Jan 19, 2024

राम रोटी , राम चाय


राम रोटी , राम चाय 


आज ठंड पिछले तीन चार दिनों की बजाय अपेक्षाकृत कम है इसलिए उठने में अतिरिक्त विलंब नहीं किया । पत्नी ने आज लोहड़ी के उपलक्ष्य में चौले की दाल के पकौड़े बनाने का कार्यक्रम रखा हुआ है । चाय के साथ गरम गरम दिए जाएँ इसलिए तोताराम का इंतजार था । तोताराम कोई नेता तो है नहीं । सो कोई इंतजार नहीं करवाया। वैसे भी कुछ अतिरिक्त खाने-पीने का मामला हो तो पता नहीं, उसे कैसे टेलीपैथी हो जाती है कि बचना चाहो तो भी पहुँच ही जाता है । 

आज तोताराम के साथ उसकी पत्नी मैना भी है । हमने छेड़ा- क्या बात है आज जोड़े से ? तुझे कैसे इल्हाम हो गया कि आज चौले की दाल के पकौड़े बन रहे हैं । 

बोला- मैं पकौड़े खाने नहीं आया। आज हम दोनों अनुष्ठान पर निकल रहे हैं तो सोचा तुम लोगों से मिलते हुए निकल जाएँ । 

हमने कहा- तुझे कौनसा राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा करनी है जो अनुष्ठान कर रहा है । और फिर मैना को ठंड में क्यों परेशान कर रहा है ? मोदी जी ने भी सपत्नीक प्राणप्रतिष्ठा करने का कोई संकेत दिया है ?  

बोला- मोदी जी की बात और है । वे जो करें वही शास्त्र सम्मत होता है ।  लेकिन जब मेरे पास सुविधा है तो मैं मैना को अनुष्ठान में अपने साथ क्यों न ले जाऊँ । 

हमने कहा- तो तू यह अनुष्ठान कहाँ से शुरू कर रहा है ? मोदी जी ने तो नासिक में काला राम मंदिर से शुरू किया है । हो सकता है वे राम के वनवास जीवन से जुड़े अन्य स्थानों पर भी जाएँ लेकिन अभी कुछ घोषित नहीं किया गया । मोदी जी अपने सब कामों में ऐसा ही रोमांच बनाकर रखते हैं । 

बोला- मेरे पास उनकी तरह कौनसा विशेष प्लेन है। मैं तो अधिक से अधिक राजस्थान रोडवेज के फ्री पास से जहां तक संभव हो जा सकता हूँ । मजे की बात देख राम मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान से बहुत कुछ जा रहा है लेकिन राजस्थान में एक भी ऐसा राम मंदिर नहीं है जो देश के प्रसिद्ध राम मंदिरों में शामिल होने लायक हो । सो सोचा है कि हम दोनों रोज सीकर के एक दो हनुमान मंदिरों में हो आया करेंगे । आज बस से सालासर हनुमान जी के यहाँ जा रहे हैं । शाम तक लौट आएंगे । 

हमने कहा- तो दोनों चाय तो पी लो । साथ में पकौड़े भी हैं । 

बोला- चाय, पकौड़े सामान्य हैं या विशेष ?

हमने कहा- चाय तो वही रोज वाली है लेकिन पकौड़े जरूर तेज मिर्च और लहसुन डालकर स्पेशल बनाए हैं । 

बोला- प्राणप्रतिष्ठा तक मैं केवल 'राम चाय' और 'राम पकौड़े' का ही प्रसाद ग्रहण करूंगा । 

हमने कहा- चाय पकौड़े में राम कहाँ से आगया । 

बोला- सियाराममय सब जग जानी 

करहुँ प्रणाम जोरि जग पानी 

मेरे लिए सब कुछ राममय है । चाय भी पकौड़े भी, सभी कुछ । कानपुर हृदय रोग संस्थान के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नीरज कुमार ने मात्र सात रुपये की एक किट बनाई है जिसमें वे ही तीन दवाइयां हैं एकोस्प्रिन, सोर्बिट्रेट व रोसुवैस 20 टैबलेट जो सामान्य रूप सभी काम में लेते हैं । लेकिन नाम दे दिया 'रामबाण किट' । 

हमने कहा- वैसे हमने राम से जुड़े कई नाम सुने हैं जैसे राम तुलसी, रामनामी, रामबाण, राम रक्षा स्तोत्र,  वैष्णव लोग एक प्रकार की पीली मिट्टी से तिलक लगाते हैं जिसे वे 'रामरज' कहते हैं । लोग अपने सुख दुख को 'राम कहानी' कह देते हैं।गांधी जी एक अच्छे शासन की कल्पना 'रामराज' के रूप में करते थे । कुछ लोग नमक को 'रामरस' कहते हैं। आडवाणी जी ने टोयोटा को एक सुविधाजनक वेनिटी वैन के रूप में बनवाया था और सोमनाथ से अयोध्या के लिए निकले थे जिसे उन्होंने 'रामरथ' का नाम दिया था ।देश में बहुत से रामनगर, रामगढ़, रामपुर हैं । और मजे की बात देखो कि रामपुर के नवाब को 'रामपुर' नाम से कोई तकलीफ नहीं हुई । वरना उन्हें भी योगी जी की तरह नाम बदलने से कौन रोक सकता था ।  किसी एक कीटनाशक का नाम भी 'रामबाण' मिलता है । 

लेकिन यह क्या तमाशा है कि तुम राम चाय, राम पकौड़े बना रहे हो। कल को राम पानी, रामरोटी, राम छाछ, राम सब्जी, राम जूते, राम चप्पल, राम अगरबत्ती कुछ भी बना लोगे। राम का तमाशा क्यों बनाते हो । हो सकता है कल को कोई राम कबाब, राम बिरयानी बना लेगा तो ? तब तुम्हारी भावना आहत हो जाएगी । एफ आई आर कराते फिरोगे ।  

बोला- बिल्कुल नहीं चलेगा । जब राम मांस खाते ही नहीं थे तो राम कबाब, राम टिक्का आदि कैसे हो सकते हैं । 

हमने कहा- जब क्षत्रिय ही मांस नहीं खाते थे तो फिर इस देश में माँस खाता कौन है ? ब्राह्मण, बनिए ? फिर ये अश्वमेध, गौमेध आदि यज्ञों के नाम क्यों हैं ? फिर अधिकतर बूचड़खाने हिन्दू मालिकों के क्यों हैं ? यदि राम के मांसाहारी होने से इतनी ही तकलीफ़ है तो हमें इस देश में मांस खाने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए । मांस खाने वाले देशों से संबंध विच्छेद कर लेने चाहियें । 

बोला- क्यों बिना बात की रामायण करता है । कोई बात नहीं 'राम पकौड़े' नहीं हैं तो न सही । ले आ लहसुन मिर्च के पकौड़े । संक्रांति का प्रसाद मानकर खा लेंगे । अन्न भगवान का अपमान ठीक नहीं । भोजन भी तो एक प्रकार का अनुष्ठान ही होता है । तभी तो हमारे यहाँ 'पेट पूजा' को भी एक प्रकार की पूजा ही कहा गया है । 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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