Dec 1, 2008

अब तो पड़ गयी ठण्ड ? पाटिल का इस्तीफा



गृह मंत्री का पद क्या हो गया, आफ़त हो गई । घर में एक मंत्री होती है घर वाली । सब उस पर सवार । चाय अभी तक क्यों नहीं बनी, क्या झाड़ू लगाती हो, यहाँ कूड़ा पड़ा है, दाल में नमक ज़्यादा क्यों पड़ गया, बच्चा क्यों रो रहा है, मेरे मोजे कहाँ हैं, चुन्नू आज लंच-बोक्स भूल गया । गृहिणी एक और प्राण खाने वाले हज़ार । सास, ननद, ससुर, देवर, पति सबके अपने-अपने नखरे । अगर यही अपना चंडी वाला रूप दिखा दे तो सबकी जूँएं सो जायें । पाटिल बेचारे भले आदमी । किसी की जेब कट गई तो पाटिल की गलती, लल्लू की मुर्गी कल्लू का कुत्ता ले भगा तो पाटिल पर गुस्सा, किसी के घर में मच्छर घुस गया तो पाटिल को पकड़ो, किसी की दाल में मक्खी गिर गई तो पाटिल की लापरवाही । गृह मंत्री क्या बन गए सारे देश के गुलाम हो गए! अरे इतना बड़ा देश, हजारों किलोमीटर की स्थल और जल सीमा, रखवाली करने वाला एक आदमी और घुसने वाले अरबों लोग । लोगों को ख़ुद को तो अपने दो बच्चों की पूरी सी ख़बर नहीं रहती कि होम वर्क किया नहीं, स्कूल का नाम लेकर होटल में दारू तो नहीं पी रहा । करोड़ों बंगालादेसी आ घुसे तो क्या अकेले पाटिल के ही टाइम में ही आ घुसे? चालीस साल में और भी तो गृह मंत्री हुए है । पर ठीकरा पाटिल के सर । जिसे देखो पाटिल पर पिला पड़ रहा है ।

और आरोपों का आधार देखिये? बन्दे के सूट । उनका समयानुकूल साफ-सुथरे कपड़े पहनना । जिनके पास एक निक्कर और कमीज़ के अलावा और कुछ नहीं वे भुने जा रहे हैं । पाटिल दिन में तीन-तीन सूट बदलते हैं । अरे भाई जब हैं तो क्या ट्रंक में बंद करके रखने के लिए हैं क्या? क्या चड्डी-बनियान पहने ही किसी जेबकतरे के पीछे भाग लें? तब इनकी आत्मा को शान्ति मिलेगी । विष्णुजी के पास तो एरिया कम था । एक हाथी को बचाने के लिए नंगे पाँव दौड़ पड़े तो उसके चर्चे आज तक गाये जा रहे हैं । अगर पूरे भारत का चार्ज दे दिया जाए तो पता चले । फिल्मों में एक नाचने वाली तीन मिनट में तीस ड्रेसें बदल लेती है तो किसी को कोई एतराज़ नहीं । ये तो चाहते हैं कि गृह मंत्री पाँच साल तक न तो नहाये, न कपड़े बदले, न बाल ठीक करे । हो सकता है आतंकवादी गृह मंत्री के पसीने की बदबू से भागते हों ।

इन आम आदमियों को क्या पता कि कपड़े अवसर के अनुकूल पहनने चाहियें । अगर मान लीजिये पहन रखा है हरा सूट और जाने की ज़रूरत पड़ गयी गमी में तो सोचिये क्या अच्छा लगेगा? मौका देखना पड़ता है उसके अनुसार रंग चुनना पड़ता है । भले मरने वाले को लोग जला कर आ जायें और आप काला या सफ़ेद सूट खोजते रह जायें, कोई बात नहीं । डेकोरम भी तो कोई चीज़ होती है । पत्रकारों से क्या लालू जी की तरह लुंगी में ही मिललें?

भगवान की कृपा से मंत्री बन गए तो कपड़े पहनने का मौका मिला है वरना तो वकील थे तो वही काला कोट, सरदी, गरमी बरसात सभी मौसमों में । लोग समझते है कि भाडू (वकील) के पास एक ही कोट है । और ये मंत्री कोई ज़बरदस्ती बन गए क्या? बना दिया तो बन गए, हटा दिया तो हट गए । 'लायी हयात आए, कजा ले चली चले । न अपनी खुशी से आये, न अपनी खुशी चले ।' अब किसी और को बनाया तो वह बन गया । अब आप सोचते होंगे कि नया गृह मंत्री चड्डी बनियान और जूते पहन कर खड़ा रहेगा और सीटी बजाते ही दौड़ पड़ेगा । यह हो सकता है कि ये पेंट पहनते और वह लुंगी बाँधेगा पर थोड़ा बहुत टाइम तो उसमे भी लगेगा ही । लुंगी में दौड़ना थोड़ा मुश्किल तो होता ।

वैस हमें तो इस बात पर आश्चर्य है कि जब लोगों को आतंकवाद समाप्त करने इतना सरल उपाय मालूम था तो समय रहते बताया क्यों नहीं? पाटिल को हटा देते, मुम्बई पर हमला होता ही नहीं । अच्छा हो, पाटिल को हटवाने वाले ख़ुद ही गृहमंत्री बन जायें और दो चार दिन में हटा दें आतंकवाद को । हम उसके नाम की सिफ़ारिश कर देंगें । पर फिर भी न मिटा तो?

पंडित होने के नाते हम पाटिल साहब को ग्रह शान्ति का एक नुस्खा बताते हैं- वे अपने उन काले, सफ़ेद और हरे रंग वाले कुख्यात सूटों को किसी विपक्षी पार्टी वाले या पत्रकार को दान में दे दें और हर मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में कच्छा बनियान पहन कर नंगे पैर कनाट प्लेस वाले हनुमान जी के दर्शन करने जाएँ । अवश्य दिन फिरेंगे । रही बात चिदंबरम की तो उनके पास तो सीधा सा उपाय है कि आतंकवादियों के आयात पर इतना टेक्स लगा देंगे कि बच्चू को लाख बार सोचना पड़ेगा कि आतंकवाद के धंधे में रहूँ या कोई और धंधा करूँ?

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१ दिसम्बर २००८




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Jhootha Sach

5 comments:

  1. मुझे तो बहुत अच्छा लगा यह व्यंग्य. आपने बहुत अच्छा लिखा है.

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  2. वाह, गजब लिखा है आपने !
    घुघूती बासूती

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  3. हे बगवान आप को कौन समझाये पढे लिखे आदमी होकर अज्ञानी जैसे बाते कर रहे है?
    १. पाटिल जी मंत्री भगावन की कृपा से नही सोनिया अम्मा की कॄपा से बने थे.
    २. पाटिल साहब को मंत्री बनाया ही इसलिये गया था कि वो कुछ करते नही सिवाय सूट बदलने के . वो तो गलती से गलत समय और उससे भी बडा पाप गलत जगह आतंकवाद का मैनेजमेंट हो गया.वरना मैडम के अनुसार ही वो तो किर किरे साहब से मनेज करा रहे थे. इसलिये मैडम ने उन्हे दंड दिया.
    ३.इस कक्ष्ट को केवल युवराज ही हर सकते है . सो पाटिल साहब उनके महल के चक्कर काटे नंगे पाव . उनके लिये रात्री कालीन पार्टियो का इंतजाम करे.
    ४.गलती से भी आपकी राय पर अमल ना करे . अरे आपतो एक सेकुलर बंदे को सामप्रदायिक होने की राय दे रहे हो . अगला चर्च जाये मस्जिद जाये बस इससे आगे नही

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  4. सोनिया जी ने उन्हें अपनी सेवा के लिए रखा था, सो वह करते रहे. किसी ने उनसे कभी यह कहा ही नहीं की देश की सेवा भी करनी है. अब जनता गर्म हो गई तो उन्हें बाहर कर दिया कि लो प्यारी जनता यह है तुम्हारा अपराधी. छीन युद्ध के बाद डा. राधाकृष्णन ने कहा था - We are searching for scapegoats, but real goats have escaped.

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  5. बहुत हि सारगर्भित व्यंग्य.

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