Nov 5, 2008
सलाम अमरीका
हम अमरीका की भोगवादी, पूंजीवादी, नस्लवादी, गोरी कुंठाग्रस्त संस्कृति को देख और भुगत चुके हैं| इसीके दुष्परिणाम थे -हथियारों की होड़, आतंकवाद और बैंकों तथा अर्थव्यवस्था का लड़खड़ाना| आज ओबामा की जीत के साथ ही अमरीकी समाज ने अपने नस्लवादी पाप का प्रायश्चित कर लिया है| प्रायश्चित से पवित्रता आती है| योरप में यह भावना पता नहीं कब आयेगी पर अमरीका ने अपने लोकतंत्र का क्रांतिकारी उजला और सकारात्मक पक्ष दुनिया के सामने रख दिया है|
हालांकि हिलेरी क्लिंटन ने अपने लिए पार्टी की उम्मीदवारी जीतने के लिए ओबामा को अफ्रीकी मूल का मुसलमान प्रचारित करवाया, मेकेन ने उन्हें यूरोपियन समाजवादी कहते हुए हुसैन(मुसलमान) को रेखांकित किया| मेकेन की चुनाव सभा में ओबामा के लिए किल हिम, किल हिम के नारे भी लगे पर चुनाव परिणाम ने यह सिद्ध कर दिया कि यह अमरीकी बहुमत की आवाज नहीं थी|
हमने चुनाव सभाओं में आने वाले अस्सी-नब्बे साल के बुजुर्गों की आंखों में आंसू देखे हैं| उनको विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उस अमरीका में जहाँ कभी उनके साथ पशुओं जैसा व्यवहार किया गया था, उस अमरीका में उनके सामने राष्ट्रपति पद का एक काला उम्मीदवार खडा है| अब ओबामा की जीत के जश्न में शामिल गोरों के चेहरों पर आक्रोश नहीं वरन सहजता थी| अब आशा की जानी चाहिए कि ओबामा ने जो समन्वयवादी और परिपक्व मुद्दे उठाये हैं उन पर कार्य करके अमरीका को एक कल्याणकारी और संवेदनशील राष्ट्र की छवि प्रदान करेंगे|
हम भी अमरीका की आलोचना करते रहे हैं पर इस क्षण पर हम अमरीकी लोकतंत्र को सलाम करते हैं और इस नई अमरीकी छवि के और उज्ज्वल होकर निखरने की कामना करतें हैं| आशा है कि संसार के कट्टरवादी और धर्म, जाति, भाषा के नाम पर विद्वेष फैलाने वाले कुछ शिक्षा लेंगे |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
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Jhootha Sach
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मैं भी !
ReplyDeleteघुघूती बासूती