Dec 31, 2008
दरवाजे पर पड़ा हैप्पी न्यू ईयर
हमारा कमरा बाहर की तरफ़ दरवाजे के पास है । चूँकि हमारी नींद कुछ खुल जाती है सो दूध भी हमीं लेते हैं । अख़बार भी लगभग इसी समय आ जाता है । चाय के साथ अखबार के सेवन से दिनचर्या शुरू होती है । प्रायः अख़बारवाला थोड़ा पहले आ जाता है पर वह न तो दरवाजा खटखटाता है और न ही आवाज़ लगाता है । बस दरवाजे के नीचे से अखबार सरका देता है । आज उसने अख़बार डालने के बाद दरवाजा खटखटाया और आवाज़ भी लगाई- मास्टर जी,दरवाजे पर कोई हैप्पी न्यू ईयर पड़ा है, ज़रा संभाल लीजियेगा ।
'दरवाजे पर हैप्पी न्यू ईयर पड़ा है'- बड़ा अजीब-सा संदेश था । हम उत्सुकतावश उठे । दरवाजा खोला पर तब तक अख़बारवाला जा चुका था । देखा एक सज्जन सीढ़ियों के पास गिरे पड़े थे । हमने उसे हिला कर पूछा- क्यों भई क्या बात है? बोला- थोड़ा सहारा दीजिये । ज़्यादा चोट तो नहीं आई पर लगता है उछलने से पैर में मोच आ गई है । हमने उसे सहारा देकर उठाया, सीढ़ियों पर बैठाया और पूछा- कौन हो? बोला- हैप्पी न्यू ईयर हूँ । हमने कहा- हैप्पी हो तो मुस्कराते हुए आते, यह क्या ?
उसने विस्तार से बताया- मास्टर जी, क्या हैप्पी और क्या सेड । ३१ दिसम्बर को रात के ठीक १२ बजे तारीख़ बदलती है सो मुझे आना पड़ता है वरना फ़र्क तो क्या पड़ने वाला है- ३१दिसम्बर और १ जनवरी में । दोनों दिन वही ठण्ड ,वही गए साल का रोना, वही सूखी-सतही शुभकामनाओं का आदान-प्रदान, वे ही घिसे-पिटे जुमले । हमने कहा- ज़रा संभल कर चला करो । कोई बी.एम.डब्लू. कारवाले टक्कर तो नहीं मार गए? बोला- टक्कर तो मार ही जाते । पैसेवालों के ठलुए छोरे चला रहे थे गाड़ी, बड़ी तेज़ । यह तो मैं उछल कर एक तरफ़ हो गया वरना तो टक्कर मार ही जाते । वैसे उनकी भी क्या गलती । पिए हुए थे बेचारे और फिर कार और पेट्रोल भी कौन से अपनी कमाई के थे जो सोचते । बाप की कमाई है । और बाप भी कौन-सी दसों नाखूनों की कमाई करता है । वह तो भी दो नंबर का धंधा ही तो करता है। सो सपूत भी ऐसे ही होंगें । वे धन की चकाचौंध में थे और मैं भी तेज़ रोशनी से घबरा गया था । पर खैर जान बची और लाखों पाये ।
हमने 'हैप्पी न्यू ईयर' को अन्दर लिया, बैठने को कुर्सी दी और कहा- चाय का पानी चढाते हैं। जब तक दूध आए तब तक ज़रा अख़बार देख लेते हैं । हमने पूछा- जिस कार से तुम्हें टक्कर लगने वाली थी वह काले रंग की तो नहीं थी ?बोला- हाँ जी, काली ही थी । हमने उसके सामने अख़बार पटकते हुए कहा- लो, देख लो यह वही कार लगती है। खंभे से टकराकर उलट गई और उसमें सवार तीनों युवक अस्पताल में हैं । तीनों ही पिए हुए थे ।
३१ दिसम्बर २००८
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
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नया साल आए बन के उजाला
ReplyDeleteखुल जाए आपकी किस्मत का ताला|
चाँद तारे भी आप पर ही रौशनी डाले
हमेशा आप पे रहे मेहरबान उपरवाला ||
नूतन वर्ष मंगलमय हो |
पीने वालों के लिए नया हो या पुराना हर साल येही हाल रहता है...
ReplyDeleteआप को भी नव वर्ष की शुभ कामनाएं
नीरज
happy new year masterji!
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