2024-01-22
राम भक्त सप्तक
राम से बड़ा राम का भक्त
राम से बड़ा राम का भक्त ।
चार फीट के राम लला हैं
औ’ दस फुट का भक्त ।
जन गण मन में राम समाए
राज पिता का तज वन जाएँ
मगर भक्त सत्ता का लोभी
सपनों में भी तख्त ।
राम से बड़ा राम का भक्त ।। 1 ।।
सदा राम का मन बैरागी
अनासक्त निर्लोभी त्यागी
भक्त मगर तृष्णा में डूबा
हर पल विषयासक्त ।
राम से बड़ा राम का भक्त ॥ 2 ।।
सबके मन की बात करें प्रभु
सबके मन की बात सुनें प्रभु
निज मन की बातें करने में
भक्त मगर है मस्त ।
राम से बड़ा राम का भक्त ॥ 3 ।।
इस तन को प्रभु कपड़ा मानें
सिर्फ आत्मा को पहचानें
ड्रेस बदलने में पर उनका
भक्त बहुत है व्यस्त ।
राम से बड़ा राम का भक्त ॥ 4 ।।
प्रभु न स्वर्ग संदेश सुनाते
इसी धरा को स्वर्ग बनाते
मगर भक्त नित नभ में उड़ता
धरा पड़ी परित्यक्त ।
राम से बड़ा राम का भक्त ॥5 ।।
राम सदा निर्बल के बल है
दीनों दुखियों के संबल हैं
यह सबलों का परम मित्र है
दीन दुखी पर सख्त ।
राम से बड़ा राम का भक्त ॥ 6 ।।
राम कहाँ है भव्य भवन में
राम तलाशो अपने मन में
आडंबर में, ताम-झाम में
नहीं गँवाओ वक्त ।
राम से बड़ा राम का भक्त ॥ 7 ।।
चार फीट के राम लला हैं
औ’ दस फुट का भक्त ।
-रमेश जोशी
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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