टी.वी. पर साहित्य उत्सव में गुलज़ार साहब को सुना । पता नहीं वे नज्में थी या कविताएँ मगर चूँकि गुलज़ार साहब की थीं तो श्रवणीय तो होंगी ही । बूढ़े पेड़ , उस पर लटकी बूढ़ी चुड़ैलों आदि के बारे में कुछ था । वैसे तो दोषपूर्ण या निर्दोष किसी भी तरह के सपने अब आने बंद हो गए हैं । आते भी हैं तो महँगाई के सपने आते हैं । पहले इनसे डर लगता था पर जब से अपनी गर्दन मनमोहन सिंह जी और मुक्त बाजार को सौंप दी है तब से डर लगना भी बंद हो गया है । जब डर से मुक्ति नहीं दिखती तो फिर डर से भी समझौता हो जाता है । बकरा कब तक डरेगा ..'बलि का एक दिन मुअय्यन है , नींद फिर कब तलक नहीं आती' । मगर गुलज़ार साहब वाली बूढ़ी चुड़ैलों ने रात में कई बार दर्शन दिए । विनोबा वाले झोले में अपनी किताबें डाले , भयंकर मेकअप किए हुए उत्सव में अपना कोई पुराना चाहने वाला ढूँढती घूम रही थीं । बार-बार नींद उचटने से सुबह समय से आँख नहीं खुलीं ।
जब खुलीं तो लगा चबूतरे पर कोई मन्त्र-जाप सा कर रहा है और थोड़ी देर फुसफसाने के बाद 'ओम फट' जैसी कुछ ध्वनि निकाल रहा है । हमने बिना देखे ही कहा- बाबा , क्यों ठण्ड में यहाँ बैठकर हम पर पाप चढ़ा रहे हो । कुछ ठंडी रोटी , पुराना कपड़ा चाहिए तो कहो और फिर कहीं धूप में जाकर बैठो ।
तभी वह आकृति अपनी चद्दर उतार कर खड़ी हो गई और कहने लगी- मैं कोई भिखमंगा नहीं हूँ । मैं तो तोताराम हूँ । पता चला कि तू अभी तक सो रहा है सो यहाँ 'कोलावेरी डी' गाने की प्रेक्टिस कर रहा था । हमें बड़ा अज़ीब लगा । हमने 'कारे कजरारे’ को राष्ट्रगीत का दर्ज़ा हासिल करते हुए देखा है , ‘करोड़पति कुत्ते’ ( स्लम डॉग मिलेनियर ) के गाने 'जय हो' को कांग्रेस द्वारा चुनाव की वैतरणी पार करने के लिए नाव बनाते हुए भी देखा है और खैर भाजपा तो पैरोडी बनाने में सबसे होशियार है ही । सुना है उसने अब गोवा में 'कोलिवेरी डी' गाने की ट्यून और शब्दों को 'कमलवाली दी' करके फिट कर दिया है मगर तुझे कौन सा चुनाव जीतना है जो राम-नाम का जाप करने की उम्र में 'कोलावेरी' के चक्कर में पड़ा है ?
तोताराम ने कहा- समझदार आदमी को समय के साथ चलना चाहिए । यदि गोबर खाने का फैशन है तो गोबर खाने में नहीं हिचकना चाहिए । ओपरा विनफ्रे के आने से भारतीय साहित्य का कौन सा भला हो जाएगा मगर वह चर्चित है सो हर जगह महत्त्वपूर्ण और भीड़ जुटाने के लिए आवश्यक हो जाती है । यदि तू माइकल जेक्शन या लेडी गागा के बारे में नहीं जानता तो कोई तुझे भले लोगों में बैठने भी नहीं देगा ।
अमिताभ बच्चन कौन सा किशोर है जो 'कोलावेरी' सुनकर उछल रहा है । भाई , हर आदमी को बिकाऊ चीज से शिक्षा लेनी चाहिए । जो दिखता है सो बिकता है और जो बिकता है सो कमाता है और जो जितना ज्यादा कमाता है वह उतना ही बड़ा माना जाता है । अमिताभ बच्चन की विशेषता यही है कि वह अब भी कई बड़े-बड़े हीरो से ज्यादा कमा रहा है । और उसी क्रम में वह 'कोलावेरी डी' पर जान छिड़क रहा है । तुझे पता होना चाहिए कि आई.आई.एम. में भी 'कोलावेरी डी' के प्रसिद्ध होने और कमाई करने के मूल कारणों की खोज की जा रही है । तेरे मन्त्रों और भजनों ने आज तक कितनी कमाई कर ली ? तभी तो उन पर शोध करना तो दूर किसी ढंग के कार्यक्रम में उनके केसेट तक नहीं बजाए जाते ।
अब तो हमसे भी नहीं रहा गया , कहा- क्या पैसा ही सब कुछ है ? यदि सरकार को दूध से ज्यादा शराब से कमाई हो रही है तो शराब दूध से श्रेष्ठ नहीं हो जाती । कल को यदि पूनम पांडे को एक फिल्म के पचास करोड़ मिलने लग जाएँगे तो क्या उसके कपड़े उतारने और यू ट्यूब पर अपने वीडियो डालने की कला को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया जाना चाहिए ? और ये मनेजमेंट कालेजों वाले कोई मानवता का कल्याण करने के लिए नहीं बैठे हैं । यहाँ तो ऐसे लोग तैयार किए जाते हैं जो मोटा पैकेज देने वाली कंपनियों के मुनाफे के लिए ग्राहकों को ज़हर तक खिला देने की योग्यता रखते हों । पेप्सी वाली इंदिरा नूई क्या किसी जनकल्याण के कारण फ़ोर्ब्स की दुनिया की पावरफुल महिलाओं की सूची में है ? नहीं , वह तो अपने मालिक के मुनाफे के लिए लोगों में केंसर फ़ैलाने वाले ठंडे की बिक्री बढ़ाने के करण है ।
तोताराम कौनसा चूकने वाला था , बोला- हो सकता है आज तुझे मेरी बात ठीक नहीं लगती हो मगर यदि इसी तरह बाज़ार का दबदबा बढ़ता गया तो यह भी असंभव नहीं है ।
हम क्या कहते- बस , इतना ही कह पाए कि तोताराम शुभ-शुभ बोलो ।
२२-१-२०१२
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
जब खुलीं तो लगा चबूतरे पर कोई मन्त्र-जाप सा कर रहा है और थोड़ी देर फुसफसाने के बाद 'ओम फट' जैसी कुछ ध्वनि निकाल रहा है । हमने बिना देखे ही कहा- बाबा , क्यों ठण्ड में यहाँ बैठकर हम पर पाप चढ़ा रहे हो । कुछ ठंडी रोटी , पुराना कपड़ा चाहिए तो कहो और फिर कहीं धूप में जाकर बैठो ।
तभी वह आकृति अपनी चद्दर उतार कर खड़ी हो गई और कहने लगी- मैं कोई भिखमंगा नहीं हूँ । मैं तो तोताराम हूँ । पता चला कि तू अभी तक सो रहा है सो यहाँ 'कोलावेरी डी' गाने की प्रेक्टिस कर रहा था । हमें बड़ा अज़ीब लगा । हमने 'कारे कजरारे’ को राष्ट्रगीत का दर्ज़ा हासिल करते हुए देखा है , ‘करोड़पति कुत्ते’ ( स्लम डॉग मिलेनियर ) के गाने 'जय हो' को कांग्रेस द्वारा चुनाव की वैतरणी पार करने के लिए नाव बनाते हुए भी देखा है और खैर भाजपा तो पैरोडी बनाने में सबसे होशियार है ही । सुना है उसने अब गोवा में 'कोलिवेरी डी' गाने की ट्यून और शब्दों को 'कमलवाली दी' करके फिट कर दिया है मगर तुझे कौन सा चुनाव जीतना है जो राम-नाम का जाप करने की उम्र में 'कोलावेरी' के चक्कर में पड़ा है ?
तोताराम ने कहा- समझदार आदमी को समय के साथ चलना चाहिए । यदि गोबर खाने का फैशन है तो गोबर खाने में नहीं हिचकना चाहिए । ओपरा विनफ्रे के आने से भारतीय साहित्य का कौन सा भला हो जाएगा मगर वह चर्चित है सो हर जगह महत्त्वपूर्ण और भीड़ जुटाने के लिए आवश्यक हो जाती है । यदि तू माइकल जेक्शन या लेडी गागा के बारे में नहीं जानता तो कोई तुझे भले लोगों में बैठने भी नहीं देगा ।
अमिताभ बच्चन कौन सा किशोर है जो 'कोलावेरी' सुनकर उछल रहा है । भाई , हर आदमी को बिकाऊ चीज से शिक्षा लेनी चाहिए । जो दिखता है सो बिकता है और जो बिकता है सो कमाता है और जो जितना ज्यादा कमाता है वह उतना ही बड़ा माना जाता है । अमिताभ बच्चन की विशेषता यही है कि वह अब भी कई बड़े-बड़े हीरो से ज्यादा कमा रहा है । और उसी क्रम में वह 'कोलावेरी डी' पर जान छिड़क रहा है । तुझे पता होना चाहिए कि आई.आई.एम. में भी 'कोलावेरी डी' के प्रसिद्ध होने और कमाई करने के मूल कारणों की खोज की जा रही है । तेरे मन्त्रों और भजनों ने आज तक कितनी कमाई कर ली ? तभी तो उन पर शोध करना तो दूर किसी ढंग के कार्यक्रम में उनके केसेट तक नहीं बजाए जाते ।
अब तो हमसे भी नहीं रहा गया , कहा- क्या पैसा ही सब कुछ है ? यदि सरकार को दूध से ज्यादा शराब से कमाई हो रही है तो शराब दूध से श्रेष्ठ नहीं हो जाती । कल को यदि पूनम पांडे को एक फिल्म के पचास करोड़ मिलने लग जाएँगे तो क्या उसके कपड़े उतारने और यू ट्यूब पर अपने वीडियो डालने की कला को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया जाना चाहिए ? और ये मनेजमेंट कालेजों वाले कोई मानवता का कल्याण करने के लिए नहीं बैठे हैं । यहाँ तो ऐसे लोग तैयार किए जाते हैं जो मोटा पैकेज देने वाली कंपनियों के मुनाफे के लिए ग्राहकों को ज़हर तक खिला देने की योग्यता रखते हों । पेप्सी वाली इंदिरा नूई क्या किसी जनकल्याण के कारण फ़ोर्ब्स की दुनिया की पावरफुल महिलाओं की सूची में है ? नहीं , वह तो अपने मालिक के मुनाफे के लिए लोगों में केंसर फ़ैलाने वाले ठंडे की बिक्री बढ़ाने के करण है ।
तोताराम कौनसा चूकने वाला था , बोला- हो सकता है आज तुझे मेरी बात ठीक नहीं लगती हो मगर यदि इसी तरह बाज़ार का दबदबा बढ़ता गया तो यह भी असंभव नहीं है ।
हम क्या कहते- बस , इतना ही कह पाए कि तोताराम शुभ-शुभ बोलो ।
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