Jan 1, 2024

निज निज गृह अब तुम्ह सब जाहू


निज निज गृह अब तुम्ह सब जाहू 


तोताराम की बातों में कोई न कोई लॉजिक होता तो जरूर है लेकिन हम उसे बहुत सीरियसली नहीं लेते क्योंकि वह लॉजिक उसके अपने हिसाब से होता है । जैसे सकारात्मक सोच वाले कहते हैं कि रुपया कमजोर नहीं हुआ बल्कि डालर मजबूत हो गया । अब गलती डालर की है तो फिर दोष रुपए को क्यों । 

वैसे तो आजकल जैसा माहौल चल रहा है उसके हिसाब से कोई किसी को सीरियसली नहीं लेता । कोई सबके खाते में 15 लाख आने की बात करता है तो नेताजी हंसने लग जाते हैं । कोई नेता कुछ भी फ्री में देता है तो लोग न तो उसे  सीरियसली लेते हैं और तभी बाद में कोई समझदार आदमी शिकायत करता ।

आज जब तोताराम आया तो उसने बहुत सीरियसली पूछा- मास्टर, मुझे अयोध्या जाना चाहिए या नहीं ?

हमने कहा- यदि तुम्हारी पोजीशन मोदी जी जैसी है तो तभी जाना जब भगवान राम खुद बुलाएं। निमंत्रण पत्र भेजें । और दो चार दिन बाद फोन भी करें कि तोताराम जी, याद है ना; 22 जनवरी को मेरे गृहप्रवेश में आना है ।आप ही अंगुली पकड़कर मुझे गर्भगृह तक लेकर चलेंगे । वे बनारस भी तब गए थे जब माँ गंगा पीछे ही पड़ गईं । सामान्य आदमी को राम के बुलावे मतलब होता है- ऊपर जाना, मर जाना, राम नाम सत्य है । और वह उस बुलावे से बच भी नहीं सकता । वह तो कोरोना तक के बुलावे को नहीं टाल सकता, राम के बुलावे की बात तो बहुत बड़ी है । 

वैसे तुझे बुलावा 'राम' ने भेजा है या 'चंपत राम' ने ? राम वाले को टाला नहीं जा सकता और चंपत राम वाले का कोई भरोसा नहीं। वह निमंत्रण होते हुए भी न आने का निर्देश होता है । 

देखा नहीं, आडवाणी जी और जोशी जी को कैसा निमंत्रण भेजा है ? न जाते बने, न घर बैठे बने । बिना बात बुढ़ापे में भद्द पिटी सो अलग । 

बोला- लेकिन अब तो विश्व हिन्दू परिषद वाले उनके घर जाकर निमंत्रण दे तो आए हैं । सोनिया, सीताराम येचुरी आदि को भी निमंत्रण भेजा है । 

हमने कहा- इन सभी निमंत्रणों में शुद्ध राजनीति है । आयें तो भाजपा के एजेंडे पर मुहर, और न आयें तो राम-द्रोही । जिन्हें न आडवाणी जी वाला न आने का निमंत्रण भेजा है वे,  और जिन्हें कूटनीति के तहत निमंत्रण भेजा है वे, सब दुविधा में हैं । जो किसी श्रेणी में नहीं आते हैं वे कहते हैं- हमें चाहे बुलाओ या नहीं, हम तो जाएंगे । तू इनमें से किसी श्रेणी में नहीं आता। इसलिए तू कहीं मत जा । 

  अब तू जा, अपने घर ।


 

बोला- चाय पिए बिना कैसे जा सकता हूँ । 

हमने कहा- ठीक है, चाय पी ले, फिर घर चले जाना ।  लेकिन अयोध्या मत जाना ।

बोला- लेकिन क्यों ?

हमने कहा- यह चंपत राय जी नहीं चाहते और भगवान राम का भी यही मत था । 

बोला- कोई तो कारण होगा ?

हमने कहा- तुम लोग राजनीति के बंदर भालू हो । जैसे पुल बनाने के लिए, लड़ने के लिए तुम्हारी जरूरत थी वैसे ही मस्जिद ढहाने के लिए, आंदोलन खड़ा करने के लिए तुम्हारी जरूरत थी । अब काम हो गया है । अब उस आंदोलन का सुफल भोगने वाले भोगेंगे । तुम्हारी कोई जरूरत नहीं है । अप्प दीपो भव । अपने दीये खुद बनो । तेल खरीदो, दीये जलाओ । गर्व से भर जाओ ।  

रामचरितमानस में रावण विजय के बाद राम खुद बंदर-भालुओं से कहते हैं-

निज निज गृह अब तुम्ह सब जाहू 

सुमिरेहु मोही डरपहु जनि काहू 

इसलिए हे शाखामृग तोताराम, तू चाय पीकर प्रस्थान कर। अब राम अयोध्या में गृह प्रवेश करके राज करेंगे । तू भी अपने आसपास की किसी शाखा पर उछल-कूद कर ।और यदि यह संभव नहीं है तो चमगादड़ की तरह उलटा लटककर मंत्र-जाप कर ।  



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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