Mar 19, 2010

सोनिया जी, सादगी के सदके


सोनिया जी,
नमस्कार । सबसे पहले तो राज्य सभा में महिला आरक्षण बिल पास होने पर बधाई । आपने ठीक समय पर फैसला ले लिया नहीं तो वही हाल होता जो अब तक होता रहा है इस बिल का । आगे लोकसभा वाला असली झंझट तो बाकी ही है । फिर भी खुशी की बात तो है ही । सो सेलेब्रेट भी करनी ही चाहिए । इसकी ख़ुशी में आपने ११ मार्च गुरुवार २०१० को एक पार्टी दी, जिसका समाचार भी ११ तारीख़ को ही छपा । नहीं तो लोग तो ज़रा सी बात का महीनों पहले से हल्ला मचाने लग जाते हैं और समय पर कार्यक्रम निकलता है - फुस्स ।

हमने छोटे-मोटे कार्यक्रमों के बहाने लोगों को उछलते देखा है । बीस हज़ार की प्याऊ के उद्घाटन पर पचास हज़ार का खर्चा कर देते हैं । चार दिन पहले से बड़े-बड़े विज्ञापनों के बहाने सूचना आने लग जाती है । और मुख्य अतिथि कौन होता है- कोई भूतपूर्व एम.एल.ए. । आपकी दावत में तो दोनों सदनों के सारे साढ़े सात सौ सांसद थे । फिर भी दावत का न तो कोई समाचार, न विज्ञापन और न ही कोई फ़ोटो । इसे कहते हैं सादगी । लोग सादगी की बातें करते हैं और वास्तविक जीवन में देश के धन को हराम का माल समझ कर फूँकते हैं ।

आपने इस दावत में और भी कई तरीके अपनाए हैं जिससे खर्चा कम हो । आपने सांसदों को सपत्नीक बुलाया । अब जिसके पत्नी या पति नहीं वह तो आ ही नहीं सकेगा और इस प्रकार कुछ प्लेटें कम ही खर्च होंगीं । अटलजी इसी शर्त के चलते आ नहीं सके होंगे । फर्नांडीस भी आ सकते थे पर इतनी ज़ल्दी अमरीका से उनकी पत्नी का आ पाना मुश्किल था । कारत दंपत्ति भी एक ही न्यौते में ही दो-दो निबट गए । और नोटिस पीरियड भी इतना कम दिया कि दूर रहने वाली पत्नी या पति का तो दिल्ली पहुँचाना ही मुश्किल । लोग कह सकते हैं कि प्लेन से आ जाते । ठीक है, पर ब्यूटी पार्लर में जाने का समय भी तो चाहिए । कोई ऐसी वैसी दावत तो है नहीं कि ऐसे ही चले जाओ । आपने कोई फोटोग्राफर भी नहीं बुलाया । यह खर्चा भी बचा लिया । कुछ लोग तो यही सोच कर नहीं आए होंगे कि जब सोनिया जी के साथ फ़ोटो ही नहीं खिंचवा सकते तो फिर पार्टी में जाने का क्या फायदा ।

इस पार्टी के बारे में हम आपकी एक और दूरदर्शिता की बात करना चाहेंगे । प्रणव दा ने कह दिया है कि एक अप्रेल से सादगी वाली एच१एन१ बुखार समाप्त हो रही है । लोग कितने दिन उपवास कर रहे थे देश के लिए । हो सकता है कि सांसदों के लिए देश की अर्थ व्यवस्था सुधर गई होगी वरना प्रणव दा ऐसा कभी न करते । जहाँ तक हमारी बात है तो बता दें कि दवा के दामों में कोई कमी नहीं हुई है, दूध के दाम बढ़ने की पूरी-पूरी संभावना है, चीनी उसी तरह से आकाश में लटकी हुई है । तीर्थ यात्रा का कार्यक्रम तो हमने अगले जन्म के लिए मुल्तवी कर दिया है । अपने को कौन हज-यात्रा की तरह सब्सीडी देने वाला है । अगर अगले जन्म में हालत कुछ सुधरेगी तो देखेंगे ।

तो दावत का काम सादगीपूर्ण तरीके से और शांति से निबट गया होगा । सांसद पत्नियों से मिलकर आपने लोकसभा में बिल को पास करवाने की संभावनाओं को भी ज़रूर तलाशा होगा । इस ज़माने में बिना काम के कौन किसी को खाना खिलाता है । पानी तक के लिए नहीं पूछता । डाक्टर की पार्टी में केमिस्ट और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के अलावा और कौन होगा । पार्टी अपनी जगह होती है और घरवाली अपनी जगह । बीवी अगर व्हिप जारी करदे तो पति की मजाल नहीं कि ज़रा सा भी इधर-उधर हो जाए । और फिर किसी आदमी से काम करवाना हो तो उसकी बीवी को खुश कर लो फिर आगे का काम वह अपने आप सँभाल लेगी । यह कहावत भी है कि आदमी के दिल का रास्ता उसके पेट में से होकर जाता है । और यह भी कहा गया है कि किसी को पटाने का रास्ता उसकी बीवी के थ्रू जाता है । सो आपने दावत ही नहीं लोकसभा में बिल पास करवाने का इंतज़ाम भी कर लिया है । एक बात आपने और भी ठीक की कि एक अप्रेल से पहले ही पार्टी कर ली । अब सादगी का भी बहाना है । नहीं तो एक अप्रेल के बाद तो लोग सादगी की संहिता समाप्त होने की आड़ में ज्यादा खर्चा करवा देते ।

हम तो जानते है कि आप सारे काम ही सादगी से करती हैं । आपकी कथनी करनी में कोई अंतर नहीं है । जब पिछली बार अपनी सरकार आई थी तो अक्टूबर २००५ में चंडीगढ़ में पंजाब के तत्कालीन मुख्य मंत्री अमरिंदर सिंहजी ने मुख्यमंत्री सम्मलेन का आयोजन किया था । सिंह साहब केवल मुख्य मंत्री ही थोड़े थे । वे भूतपूर्व महाराजा भी हैं । अगर चाहते तो दो सौ व्यंजन बनवा सकते थे पर उन्होंने आपकी सादगी की आदत को जानते हुए केवल पचहत्तर व्यंजन बनवाए । पर आपकी सादगी देखिए कि आपने इतने पर भी कह ही दिया कि हमें सादगी से काम करना चाहिए । अब हम कल्पना कर सकते हैं कि आपने पार्टी में क्या बनवाया होगा । ज्यादा से ज्यादा लड्डू , नमकीन और पूड़ी-सब्जी । वैसे भी अधिक व्यंजन होने से आदमी ढंग से खा भी नहीं पाता । भूख से ज्यादा खाकर भी यही लगता है कि वह व्यंजन तो खाया ही नहीं । जैसे कि नहीं पकड़े जाने पर मिलावट करने वाले को यही लगता रहता है - काश, सीमेंट में थोड़ा और रेता मिला देता । किसी को पता तो चला ही नहीं ।

हमने एक बार तो सांसद न होने के बावजूद आपकी पार्टी में आने का विचार किया पर क्या बताएँ निमंत्रण तो था नहीं । वैसे पत्नी ने कहा तो था कि जब मनमोहन जी को दी गई ओबामा की पार्टी में बिना बुलाए 'सलाही दंपत्ति' सुरक्षा व्यवस्था को धता बताकर अन्दर जा सकते हैं तो क्या अपन मेडम की पार्टी में नहीं घुस सकते ? मगर हमारी पत्नी भी आपकी तरह से बहुत कम खर्चा करने वाली है । कहने लगी- मेडम सादगी से काम करेंगी । सो सादा खाना तो हम यहाँ भी खा ही रहे हैं । बिना बात पच्चीस रूपए के खाने के लिए दिल्ली आने जाने के हज़ार-पाँच सौ रूपए क्यों खर्च किए जाएँ ।

हमारी पत्नी ने आपको एक और सलाह देने के लिए कहा है कि जब दिल्ली में ही पार्टी की जाए तो पाँच सितारा होटल से खाना मँगवाने की क्या ज़रूरत है, महँगा पड़ता है । संसद वाली कैंटीन से ही क्यों न मँगवा लिया कीजिए । साढ़े बारह रूपए पर हैड में ही काम हो जाएगा ।

वैसे एक बार फिर महिला आरक्षण बिल राज्य सभा में पास करवाने के लिए और सादगी से पार्टी देकर लोकसभा में बिल के पास होने की संभावनाएँ बढ़ाने के लिए धन्यवाद ।

हमारी पत्नी आपकी और कांग्रेस की भक्त है । वह भी राबड़ी जी की तरह से क्वालीफाइड भी है । यह बात और है कि हम मुख्य मंत्री नहीं है । वैसे हम किसी के लिए भी प्रशस्ति लिख सकते हैं- जैसे कि अटल-चालीसा, लालू-चालीसा, माया-चालीसा, वसुंधरा-शतक आदि-आदि । बात कान में इसलिए डाल दी है कि पुरुष के भाग्य का कुछ पता नहीं कब खुल जाए । और अब तो पुरुष का भाग्य खुलने का एक चेनल और भी तो आ रहा है - महिलाओं के लिए संसद में ३३ प्रतिशत आरक्षण ।

१४-३-२०१०


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.
Jhootha Sach

2 comments:

  1. सर, लिख ही डालिये एक सोनिया शतक, राहुलाष्टक और प्रियंका चालीसा.

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  2. जोशी जी, एक-एक लाइन पर कुर्बान हो गयी। बहुत ही सटीक व्‍यंग्‍य। पढ़ते-पढ़ते प्रत्‍येक लाइन पर लगता कि इसे अण्‍डर लाइन करना चाहिए लेकिन फिर देखा कि पूरा ही अण्‍डर लाइन हो गया। चलिए यदि आपको सुविधा हो तो हम भी आपक मित्र बन ही जाते हैं। वैसे हमारा नाम दुश्‍मनी की सूची में अधिक है लोगों के पास। खैर, ऐसे ही लिखते रहें और सभी को गुदगुदाते रहें।

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