Mar 30, 2010
मृत्यु का कारण
अंधेर नगरी के आजीवन महाराजा चौपटादित्य जैसे ही सप्ताहांत पर सत्य के शव को संसद के कुँए से निकाल कर ठिकाने लगाने के लिए चले तो शव में अवस्थित बेताल ने टोका- राजन, कहाँ जा रहे हो । इतने बरस हो गए तुम्हें पर किसी न किसी कारणवश तुम इस शव को ठिकाने नहीं लगा सके तो फिर मान क्यों नहीं जाते और यह व्यर्थ की जिद छोड़ क्यों नहीं देते । गद्दी मिली है तो मज़े से इसका भोग करो, क्यों यह कीमती मानव जन्म बेकार ही गँवा रहे हो ।
महाराजा ने उत्तर दिया- तुम नहीं समझोगे बेताल, यह सत्य ही तो किसी भी राजा के लिए सबसे बड़ा खतरा होता है । यह जब प्रकट होता है तो फिर इसके सामने किसी की भी नहीं चलती । जब तक इसको ठिकाने नहीं लगा देता तब तक न तो मैं ही निश्चिन्तता से सो सकता हूँ और न ही अपनी भावी पीढ़ियों के सुरक्षित राज के लिए निश्चिन्त हो सकता हूँ ।
बेताल ने कहा- तो ठीक है राजन, जैसी तुम्हारी मर्जी । पर मैं तो तुम्हारी यही मदद कर सकता हूँ कि इस एकांत, सूनी और बोरियत भरी रात में तुम्हारा मनोरंजन करने के लिए एक कहानी सुना सकता हूँ । तो सुनो, यह कहानी ।
राजा चिढ़ गया और कहने लगा- तुम रोजाना कहानी ही सुनाते हो । अब तो मैं इन कहानियों से भी बोर हो गया । बेताल ने कहा- तो फिर मैं तुम्हें एक अस्पताल में ले चलता हूँ । राजा बोला- पर मैं तो बीमार नहीं हूँ । फिर अस्पताल ले जाने की ज़रूरत क्या है ? बेताल ने कहा- इलाज़ के लिए नहीं बल्कि एक दृश्य दिखाने के लिए । उस दृश्य को देखने के बाद मैं तुमसे एक प्रश्न करूँगा और यदि जानते हुए भी तुमने उसका उत्तर नहीं दिया तो तुम्हारा सिर टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा । योअर टाइम स्टार्ट्स नाउ ।
इस दृश्य में देखो । एक युवक मरा पड़ा है । इस युवक का तीन दिन पहले दारू पीकर कर कार चलाने के कारण एक्सीडेंट हो गया था । उस एक्सीडेंट में इसने रास्ते में जा रहे दो लोगों को भी कुचल डाला । पर वह कोई बड़ी बात नहीं क्योंकि चौपट नगरी के नियमों के अनुसार दारू पीकर कार चलाने पर ज्यादा से ज्यादा एक साल की सज़ा हो सकती है या लाइसेंस ज़ब्त हो सकता है । और किसी वाहन से कुचल कर कोई मर जाए तो कुछ सालों की सजा हो सकती है । खैर, बात उस युवक की । उसको कई जगहों पर चोट आई । बहुत बड़ा आपरेशन हुआ । किसी धनवान आदमी का बेटा था सो अच्छा इलाज़ हुआ । डाक्टरों के अथक परिश्रम के कारण आपरेशन भी सफल हुआ ।
अभी वह युवक अस्पताल में ही भर्ती था, गहन चिकित्सा कक्ष में । वैसे तो युवक लगभग ठीक ही था । देख-सुन रहा था । युवक के इशारा करके बताने पर डाक्टरों द्वारा उसके कानों में संगीत सुनने के लिए ईयर फोन लगा दिया गया था । युवक प्रसन्न था पर एहतियात के तौर पर उसके मुँह पर आक्सीजन देने के लिए मास्क लगाया गया था । नली से तरल खाद्य पदार्थ दिया जा रहा था । युवक तेज़ी से रिकवर कर रहा था । डाक्टर सोच रहे थे कि अगले दिन उसका मास्क भी हटा देंगे ।
अगले दिन सवेरे जब डाक्टर आए तो वह युवक मृत पाया गया । डाक्टरों को आश्चर्य हो रहा था कि रात तक सब कुछ ठीक था और अब भी कोई ऐसी बात नज़र नहीं आ रही थी जिसके कारण उसकी मौत हो सकती थी । क्या तुम बता सकते हो कि सब कुछ ठीक होने पर भी उस युवक की मौत किस कारण से हो गई ।
महाराज चौपटादित्य ने कहा- बेताल, तुमने ध्यान से नहीं देखा । उस युवक का ईयर फोन उसके कान से निकला हुआ था । आज का युवक आक्सीजन, भोजन, पानी, दिल, दिमाग सब के बिना जिंदा रह सकता है मगर संगीत के बिना नहीं । इस लिए जैसे ही संगीत बंद हुआ तो उसकी मृत्यु हो गई । इसमें कोई अजीब बात नहीं है ।
महाराज चौपटादित्य का उत्तर सुन करके बेताल की खोपड़ी के टुकड़े-टुकड़े हो गए ।
२५-३-२०१०
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
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Jhootha Sach
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बहुत ही करारा व्यंग्य। बधाई।
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