Jan 6, 2024

क्रेन लटकिया हनुमान


क्रेन लटकिया हनुमान 

   

तोताराम हमेशा हमारी सरकार के एजेंडे में फिट न हो सकने वाली हर लोकतान्त्रिक बात को सकारात्मक सोच की आड़ में उड़ा देता है । लेकिन आज सदैव से विपरीत बहुत बिफरा हुआ आया, बोला- मास्टर, अब तो एफ आई आर दर्ज करवानी ही पड़ेगी । 

हमने कहा- किस लिबराण्डू, छद्म धर्मनिरपेक्ष, राष्ट्रद्रोही या मिमिक्री कलाकार ने तेरी भावना आहत कर दी ? दूसरे धर्म के किस लड़के ने हिन्दू लड़की को अपने प्रेम के धोखे में फँसाया है ? कौन हमसे पूछे बिना गौमाता को काटने के लिए ले जा रहा है क्योंकि ये लोग दूध तो पीते नहीं और अगर पीते भी हैं तो सकता है छुरी दिखाकर बेचारे किसी बकरे का ही निकाल लेते होंगे । किसने भगवा वस्त्र पहनाकर हिन्दू नायिका को नचा दिया ? बता तो सही, अभी आसाम में एफ आई आर दर्ज करवाकर गुजरात से पकड़वाकर मँगवा लेंगे । किसने राष्ट्र-गौरव हिन्दू जाति का अपमान किया है ? केस दर्ज करवाकर अधिकतम सजा दिला कर एक दिन में सदस्यता खत्म करवाकर शाम को ही बँगला भी खाली करवा लेते हैं । अगर किसी ने किसी को अपना पासवर्ड भी दे दिया है तो सफाई देने का मौका दिए बिना ही सांसदी खत्म कर देंगे । बता तो सही, हमारे अनुज की भावना को किसने आहत किया है ? 

तोताराम ने हमारे पैर छूने का अभिनय करते हुए कहा- आदरणीय, आप इकतरफा, बदले की तुच्छ राजनीति की बातें कर रहे हैं । मैं तो इन सबसे परे अपने और मेरे जैसे करोड़ों के आराध्य और आम आदमी के सहज-सरल लोकदेव हनुमान जी की बात कर रहा हूँ  जो बिना किसी पक्की सरकारी नौकरी, बिना टीए डीए, इंक्रीमेंट और पेंशन के अपने आराध्य की निष्काम सेवा करने वाले हैं ।  झूठे-सच्चे मेडिकल बिल उठाने का तो प्रश्न ही नहीं।  ऐसे मेरे आराध्य हनुमान का अपमान हुआ है । मेरी भावना भयंकर रूप से आहत हुई है । 

हमने पूछा- क्या किसीने हनुमान जी की उल्टी-सीधी जाति बताई है । क्या किसी ने उनके चरित्र  या खानपान पर कोई अशोभनीय टिप्पणी की है । 

बोला- ऐसा कुछ नहीं है । यदि कोई व्यक्तिगत कुछ करता तो वे उसे पूंछ में लपेट कर कभी का पाकिस्तान फेंक चुके होते । यहाँ तो किसी ने उनका वेश बनाकर, हवा में लटक कर एक सामान्य मनुष्य को माला पहनाई है । अब बता, क्या ऐसा करने से मेरे आराध्य का अपमान हुआ कि नहीं ? 

हमने कहा- कहीं तू उज्जैन में मध्य प्रदेश के नए नए बने युवा और महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री मोहन यादव  के स्वागत में कुछ अनोखा करने के चक्कर में हनुमान जी का वेश बनाकर क्रेन से लटककर उन्हें माला पहनाने वाले उत्साही कार्यकर्ता की बात तो नहीं कर रहा ? 

बोला- और किसकी बात करूंगा ? ताजा ताजा घटना तो यही है । अब 22 जनवरी तक पता नहीं, हनुमान ही क्या राम तक को लेकर भी जाने क्या-क्या तमाशे हो सकते हैं । लोगों ने राम,हनुमान सबका मजाक बनाकर रख दिया है । एक चित्र देखा कि नहीं, जिसमें मोदी जी राम के वेश में छोटे से बच्चे को अंगुली पकड़ाकर ले जा रहे हैं जैसे कोई पेरेंट बच्चे को स्कूल छोड़ने जा रहा हो । मोदी जी ने तो एक भाषण में यहाँ तक कह दिया कि उन्होंने राम ही नहीं, करोड़ों लोगों के सिर पर छत का इंतजाम किया है । उनके अनुसार अब तक रामलला 500 साल से टेंट में सर्दी,गरमी, बरसात काट रहे थे । 

एक बार तो हद हो गई जब मोदी जी संत तुकाराम का वेश बनाकर मिमिक्री करते हुए पंढ़रपुर पहुँच गए । 

हमने कहा- तोताराम, अब इस मामले में हम कुछ नहीं कह सकते क्योंकि अब यह मामला आधिकारिक सरकारी रामभक्तों का हो गया है । यदि किसी विपक्षी, धर्मनिरपेक्ष, मुस्लिम आदि ने कहा होता तो बात और थी ।अब तक तो बुलडोज़र चलवा देते ।  देखो, राम जी के आधिकारिक ठेकेदार चंपत राय ने कहा कि मोदी जी विष्णु हैं । 

राम कृष्ण सब विष्णु के ही तो अवतार हैं इसलिए वे विष्णु अर्थात मोदी जी के अंडर में ही आते हैं। 

तुझे पता होना चाहिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन अर्थात कृष्ण हैं, तिस पर यादव हैं तो पक्के ही कृष्ण हैं । तभी तो मोदी जी ने उन्हें  'शिव'  के ऊपर वरीयता देते हुए चुना है । वे अपने अवतार को नहीं पहचानेंगे क्या ? ऐसे में हनुमान जी कर्तव्य है कि वे उनको माला पहनाएं । माला ही क्या, यदि वे उनके चरणों में भी बैठ जाते तो कोई भावना आहत होने का मामला नहीं बनता । छतीसगढ़ में तो उन्होंने साक्षात विष्णु को ही ढूँढ़ कर मुख्यमंत्री बना दिया । राजस्थान में भी भजन कीर्तन करने वाले संस्कारी को चुना है । अब इनके बारे में कुछ कहने सुनने की कोई  जरूरत नहीं है । 

बोला- फिर भी इस तरह हनुमान जी की मिमिक्री करना क्या ठीक है ? 

हमने कहा- इससे क्या फ़र्क पड़ता है ?पहले रामलीला के दिनों में रामलीला के पात्रों की मिमिक्री करना बच्चों का प्रिय खेल हुआ करता था । ऐसे ही पूंछ लगाकर हनुमान बने घूमा करते थे । इससे क्या होता है ? 

बोला- और अगर रस्सी टूट जाती और हनुमान जी गिर पड़ते तो ? 

हमने कहा- तो क्या हुआ खेल तमाशे में ऐसा हो ही जाता है । हमें याद है आज से साठ-सत्तर साल पहले हनुमान जी का आकाश मार्ग से संजीवनी बूटी लाना रामलीला का एक बहुत रोमांचक प्रसंग हुआ करता था । जिस नोहरे, बाड़े या मैदान में रामलीला होती थी उसके पास की किसी हवेली की छत से एक रस्सा बांध दिया जाता था और हनुमान जी उस पर फिसलते हुए आया करते थे । 

एक बार किसी ने रस्सी काट दी तो हनुमान जी गिर पड़े । खैरियत हुई कि ज्यादा ऊंचाई से नहीं गिरे । 

जैसे ही हनुमान गिरे, रस्से के सिरे के पास बैठे भक्त ने डायलाक मारा- हे हनुमान, इतना विलंब कैसे हुआ ? 

हनुमान जी गुस्से में थे, बोले-साले, विलंब की बात बाद में । पहले यह बता रस्सी किसने काटी? कहते हुए हनुमान जी ने उसे कसकर एक गदा जमा दी । 

तू तो मस्त रह । हनुमान जी की चिंता मत कर ।  ये राजनीतिक हनुमान हैं । आज ये क्रेन से लटक कर माला पहना  रहे हैं और कल को जब स्वार्थ सिद्ध नहीं होगा तो ये लंका की जगह अयोध्या को फूँक देंगे । 

जब आज की भाजपा और तब की जनसंघ  1977 में जनता पार्टी बनकर सरकार में शामिल हुई थी तब खुद को चरण सिंह का हनुमान कहने वाले राजनारायण ने क्या किया था ?  याद है, ना ? 

जब हम पोरबंदर में थे तो वहाँ के 'रोकड़िया हनुमान' के यहाँ हर मंगलवार को जाया करते थे । लेकिन वह युग और था । उनका इस 'क्रेन लटकिया हनुमान' की तरह 'रोकड़ा' से कोई संबंध नहीं था । उस 'रोकड़' का मतलब था- तत्काल फल देने वाला । नकद । कोई पंद्रह लाख जैसा लटकाऊ, उल्लू बनाऊ वादा नहीं । 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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