Feb 24, 2012

तोताराम का सूर्य नमस्कार

आज ठंड कुछ कम थी सो तोताराम जल्दी आ गया और कहने लगा- आज चाय बाद में पियेंगे । पहले छत पर चल कर सूर्य नमस्कार करेंगे । सूर्य नमस्कार करने से कमर नहीं झुकती ।

हमने कहा- बुढ़ापे में कमर झुकना स्वाभाविक है और फिर इस दुनिया में जीने के लिए कमर का थोड़ा झुका रहना ज़रूरी भी है । जो लोकतंत्र में कमर सीधी रखना चाहता है उसे बेकार में ही बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । कमर सीधी रखने के चक्कर में ही हमें धक्के खाने पड़े । यदि कमर झुका कर चलते तो अपने शहर में ही सारी सरकारी नौकरी पूरी कर लेते ।

तोताराम बोला- तू कभी भी अभिधा में बातें नहीं करेगा । जब देखो किसी भी बात में व्यंजना झाड़ने लगता है । अरे, मैं सीधी सी बात कह रहा हूँ- सूर्य नमस्कार करने चलें । इससे स्वास्थ्य ठीक रहता है , बस ।

तोताराम का कहना मान कर छत पर चले गए और जैसे ही दोनों हाथ जोड़ कर सूर्य नमस्कार करना शुरु किया तो एक जोर की आवाज़ आई- तुम कौन हो ?

हमने कहा- तोताराम, यह तो कमाल हो गया । स्वास्थ्य-वास्थ्य की तो बाद में देखी जाएगी मगर यहाँ तो हाथ जोड़ते ही भगवान से कनेक्शन जुड़ गया । हम दोनों ने गद्गद् होकर कहा- प्रभु, हम आपके भक्त हैं ।

उधर से आवाज़ आई- भक्त-वक्त कुछ नहीं, तुम दोनों का धर्म और जात क्या है ?

हमने कहा- भगवन, अमरीका से लेकर भारत तक सभी देश धर्म निरपेक्ष हैं इसलिए आप धर्म और जात की बातें करके संविधान और मानवाधिकारों का उल्लंघन न करें । बिना बात कोई कार्यकर्त्ता आप पर जनहित याचिका डाल देगा और आप बिना बात तारीखें भरते फिरोगे । कोई वरदान-शरदान देना हो तो हम अपनी लिस्ट निकालें ।

सूर्य भगवान भी जिद पर आ गए, कहने लगे- यदि ब्राह्मण हो तो ठीक है, नहीं तो कोई न कोई फतवा या धर्माज्ञा ज़ारी हो जाएगी और तुम दोनों भागते फिरोगे ।

हमने कहा- प्रभु, आप तो सारी दुनिया के हो । आपको नमस्कार करके तो मनुष्य आप के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करता है और मान लीजिए यदि कोई इतना ही कृतघ्न हो कि आपको प्रणाम भी न करे तो भी इस ऊपर-नीचे होने से व्यायाम तो हो ही जाएगा । और ईश्वर तो सब को दिखाई नहीं देता और उसे अनुभव करना कृतज्ञता और ज्ञान के बिना संभव नहीं है मगर आप तो साक्षात् देवता हो । रोज सुबह शाम दिखाई देते हो । यदि रात को यहाँ दिखाई नहीं देते तो दुनिया के दूसरे भाग में चमकते हो । आप न हों तो यह दुनिया ठंड में जम कर खत्म हो जाएगी । यदि आप नहीं हों तो पृथ्वी पर जीवन ही नहीं होगा । आप तो सब के हो । किसी एक धर्म या जाति के थोड़े ही हो ।

सूर्य भगवान कहने लगे- यह मुझसे क्या पूछते हो ? जिन्हें सूर्य नमस्कार से ऐतराज़ है उनसे पूछो ।

हमने कहा- प्रभु, सारे धर्म मानते हैं कि ईश्वर एक है । और आप तो एक हो यह सब को दिखाई देता ही है । आपके बारे में तो शंका का प्रश्न ही नहीं है । यदि पानी हिंदू है, आब मुसलमान है और वाटर क्रिश्चियन है तो बात और है । वैसे इसका भी रास्ता निकला जा सकता है । हिंदू सूर्य नमस्कार कर लें, मुसलमान 'अफताब-आदाब' कर लें और क्रिश्चियन 'सन-सेल्यूटेशन' कर लें । फिर तो हमारे खयाल से कोई झगड़ा नहीं रहेगा ।

अब तो सूर्य भगवन को थोड़ा स गुस्सा आ गया और थोड़ी तेज आवाज़ में बोले- यह अपनी मास्टरी वाले नाटक छोड़ो और राजनीति को समझो । यदि लोग इसी तरह से अपने विवेक से निर्णय लेने लगे तो धर्म का धंधा करने वाले क्या खाएँगे और नेताओं का वोट बैंक कैसे बनेगा ? फिर तो देश-दुनिया के सारे काम ही उचित-अनुचित के आधार पर होने लगेंगे । लोग ऐसे ही सोच समझकर निर्णय करने लगे तो हथियारों के तो कारखाने ही बंद हो जाएँगे । दुनिया का सारा बना-बनाया सिस्टम ही होच-पोच हो जाएगा ।

बस, यदि हिंदू और ब्राह्मण हो तो नमस्कार करो वरना अपनी चटाई समेटो और नीचे जाकर चाय पिओ और फालतू की चर्चा करो ।

हम दोनों ने तत्काल नीचे चले जाने में ही भलाई समझी । आस्तिक होने के कारण हमें डर भी लग रहा था और टाँगें भी काँप रही थीं ।

२३-२-२०१२
पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)


(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

1 comment:

  1. अगर आफताब-आदाब होता तो चल गया होता.. :)

    ReplyDelete