Jan 2, 2024

तोता 'राम मंदिर'


तोता 'राम मंदिर'  


आज तोताराम ने आते ही फिर प्रश्न उछाला- तो अंततः क्या तय हुआ  ? 

हमने कहा- किस बारे में ?

बोला- किस बारे में क्या ? राम लला के गृह-प्रवेश वाले कार्यक्रम का ?

हमने कहा- हमारे अनुसार तो राम, मर्यादा, धर्म आदि का कोई तयशुदा विग्रह, स्वरूप नहीं होता । वह देश, काल, भक्त और फैशन के अनुसार बदलता रहता है । किसी फिल्म के नायक को अपनी प्रेमिका में रब दिखाई देने लग जाता है तो किसी चंपत राय को मोदी जी में विष्णु  नजर आने लगते हैं । कुछ स्वार्थी लोगों का स्वार्थ जब कीस गधे से सिद्ध होने वाला लगता है तो उसे गधे में अपना आराध्य और बाप दिखाई देने लग जाता है । कोई बाई अपने भगवान को खिचड़ी खाने के लिए विवश कर देती है । तो कहीं कोई भगवान किसी भगत का खेत जोतने के लिए विवश हो जाते हैं । 

राम तो एक भाव है जो आपको कुछ बड़ा करने की प्रेरणा देते हैं । अब यह बात और है कि कुछ अहंकारी लोग इस बढ़ती चुनावी ठंड में आधे-अधूरे बने घर (राम मंदिर) में  राम को बसाने का दंभ भरते हैं । 

लेकिन तुझे अब राम लला के गृहप्रवेश के बारे में और क्या तय करना शेष रह गया ?

बोला- वही, उस गीत की तरह- वो झरोखे से जो झाँके तो इतना पूछूँ । मैं रुकूँ या चला जाऊँ । मैं अयोध्या जाऊँ या नहीं । 

हमने कहा- आडवाणी जी और मुरली मनोहर जोशी को न आने वाला निमंत्रण दे दिया। बजरंग दल के संस्थापक कटियार को काट दिया, ठाकरे को ठुकरा दिया तो फिर तू कौनसा अनुपम खेर, माधुरी दीक्षित और विराट कोहली की तरह  सच्चा रामभक्त है कि तेरे बिना रामलला गृहप्रवेश से मना कर देंगे ।  

   
 बोला- लेकिन मुझे तो दो दिन पहले ही कुछ लोग पीले चावल दे गए हैं निमंत्रण स्वरूप । 

हमने कहा- यह तो बीजेपी का राम मंदिर के बहाने 2024 का चुनाव जीतने का एजेंडा है । और फिर यह भी तो तय नहीं है कि तू राम का भक्त है या नहीं ?

बोला- यह कौन तय करेगा कि मैं राम भक्त हूँ या नहीं ? और क्या आधिकारिक रूप से बुलाए गए 7000 हजार लोग ही राम भक्त हैं ? किसने दिया सर्टिफिकेट ?

हमने कहा- हम बहुत अधिक तो नहीं जानते लेकिन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा है कि निमंत्रण सिर्फ़ उन्हें भेजा गया है जो ‘भगवान राम के भक्त हैं.’

बोला- इनमें से कितने राम और रामचारित को जानते समझते हैं । हमने तो सैंकड़ों बार रामचरितमानस पढ़ा है, मर्यादाओं का खयाल रखा है । और अब क्या खुद को राम भक्त सिद्ध करने के लिए किसी मुसलमान का लिंचिंग करें, किसी मस्जिद पर चढ़कर उस पर भगवा झण्डा फहराएं । क्या घूँघट का समर्थन और हिजाब का विरोध करें । क्या कोट के ऊपर जनेऊ पहने फिरें, क्या सड़क पर बैठकर संध्या वंदन करें, क्या हर बात का उत्तर 'जय श्री राम' से दें , क्या मुसलमानों को हाथ पैर बांधकर पाकिस्तान पटक आयें । क्या राम से प्रेम का प्रमाण अल्ला, गॉड, खुदा को गाली निकालना है ?

और फिर इन्होंने तो दो दिन में 'मर्यादा पुरुषोत्तम राम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा' का नाम 'महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा' कर दिया । 

हमने कहा- एक बात साफ समझ ले और हमेशा के लिए समझ ले कि इन्हें न राम से मतलब है, न कृष्ण से। न मंदिर से मतलब है, न मस्जिद से । ये  हमेशा, हर चुनाव में पूर्ण बहुमत वाला नुस्खा चाहते हैं । यदि तू  इसकी गारंटी देता है तो हवाई अड्डे का नाम, अयोध्या और उसके रेलवे स्टेशन का नाम, देश का नाम, सेंट्रल विष्ठा का नाम और तो और  'राम मंदिर' का नाम  'तोता राम मंदिर' रखवा देते हैं ।   



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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