Jan 17, 2024

मोदी नहीं तो कौन ?


मोदी नहीं तो कौन ?



हमारे यहाँ हमेशा चहल-पहल रहती है ।सुबह से ही स्कूल बसों, बिल्डिंग मेटीरियल ढोते ट्रेक्टरों और सुबह सुबह की अजान और मंदिरों के फिल्मी धुनों पर बजते भजनों की आवाजें आने लग जाती हैं ।  आज तो खैर मकर संक्रांति है । मोदी जी की कृपा से सुना है बिना झंडी दिखाए ही सूर्य भगवान उत्तरायण हो गए । वैसे इस उत्तरायण में भारतीय पतंगों, चीनी मंजे और छतों पर जोर जोर से बज रहे लाउडस्पीकरों का योगदान भी कम नहीं है । 

इसी शोरगुल नहीं, पवित्र ध्वनियों के बीच आज जैसे ही तोताराम का पदार्पण हुआ, हमने कहा- तो तोताराम, 22 को मोदी जी प्राणप्रतिष्ठा कर ही रहे हैं । 

बोला- क्या तुझे कोई शक है ?

हमने कहा- हमें कोई शक कैसे हो सकता है ? हम तो उनके अब तक के कामों से यही समझे हैं कि मोदी जी कुछ भी कर सकते हैं । नोटबंदी, तालाबंदी, संसद में एंट्रीबन्दी । लेकिन चर्चा है कि शंकराचार्यों ने इसे ठीक नहीं माना है । वे प्राणप्रतिष्ठा समारोह में नहीं जा रहे हैं । 

बोला- शंकराचार्य तो बिना बात बिफर रहे हैं ।  अगस्त 2020 में शिलापूजन के समय 36 परंपराओं के संतों महंतों को बुलाया गया था, यहाँ तक कि दो मुसलमानों को भी बुलाया गया था लेकिन शंकराचार्यों, तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द और विपक्षी पार्टियों के किसी नेता को, यहाँ तक कि आडवाणी जी को भी  नहीं बुलाया गया था ।  तब ये लोग क्यों चुप रहे ? असली आयोजक, संयोजक तो आर एस एस, हिन्दू महासभा, विश्व हिन्दू परिषद आदि हैं। आज भी वे ही हैं । 

हमने कहा- लेकिन अब तो बहुत से लोगों को बुलाया गया है, विपक्ष वालों को भी । 

बोला- वह तो उन्हें दुविधा में डालने के लिए बुलाया गया है । जाएँ तो भाजपा के मंदिर एजेंडा पर सहमति की मोहर, न जाएँ तो राम द्रोही । दोनों तरह फायदा भाजपा को । ऐसी किस्त मात फँसाई है कि न निगलते बने और न उगलते । यह तो विपक्षियों को शंकराचार्यों की आड़ मिल गई अन्यथा कोई रास्ता नहीं था । 

हमने कहा- लेकिन काम पूरा तो हो जाने देते । अपूर्ण मंदिर की जो बात बहुत से लोग कह रहे हैं उसमें भी दम तो है । और फिर कहते हैं ये काम सपत्नीक होने चाहियें । 

बोला- तो क्या मोदी जी ने शिलापूजन के रूप में 5 अगस्त 2020 को जो अकेले शिलान्यास किया था वह गलत था ? यदि था तो तब ये क्यों नहीं बोले ?  क्या रामसेतु बनाने से पहले राम ने रामेश्वरम की स्थापना अकेले नहीं की थी ? और फिर शस्त्रों में यह भी तो कहा गया है- महाजनो येन गतः सः पन्थाः । सो मोदी जी 'महाजन' हैं । 140 करोड़ भारतीयों ही नहीं बल्कि विश्व के 8 करोड़ लोगों के नेता और मार्गदर्शक । उनसे बड़ा 'महाजन' और कौन हो सकता है ? और फिर मोदी नहीं तो कौन ? 

हमने कहा- तो जब मोदीजी का जन्म नहीं हुआ था तब यह सृष्टि कैसे चल रही थी ?

बोला- चल क्या रही थी, घिसट रही थी 2014 से पहले । और फिर जिस काम को जो व्यक्ति सही ढंग से कर सकता हो उसी से करवाना चाहिए । स्पेशियलाइज़ेशन का युग है ।  कहा भी है-

जिसका काम उसी को साजे 

और   करे   तो  डंडा   बाजे 

जिसे देश के रेलमंत्री को झंडी तक दिखानी नहीं आती उस देश के शंकराचार्य क्या शिलापूजन करवाएंगे और क्या उद्घाटन करेंगे ? एक भले आदमी के सिर सब आ पड़ा । दस साल से 20-20 घंटे काम करना पड़ रहा है । लगता है अब वह दो-चार घंटे का सोना भी बंद । 

कोई बात नहीं । कहा भी है समझवार की मौत ।

हमने कहा- लेकिन अभी तो मंदिर अधूरा है । पूरा होने पर प्राणप्रतिष्ठा और गृहप्रवेश करवा देते ।  लोग कहते हैं चुनावों में फायदा लेने के लिए यह सब किया जा रहा है । 

बोला- लोगों का काम है कहना । बात वचन और वादे की है । 

रघुकुल रीति सदा चलि आई । प्राण जाइ पर वचन न जाई ।।

इस टर्म के लिए तीन तलाक और धारा 370 के बाद यही वचन बचा था । अगर राममंदिर का वचन पूरा नहीं करते तो तुम लोग वादाखिलाफी का आरोप लगाते । 

और फिर आजकल ठंड कितनी पड़ रही है । बालक रामलला 500 साल से ठंड में बाहर बैठा है । अगर ठंड लगकर निमोनिया हो गया तो ? और फिर कब्जा पक्का करने के लिए रंग-रोगन का इंतजार नहीं किया जाता । जितनी जल्दी अंदर घुसकर बाहर नेमप्लेट लगा दो उतना अच्छा । 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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