नारियल पानी और वह भी दिन में सिर्फ दो बार
आज जैसे ही हमने तोताराम के सामने चाय का गिलास रखा तो बोला- नहीं, मैं इस तामसिक पदार्थ का सेवन नहीं करूंगा । ले जा वापिस।
हम अन्य किसी भी असंभव पर विश्वास कर सकते हैं लेकिन तोताराम चाय के लिए इनकार कर दे यह कदापि विश्वसनीय नहीं । पूछा- पिछले साठ सालों से तो यह अमृतपान था और आज अचानक तामसिक पदार्थ हो गया । कल तक तो मोदी जी का नाम लेकर गुजरात की मसाले वाली चाय की फरमाइशें किया करता था और आज ।
बोला- आज भी मोदी जी के कारण ही चाय के लिए इनकार कर रहा हूँ ।
हमने कहा- मोदी जी एक बार काँग्रेसविहीन भारत अस्वीकार कर सकते हैं लेकिन चायविहीन भारत उन्हें कभी स्वीकार्य नहीं होगा ।चाय के बिना उनकी चर्चा भी वैसे ही अधूरी रहती है जैसे माखन, बाँसुरी और गाय के बिना कृष्ण की छवि अधूरी है । तो फिर चायविहीन बरामद क्यों ?
बोला- मैं भी ऐसा नहीं चाहता लेकिन नियमों से मजबूर हूँ । आजकल मैं भी मोदी जी की तरह अनुष्ठान के नियमों से बंधा हुआ हूँ । यम-नियमों के अनुसार प्रत्येक तामसिक पदार्थ से दूर रहना है ।
हमने कहा- लेकिन आजकल तो लोग निर्जला एकादशी को भी चाय को निषिद्ध नहीं मानते । क्योंकि यह न तो जल है और न ही भोजन । यह चमगादड़ों की तरह लिंग विहीन है; न पश, न पक्षी । सब जगह फिट हो जाता है । तो फिर चाय नहीं तो और क्या ?
बोला- बस, दिन में दो बार नारियल पानी । और कुछ नहीं ।
हमने कहा- लेकिन यह तो भोजन से भी महंगा अनुष्ठान है । मोदी जी की बात अलग है । वे तो दिन भर नारियल पानी ही क्या 40 हजार रुपए किलो का मशरूम तक अफोर्ड कर सकते हैं लेकिन हम नहीं । तुझे पता है सीकर में पानी वाले एक छोटे से नारियल के भी 50 रुपए लगते हैं। क्या मोदी जी भी 11 दिन केवल रोज दो नारियल-पानी पर ही रहेंगे ?
बोला- और क्या ? यह शुद्ध है, सात्विक और सनातनी है । नारियल को लक्ष्मी का फल माना जाता है- श्रीफल ।
हमने फिर पूछा- तो क्या अनुष्ठान के यम नियमों में यह भी लिखा है कि केवल दो ही नारियल-पानी का सेवन करना है ?
बोला- यह तो मुझे पता नहीं लेकिन जो कारण मेरी समझ में आता है वह यह है कि जाड़े और बरसात में वैसे ही पेशाब अधिक आता है । पानी अधिक पीने पर तो और भी हालत खराब हो जाती है। इधर पानी पिया उधर जाओ दो नंबर के लिए ।
फिर अनुष्ठान में तो हर मल-मूत्र विसर्जन के बाद स्नान का विधान है । ऐसे में क्या ग्यारह दिन मूत्र विसर्जन और स्नान ही करते रहो ? फिर एक एक दिन में देश के चार चार दूरस्थ मंदिरों के दर्शन और वहाँ विधि-विधान से पूजन कैसे संभव हो सकता है । हो सकता है बहुमूत्रता से बचने के लिए ही उपवास और थोड़ा सा नारियल पानी का ऐसा विधान किया गया हो ।
हमने कहा- सुना है उत्तरी कोरिया का राष्ट्रपति किम जोंग उन मल-मूत्र विसर्जन नहीं करता । और यह भी सुनते हैं कि वहाँ की जनता को इस पर विश्वास भी करना पड़ता है । पश्चिमी मीडिया विशेषकर अमरीकी मीडिया उन सब के बारे में ऐसी बातें तरह तरह से फैलाता रहता है जिन्हें वह अपने अनुकूल नहीं समझता । यह अफवाह भी उनमें से एक हो सकती है । जो नहीं खाता उसके बारे में तो यह बात किसी हद तक समझ में आ सकती है लेकिन फिर उस हालत में वह सूख-सिकुड़कर महिने-बीस दिन में मर भी जाता है । किम देखने में तो बहुत मोटा-ताजा है। लगता है सारा भोजन और पेय पदार्थ पेट से सीधे-सीधे मांसपेशियों में ही बदल जाते होंगे ।
बोला- मोदी जी न तो खुद ऐसी अवैज्ञानिक बातें करते हैं और न ही पसंद करते हैं । वे तो बहुत वैज्ञानिक सोच के व्यक्ति हैं । हाँ, कुछ लोग मोदी जी के न चाहने पर भी उन्हें शिव, विष्णु, कृष्ण आदि का अवतार बताते हैं उस हिसाब से तो यह सच हो सकता है कि वे दो नारियल पानी ही क्या, खूब खा पीकर भी मल-मूत्र विसर्जन न करें । ऐसी स्थिति में तो वे बिना कुछ खाए-पीए और सोये, बिना मल-मूत्र विसर्जन में समय व्यर्थ किये 24 घंटे देश-दुनिया की सेवा कर सकते हैं ।
हमने कहा- तभी किसी देव मूर्ति के लिए शौचालय का विधान नहीं होता ।
पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
No comments:
Post a Comment