008
सपना सच होना चाहिए
एक औरत को सपना आया कि उसका पति मर गया । उसने सबको बताया । कुछ दिन बाद उसका पति मर गया । जब पड़ोस की औरतें दुःख व्यक्त करने आयीं तो उस औरत ने उत्तर दिया- खसम मरे का दुःख नहीं, सपना सच होना चाहिए । सो एक बार बुश साहब को सपना आया कि ईराक के पास विनाश के व्यापक हथियार हैं । लोग कहते रहे, संयुक्त राष्ट्र संघ के दल ने भी कहा पर बुश साहब को अपने सपने पर विश्वास था कि ईराक के पास व्यापक विनाश के हथियार हैं ।
बुश साहब के तो अब जाने के दिन हैं । २० जनवरी को तो सरकारी मकान खाली कर ही देना है । यह समय कोई घूमने का थोड़े ही होता है । अब तो सरकारी मकान के सोफ़े, पंखे, परदे, ट्यूब लाइट, गमले आदि अपने निजी मकान में पहुँचाने का मौका देखने है । पर बुश साहब ने इस महत्त्वपूर्ण समय का उपयोग सत्य के अनुसन्धान के लिए किया । वे अंत समय तक अपने सपने के सच होने का विश्वास लिए घूमते रहे और रविवार १४ दिसम्बर को यह साबित हो ही गया कि ईराक के पास व्यापक विनाश के हथियार हैं । यह व्यापक विनाश कर सकने वाला प्रक्षेपास्त्र निशाने पर लगा नहीं तो भी विश्व के सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र की इज्ज़त का कचरा कर दिया । अगर निशाने पर लग गया होता तो । ये तो प्रत्युत्पन्नमति महामहिम संभल गए वरना... ।
ये एशिया, अफ्रीका के पिछड़े हुए लोग पता नहीं कहाँ से आदिम टेक्नोलोजी उठा कर ले आते हैं कि दुनिया देखती रह जाती है । अब किसे पता था कि बिना धातु और बारूद के बनी इस गंदी सी चीज से भी इतना व्यापक विनाश किया जा सकता है । अब लोग पत्रकारों को सम्मलेन में बुलाते समय हो सकता है उनके मुँह पर टेप ही बाँध दें क्या पता कोई सिरफिरा थूक का ही प्रक्षेपास्त्र चला दे । क्या पता कोई सुन्दरी पत्रकारनी अँखियों से ही गोली मार दे । लगता है अब लोग पत्रकारों को नंगा करके ही अन्दर घुसायेंगे । हवाई जहाज में तो अपने साथ कोई भी नेता नहीं ले जाएगा । हे ईराक के जैदी मियां ! तू कोई और रूप धारण करके अपना काम कर लेता पर कम से कम पत्रकारों को तो बदनाम नहीं करता ।
बुश साहब के कार्य काल में तीन घटनाएँ हुईं और तीनों ने ही इस संसार को कूट नीति की तीन महत्वपूर्ण बातें बतायीं हैं-
१. अविश्वसनीय लोगों की मदद कभी मत लो चाहे अपने शत्रु का ही विनाश क्यों न करना हो क्योंकि ग़लत आदमी ग़लत ही होता है ।
२. फिजूल खर्ची ज़्यादा मत करो नहीं तो अच्छे-अच्छों का बजा बज जाएगा ।
३. व्यापक विनाश ही नहीं, किसी भी विनाश का हथियार भी, बाहर नहीं बल्कि आदमी के दिमाग में होता है ।
पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)
१७ दिसम्बर २००८
-----
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.
Jhootha Sach
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
sahi kaha aapne.
ReplyDeleteसाथ में बुश जी ने यह भी सिखाया कि मनुष्य को चुस्त रहना चाहिए। क्या हमारे नेता इस तरह से तेज प्रक्षेपास्त्र को डॉज़ कर सकते थे ? करते भी तो शायद गिर ही जाते ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती