
आदरणीय प्रणव दा,
नमोश्कार । हमारा नववर्ष का शुभकामना-सन्देश-पत्र आपको इस बार कुछ देर से मिले तो अन्यथा नहीं लीजियेगा । कारण कुछ ख़ास नहीं है । बस, हम आज के बाज़ार के 'कंडीशंस अप्लाई ' नामक फंडे से घबराये हुए हैं । आज ही हमने अखबार में पढ़ा कि फ़ोन कम्पनी वाले बड़े बदमाश होते हैं । चुपके से त्यौहार के दिन जब लोग एस.एम.एस. का ज्यादा उपयोग करते हैं उन दिनों ये एस.एम.एस. का ब्लेक डे घोषित कर देते हैं- मतलब कि उस दिन एस.एम.एस. के रेट ज्यादा लगेंगे, साधारण दिनों से । लोग सस्ता समझ कर एस.एम.एस. से धड़ाधड़ बधाई सन्देश भेज देते हैं और जब पैसे कटते हैं तो रोते हैं । आप तो वित्त-मंत्री भी हैं, दिल्ली में भी बैठते हैं और दिल्लीदरबार में ख़ास भी हैं । कम से कम लोगों को इस धोखे से तो बचायें ।
वैसे तो कई बदमाश लोग एस.एम.एस. से धोखेबाजी का धंधा भी करते हैं । अखबार में विज्ञापन देंगें कि एक सरल प्रश्न का उत्तर दीजिये और इनाम में एक कार जीतिए । प्रश्न हो सकते है- अभिषेक बच्चन की पत्नी का नाम बताइए या भारत की क्रिकेट टीम के कप्तान का नाम बताइए या ज्यादा ही कठिन प्रश्न पूछना हो तो पूछ लेंगें कि गाय के कितने पैर होते हैं । लोग सोचेंगे कि एक एस.एम.एस. में क्या जाता है । क्या पता चांस लग ही जाये । कई लाख लोग एस.एम.एस. करते हैं । करोड़ों की आमदनी होती हैं । कार्यक्रम की योजना बनाने वाले और मोबाइल कंम्पनी आधा-आधा बाँट लेते हैं । करोड़ों कमा कर एक लाख की कार इनाम में देने में किसके बाप का क्या जाता है । अखबार वाले भी किसी ताज़ा और उत्तेजक घटना पर पाठकों से एस.एम.एस. द्वारा राय पूछते हैं । जितने भी उल्लू के पट्ठे फँस जाएँ उतने ही ठीक । अगले दिन दो गुना दो सेंटीमीटर स्थान में प्रथम पृष्ठ पर छाप देंगे-'यस' इतना, 'नो' इतना और 'डोंट नो' इतना । हो गई लाखों की कमाई । वरना जितने पेज अखबारवाले तीन रुपये में छाप कर देते हैं उतने खाली पेज, उतने पैसे में बाजार में नहीं मिलते । बड़ा ऊँचा चक्कर है, पर एस.एम.एस. के रसिया समझें तब ना ।