Jan 20, 2024

मोदी-गाय


मोदी-गाय  

आजकल ठंड अधिक होने के कारण हम सुबह सुबह दूध लेने नहीं जाते । वैसे दूधवाले के घर जाकर दूध लाने वाला यही चाहता है कि दूध उसके सामने निकाला जाए और दूधवाला चाहता है कि किसी तरह ग्राहक के पहुँचने से पहले ही निकालकर जो कुछ घपला करना हो कर लिया जाए । 

आजकल तो खैर, बड़े घरों के बच्चे दूध देने वाले पशु के रूप में फ्रिज का नाम बताने लगे हैं लेकिन गांवों में रहने वाले और विशेषकर आज 60-70 साल की आयु प्राप्त कर चुके भारतीय लोग ग्राहक और दूधवाले के बीच की इस आँख मिचौनी से वाकिफ हैं । हमारी एक परिचित हैं जो ओहायो राज्य में रहती हैं । उनकी माताजी ने हमें एक बार बताया था कि 1970-80 के बीच यहाँ भी कुछ मील जाकर ताज़ा दूध लाया करते थे । ध्यान रहे, ओहायो मध्य अमरीका का एक कृषिप्रधान राज्य है । 

तोताराम और हम चाय का इंतजार कर रहे थे कि पत्नी ने आवाज लगाई-

अगर बिना दूध की नींबू वाली की चाय पीनी है तो बना दें अन्यथा या तो जयपुर रोड़ से मंडी के गेट के पास वाले  सरस डेयरी के बूथ से दूध ले आओ या फिर आज फिर मोदी जी की तरह 'राम मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान' स्वरूप चाय न पीकर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ कर लो । बचत की बचत और परलोक सुधार का परलोक सुधार । अगर अखबार में छप गई और किस्मत तेज हुई तो राजनीतिक कृपा भी प्राप्त हो सकती है । 

पत्नी के इस लघु भाषण से हमें बहुत खुशी हुई और दुख भी हुआ कि इसकी इस प्रतिभा का विस्तार हुआ होता तो शायद किसी राष्ट्रीय महिला मोर्चा की जिला नहीं तो, गाँव-गली-मोहल्ला अध्यक्ष तो बन ही गई होती । 

तोताराम ने सुझाव दिया- मास्टर, इस दूध लाने और दूध में पानी की मिलावट होने या फिर दूध के नकली होने की समस्या के स्थायी हल के लिए एक भैंस क्यों नहीं पाल लेता । 

हमने कहा- तोताराम, हम देव संस्कृति के उपासक है । हमें भैंस महिषासुर की अम्मा दिखाई देती है । और फिर गौ भक्त बताते हैं कि भैंस के दूध में दैवीय गुण नहीं होते । उसके मूत्र और मल में भी वह अलौकिक बात नहीं होती जो गाय के गोबर और गौ मूत्र में होती है । 

बोला- तभी गाय का 'गोबर' होता है और 'पूज्य' होता है । भैंस के मल को इसीलिए कोई  'भैंबर' जैसी विशिष्ट संज्ञा  नहीं दी गई । गाय के कत्ल और मांस पर बवाल होता है लेकिन दूध देने वाला पशु होने पर भी भैंस-हत्या और मांस पर किसी को कोई ऐतराज नहीं होता । वैसे तो संविधान कोई भेदभाव नहीं करता लेकिन हिन्दू धर्म में यह नस्ल और जातिवाद होता है । वैसे दोनों के दूध और भैंस-गाय पर लिखे निबंध से दोनों में किसी विशेष अंतर का पता नहीं चलता है । 

तू तो जर्सी गाय पाल ले जो दूध भैंस की तरह देती है और कहलाती गाय है । 

हमने कहा-  हम अपने हिन्दुत्व से ऐसा छल नहीं कर सकते । पालेंगे तो शुद्ध देसी गाय - कोई राठी, थारपरकर या गिर नस्ल की । लेकिन गाय लिए बड़ा इंफ्रास्ट्रकचर चाहिए । 

बोला- तो फिर तू बकरी पाल ले । गांधी जी भी बकरी रखते थे । जगह भी कम घेरेगी,   साल में दो बार बच्चे देगी।   बकरे-बकरी बिक जाएंगे । मोबलिंचिंग का कोई चक्कर नहीं । 

हमने कहा- लेकिन बकरी मुसलमान होती है ।इसीलिए तो सच्चे हिन्दू गांधी को पसंद नहीं करते । मुसलमानों को पालने की जिम्मेदारी मुस्लिम देशों की है । पालना ही होगा तो हिंदुओं को पालेंगे । बेचारे पहले से ही किसी तरह पाँच किलो राशन पर दिन काट रहे हैं ।  

बोला- फिर तो मोदी जी से संपर्क करना होगा । 

हमने कहा- मोदी जी को विश्व कल्याण, भारतीय लोकतंत्र की सुरक्षा और  देवी-देवताओं के पुनर्वास से ही फुरसत नहीं है ।पहले तीस साल के संघर्ष के बाद जमीन पर कब्जा लिया, अब दस साल में मितव्ययिता करके किसी तरह राम का मंदिर बनवाया । किसी तरह अगले दस साल में कृष्ण की आवास समस्या सुलझानी है । उसके बाद अगले दस साल में ज्ञानवापी का अवैध कब्ज़ा छुड़वाकर बाबा विश्वनाथ के कोरिडोर को कंफरटेबल बनाना है । तब तक उनके अवतार का भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का उद्देश्य भी पूरा हो जाएगा । और उसके बाद अपनी माया भी तो समेटेंगे । ऐसे में हमें पशुपालन के बारे में  राय देने का समय कहाँ है । वैसे जहां तक ज्ञान की बात है तो हमारा पूरा विश्वास है कि उनके पास हर समस्या का हल है । उनका अनुभव बहुत विराट है । वे त्रिकालदर्शी और त्रिकालज्ञ हैं । 

बोला- उन्हें इसके लिए अलग से कुछ करने सोचने की जरूरत नहीं है । उन्होंने पहले ही 'मोदी-गाय' विकसित कर ली है ।  यह गाय-सांड की एक ऐसी नस्ल है जो उनकी कुर्सी के हत्थे तक ही आती है । वे उन्हें कुर्सी पर बैठे बैठे ही सहला सकते हैं ।  

ऐसा कहकर तोताराम ने हमारे सामने एक फ़ोटो कर दी जिसमें मोदी जी एक मिनिएचर गाय को सहला रहे हैं  और एक वैसा ही मिनिएचर सांड उसके पास खड़ा है । 

हमने कहा- तोताराम, ये तो गाय और सांड हैं, मोदी जी के सामने तो हिमालय भी झुककर घुटनों पर आ जाता है । संतों और अवतारी पुरुषों में बड़ा कमाल होता है ।    

 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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