Nov 23, 2008
तोताराम के तर्क - दीदी का चांटा
आज जब तोताराम आया तो उसने शाल से सिर और चेहरा ढक रखे थे । हमने हँस कर पूछा- तोताराम अभी तो नवम्बर का पहला सप्ताह ही है और तूने शाल ओढ़ना शुरू कर दिया, दिसम्बर-जनवरी में क्या करेगा । तोताराम ने कोई उत्तर नहीं दिया । बस हूँ हाँ करके ही कम चलाता रहा । तोताराम सामने हो और चर्चा न हो, यह कैसे हो सकता है । अजीब बात है ना? इसके बाद जब चाय आई तो भी वह चेहरा ढके-ढके ही चाय पीने की कोशिश करने लगा । हमने उसकी शाल खींच ली और कहा- यह क्या नव वधू की तरह लजा रहा है? पर यह क्या? आँख के पास से तोताराम का चेहरा सूजा हुआ था । हमें कुछ चुहल करने की सूझी,पूछा- क्या ओबामा की जीत के कारण खुशी से फूल रहा है या फिर बंटी की दादी ने तेरा नागरिक अभिन्दन कर दिया? तोताराम ने धीरे से कहा- नहीं, अभी उसका इतना सशक्तीकरण नहीं हुआ है । और जहाँ तक ओबामा के जीतने बात है तो उसमें क्या खुशी की बात है । उसके जीतने से कौनसी भारत में महँगाई कम हो जायेगी । मैं तो भैया दूज पर दीदी के यहाँ गया था, पता नहीं बात-बात में क्या हुआ कि दीदी ने कसकर एक चाँटा मार दिया । बस उसी से आँख के पास थोडा नील पड़ गया । हमने कहा- तूने कोई गलती की होगी । बोला- नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं थी पर हो सकता है दीदी को कुछ ज़्यादा ही प्यार आ गया हो । जब दीदी को ज़्यादा प्यार आता है तो अक्सर ऐसा हो जाता है । अब भई, जो दीदी इतना प्यार करती है उसे चाँटा मारने का भी तो अधिकार हो ही जाता है । खैर कोई बात नहीं ।
हमें बड़ा अजीब लगा, कहा- फिर भी भई, तुम इतने छोटे बच्चे थोड़े ही हो कि जो चाँटा ही मार दें । तोताराम बोला- मास्टर, यह तो खैरियत है कि दीदी को ज़्यादा गुस्सा नहीं आया वरना तुझे पता है उनके पास रिवाल्वर भी है । यदि गोली मार देती तो कौन, क्या कर लेता ।
हम तय नहीं कर पाये कि जब उमा भरती ने अपनी पार्टी के महामंत्री अरुण राय को सबके सामने चाँटा मार दिया तो वे बहिन के वात्सल्य के कारण चुप रहे या रिवाल्वर के डर से । हमारे कोई बहिन नहीं है । पहले हम इस बात को लेकर दुःखी रहा करते थे पर आज लगा कि बहिन नहीं तो कोई बात नहीं, थोबड़ा तो सलामत है ।
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६ नवम्बर २००८
जागरण लिंक
( लेख पहले ही लिख दिया था, पाठकों के समक्ष पहले नहीं रख पाया, उसके लिए क्षमार्थी हूँ )
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.
Jhootha Sach
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उमा कुम्हार राय शिष्य है, गढी-गढी काढ़े खोट |
ReplyDeleteघर में गले लगाए के, बाहर मारे चोट (या चांटे?) |