Nov 23, 2008

तोताराम के तर्क - वे देश चलाते हैं


सवेरे-सवेरे अखबार में कपिल सिब्बल का वक्तव्य पढ़ा तो बड़ी कोफ़्त हुई । जनाब ने फ़रमाया- सरकार का काम देश चलाना है । हमें किसी विमानन कम्पनी के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं देना है ।

जैसे ही तोताराम आया,हम उसी पर पिल पड़े- देख लिया अपने जन सेवकों का दायित्व-बोध! शेयर बाज़ार के जुआरियों को बचाने के लिए तो जनता के टेक्स के हजारों रुपये लुटा रहे हैं और महँगाई और कर्मचारियों की छटनी पर जुबान नहीं खुलती । तोताराम ने हमारी बात का उत्तर नहीं देकर उल्टा हमें ही लपेटना शुरू कर दिया- तुझसे चालीस बच्चों की क्लास नहीं संभलती थी । पाँच-सात पोते-पोतियाँ तुझे नचा देते हैं और भाभी तो खैर पचास वर्षों से तुझे नचा ही रही है । तू आज तक किसी को भी चला सका? ये लोग देश को चलाते हैं । हमने कहा- देश तो अपने आप चलता है । वह बोला- यह देश अपने आप चलने वाला नहीं है । सबसे बड़ा देश फिर लोकतंत्र ऊपर से । कभी किसी सांसद को खरीदो, कभी किसी को मुख्यमन्त्री का पद देकर पटाओ, कभी इन अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण करो, कभी उन अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण करो । यह तो इन्ही का जिगर है जो देश को चला रहें हैं । ये न होते तो यह देश कभी का बैठ गया होता ।

हमने कहा- तोताराम, दखल तो देते हैं । शाहबानो वाले मामले में सर्वोच्च न्यायालय की मिट्टी कूटी थी या नहीं? तोताराम बोला- एक आध मामले की बात छोड़, इतिहास उठा कर देख कि कब देश चलाने वालों ने दखल दिया । पंचशील के अनुयायी हैं- कोई यहाँ घुस आए, कोई धर्म परिवर्तन करवाले, कोई अतिक्रमण कर ले, कोई आतंक फैला दे, कोई कानून को अपने हाथ में ले ले - ये सुशील बने रहते हैं । कितने उदाहरण चाहियें? शक, हूण, तुर्क, मंगोल, मुग़ल आए, अंग्रेज, फ्रांसीसी, पुर्तगाली आए, करोड़ों बंगलादेशी-पाकिस्तानी घुस आए, क्या किसीसे कुछ कहा? कोई दखल दिया? कश्मीर से पंडित भगाए गए, अमरनाथ यात्रियों को मारा गया, कश्मीर में पाकिस्तानी झंडा लहराया गया, शंकराचार्य को गिरफ्तार किया गया, क्या इन्होंने कोई अड़चन डाली? योरप-अमरीका यहाँ के बीज, संस्कृति, खान-पान, भाषा को खदेड़ रहे हैं तो क्या ये कुछ रुकावट दाल रहें हैं ? सो भइया, यदि तुझे कोई तक़लीफ़ है तो अपनी निबेड़ । इनके पास देश चलाने से ही फुर्सत नहीं है ।

हमें लगा- ख़ुद मरे बिना स्वर्ग नहीं मिलाता । बहुओं के हाथ चोर नहीं मरवाए जाते ।

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१६अक्टूबर २००८



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Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.
Jhootha Sach

1 comment:

  1. एक नेता से पत्रकार ने पूछा - आपकी सफलता का राज़ क्या है?
    नेताजी बोले- हम सोचते कुछ हैं,
    ... कहते कुछ और हैं,
    ... करते कुछ और हैं
    ... और
    ... और
    ... हो कुछ और ही जाता है!

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